भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडाई) के सदस्य (गैर-जीवन) दीपक सूद ने शुक्रवार को कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में बदलाव के बाद जीवन और खुदरा स्वास्थ्य बीमा में पर्याप्त वृद्धि और रुचि देखी जा रही है। इस क्रम में वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही (वित्त वर्ष 26 की दूसरी छमाही) में वृद्धि और तेज होने की संभावना है।
सूद ने बताया ‘हमने अक्टूबर में जो देखा है, वह इसका संकेत है कि चीजें कैसी होंगी। मुझे लगता है कि जीवन बीमा उद्योग और खुदरा स्वास्थ्य दोनों में खासी वृद्धि देखी गई है, लोगों की काफी रुचि बढ़ रही है। जैसे-जैसे हम वर्ष के अंत की ओर बढ़ते हैं तो हम सभी जानते हैं कि दूसरी छमाही में स्वास्थ्य बीमा, जीवन बीमा बढ़ता है। इस अनुकूल परिस्थिति के साथ हमें दायरे को बढ़ाने व बेहतर बनाने में सक्षम होना चाहिए, लोगों तक पहुंचना चाहिए। यह शानदार है। मुझे लगता है कि हमें इसका सर्वोत्तम उपयोग करना चाहिए।’
हाल ही में सरकार ने व्यक्तिगत जीवन और स्वास्थ्य बीमा योजनाओँ के प्रीमियम पर जीएसटी को 18 प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया था। लेकिन इसके साथ इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) भी वापस ले लिया गया था।
बीमा नियामक और सरकार का दृष्टिकोण ‘2047 तक सभी को बीमा’ है। उद्योग ने बीमा नियामक के कदमों के समर्थन से इसे हासिल करने की योजना तैयार की है। इरडाई 2030 के लिए सैंडबॉक्स ढांचे को तेज करने और ऑन-डिमांड और पैरामीट्रिक बीमा जैसे नए मॉडलों को प्रोत्साहित करने पर विचार कर रहा है। सूद ने बताया ‘योजनाएं बनती रहेंगी, लेकिन उनका वितरण महत्त्वपूर्ण है। हमें तेजी से और नवाचार-आधारित वितरण बनाने की आवश्यकता होगी। लेकिन हमें वितरण में दो क्षेत्रों पर ध्यान देना होगा। एक है, किसी भी प्रकार की गलत तरीके से बिक्री करने से सख्ती से बचें। मुझे लगता है कि यह कुछ ऐसा है जिससे विश्वास घटता है। दूसरा, वितरण की लागत कम करना।’