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शॉर्ट-टर्म में डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट से निर्यातकों को फायदा, लेकिन आयातकों की बढ़ेंगी मुश्किलें

Rupee vs Dollar: एक व्यापारी ने कहा कि इस घटनाक्रम से कच्चे तेल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक सामान, विदेशी शिक्षा और विदेश यात्रा तक का आयात महंगा हो जाएगा।

Last Updated- September 23, 2025 | 7:30 PM IST
Rupee vs Dollar

Rupee vs Dollar: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के रिकॉर्ड 88.75 के स्तर से नीचे गिरने से अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारतीय उत्पादों की मूल्य प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने में मदद मिलेगी, लेकिन निर्यातकों ने आगाह किया है कि यह उतार-चढ़ाव आयात के मोर्चे पर कई चुनौतियां पैदा कर सकता है। उन्होंने कहा कि रत्न एवं आभूषण, पेट्रोलियम और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे आयात-निर्भर क्षेत्रों को लागत में वृद्धि के कारण कम लाभ मिल सकता है।

88.75 के ऑलटाइम लो पर रुपया

अमेरिकी एच-1बी वीजा फीस में भारी वृद्धि के कारण विदेशी पूंजी की निरंतर निकासी के बीच, मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 47 पैसे गिरकर 88.75 (अस्थायी) के ऑलटाइम लो पर आ गया, जिससे भारतीय आईटी सेवा निर्यात को बड़ा झटका लगने की आशंका है।

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भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) के अध्यक्ष एस सी रल्हन ने कहा, ‘‘रुपये में गिरावट से शॉर्ट टर्म में निर्यातकों को निश्चित रूप से मदद मिलेगी। लेकिन हमें डॉलर के मुकाबले मूल्य में स्थिरता की आवश्यकता है।’’

रुपया 100 प्रति डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद

इसी तरह के विचार साझा करते हुए, मुंबई स्थित निर्यातक और टेक्नोक्राफ्ट इंडस्ट्रीज लिमिटेड के संस्थापक चेयरमैन एस के सर्राफ ने कहा कि इससे देश के निर्यात को फायदा होगा क्योंकि अमेरिका द्वारा उच्च शुल्क लगाए जाने के समय घरेलू सामान कम प्रतिस्पर्धी हो जाएंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी मुश्किलें कुछ हद तक कम हो जाएंगी। मुझे उम्मीद है कि अगले 4-5 महीनों में रुपया 100 प्रति डॉलर तक पहुंच जाएगा। मुझे लगता है कि 100 नया सामान्य होगा।’’

एक अन्य व्यापारी ने कहा कि इस घटनाक्रम से कच्चे तेल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक सामान, विदेशी शिक्षा और विदेश यात्रा तक का आयात महंगा हो जाएगा। रुपये के अवमूल्यन का प्राथमिक और तत्काल प्रभाव आयातकों पर पड़ता है, जिन्हें समान मात्रा और कीमत के लिए अधिक भुगतान करना होगा। हालांकि, यह निर्यातकों के लिए एक वरदान है क्योंकि उन्हें डॉलर के बदले अधिक रुपये मिलते हैं।

भारत पेट्रोल, डीजल और जेट ईंधन जैसे ईंधन की अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए 85% विदेशी तेल पर निर्भर है। भारतीय आयात में कच्चा तेल, कोयला, प्लास्टिक सामग्री, रसायन, इलेक्ट्रॉनिक सामान, वनस्पति तेल, उर्वरक, मशीनरी, सोना, मोती, कीमती और अर्ध-कीमती पत्थर, तथा लोहा एवं इस्पात शामिल हैं।

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रुपये में उतार-चढ़ाव अच्छा नहीं

कानपुर स्थित ग्रोमोर इंटरनेशनल लिमिटेड के प्रबंध निदेशक यादवेंद्र सिंह सचान ने कहा कि रुपये का संतुलित मूल्य निर्यातकों और आयातकों, दोनों के लिए फायदेमंद है। सचान ने कहा, ‘‘मूल्य में कोई भी उतार-चढ़ाव दोनों के लिए अच्छा नहीं है।’’ देश का व्यापारिक निर्यात अगस्त में 6.72% बढ़कर 35.1 अरब डॉलर का हो गया। अप्रैल-अगस्त 2025-26 के दौरान निर्यात बढ़कर 184.13 अरब अमेरिकी डॉलर का हो गया, जबकि आयात 2.13% बढ़कर 306.52 अरब डॉलर हो गया।

(PTI इनपुट के साथ)

First Published - September 23, 2025 | 7:25 PM IST

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