Maratha reservation: राज्यभर में हो रहे मराठा आंदोलन और भूख हड़ताल से राज्य सरकार दबाव में है। सरकार का प्रतिनिधिमंडल भी भूख हड़ताल खत्म नहीं करा पाया। मनोज जारांगे की जिद से निपटने के लिए सरकार में हलचल बढ़ गई, राज्य सरकार ने एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है। दूसरी तरफ हड़ताल पर बैठे जारांगे ने कहा कि इस मुद्दे से कैसे निपटा जाए इसका हल भी वह सरकार को देने को तैयार है।
मराठा आरक्षण की लड़ाई लड़ने वाले मनोज जारांगे की तबीयत आज बिगड़ गई, इसलिए सरकार अब मनोज जारांगे की मांग को लेकर युद्ध स्तर पर काम कर रही है। राज्य कैबिनेट की बैठक में मनोज जारांगे द्वारा मांगे गये कुनबी प्रमाण पत्र पर चर्चा की गयी जिसके बाद कहा गया कि आठ दिन में रिपोर्ट सौंप दी जायेगी।
राज्य सरकार ने एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है। यह कमेटी हैदराबाद जाकर कुनबियों के रिकॉर्ड की जांच करेगी। सरकार जल्द ही इस समिति के गठन की घोषणा करेगी। पांच से छह सदस्यों की यह कमेटी 10 दिन के भीतर रिपोर्ट देगी।
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मनोज जारांगे पाटिल ने कहा कि सरकार अब हमारा अंत न देखे, बल्कि हमें आरक्षण देकर न्याय दे। हम सभी दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए तैयार हैं। कानूनी विशेषज्ञ देने को तैयार हैं। मराठा आरक्षण के मुद्दे को लेकर बुधवार को मनोज जारांगे की भूख हड़ताल का नौवां दिन रहा। करीब 40 वर्षीय जारांगे 29 अगस्त से जालना जिले के अंतरवाली सरती गांव में भूख हड़ताल पर हैं।
जालना के अतिरिक्त सिविल सर्जन डॉ. प्रताप घोडके ने कहा कि जारांगे के शरीर में पानी की कमी हो गई है और उनका क्रिएटिनिन स्तर थोड़ा अधिक है। हमने उन्हें नसों के जरिए तरल पदार्थ देना शुरू कर दिया है। जारांगे के महत्वपूर्ण पैरामीटर ठीक हैं, लेकिन उनका रक्तचाप निचले स्तर पर है। इलेक्ट्रोलाइट्स ठीक हैं और उनकी हृदय गति भी संतोषजनक है।
एक सितंबर को अधिकारियों ने जारांगे को अस्पताल ले जाने का प्रयास किया था लेकिन प्रदर्शनकारियों ने ऐसा नहीं करने दिया। इसके बाद पुलिस ने अंतरवाली सरती गांव में हिंसक भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े थे। हिंसा में 40 पुलिसकर्मियों सहित कई लोग घायल हो गए थे और 15 से अधिक राज्य परिवहन बसों को आग के हवाले कर दिया गया था।
महाराष्ट्र के पर्यटन मंत्री गिरीश महाजन ने मंगलवार को मंत्रिपरिषद के अपने सहयोगियों संदीपन भुमरे और अतुल सावे के साथ जारांगे से मुलाकात की थी और उनसे अनशन समाप्त करने का अनुरोध किया था। महाजन ने जारांगे को अपने साथ मुंबई चलने और इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से बातचीत का प्रस्ताव भी दिया लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया।
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जालना जिले के अंतरवाली सरती गांव में भूख हड़ताल कर रहे जारांगे ने कहा कि अगर आरक्षण को लेकर अनुकूल निर्णय नहीं लिया गया तो वह चार दिन बाद पानी और तरल पदार्थ लेना बंद कर देंगे। सरकार अब तक जारांगे से दो बार संपर्क कर उनसे अनशन वापस लेने का आग्रह कर चुकी है, लेकिन उन्होंने हटने से इनकार कर दिया है।
मुख्यमंत्री शिंदे ने सोमवार को कहा कि मराठवाड़ा क्षेत्र के मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र कैसे जारी किया जाए, इस पर एक समिति एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। वर्ष 2018 में जब देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री थे, तब महाराष्ट्र सरकार द्वारा मराठा समुदाय को नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण प्रदान किया गया था, जिसे मई 2021 में उच्चतम न्यायालय ने अन्य आधारों के साथ कुल आरक्षण पर 50 प्रतिशत की छूट की सीमा का हवाला देते हुए रद्द कर दिया था।
इस मुद्दे पर आज शिवसेना-यूबीटी के विधायकों ने आदित्य ठाकरे के नेतृत्व में राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात करके गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस का इस्तीफा लिए जाने की मांग की गई। इस मुलाकात पर सवाल खड़े करते हुए विधान परिषद की उप-सभापति नीलम गोर्हे ने पूछा कि जब शरद पवार और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने मराठा समाज को आरक्षण क्यों नहीं दिया। मौजूदा सरकार इस मुद्दे पर गंभीर है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ठोस पहल करेंगे।