Jalna Maratha Protest: मराठा समुदाय को आरक्षण देने की मांग को लेकर हो रहे प्रदर्शन के बीच महाराष्ट्र सरकार ने एक बार फिर मराठा आरक्षण का समर्थन किया साथ ही मराठवाड़ा क्षेत्र के मराठों को कुनबी जाति का प्रमाण पत्र जारी करने के लिए एक समिति का गठन किया है जो एक महीने के भीतर रिपोर्ट देगी।
मराठा आंदोलनकारियों पर हुए लाठीचार्ज का मामला पूरे राज्य में फैल गया। जिसको शांत करने के लिए सरकार की तरफ से माफी भी मांग ली गई। हालांकि विपक्ष इस मुद्दे को लेकर सरकार पर लगातार हल्ला बोल रहा है।
मराठा समुदाय को आरक्षण देने की मांग को लेकर हो रहे प्रदर्शन के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सोमवार को कहा कि मराठवाड़ा क्षेत्र के मराठा समुदाय को कुनबी जाति का प्रमाण पत्र जारी करने के तरीके पर विचार करने के लिए समिति गठित की गई है और एक महीने के भीतर रिपोर्ट देने को कहा गया है।
राज्य सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है और सौहार्दपूर्ण समाधान तलाशने के लिए काम कर रही है। मैंने अधिकारियों को मराठा आरक्षण पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का अध्ययन करने और समाधान सुझाने का निर्देश दिया है। हमें यह स्थापित करने की जरूरत है कि मराठा समुदाय पिछड़ा हुआ है। कुनबी जाति कृषि से जुड़ी है और महाराष्ट्र में इसे ओबीसी के अंतर्गत रखा गया है।
मराठा समुदाय शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहा है। महाराष्ट्र सरकार ने 2018 में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के तहत मराठा समुदाय को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की व्यवस्था की थी लेकिन मई 2021 में उच्चतम न्यायालय ने अन्य आधारों के साथ-साथ कुल आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा पार होने का हवाला देते हुए राज्य सरकार के फैसले को रद्द कर दिया।
जालना जिले में भूख हड़ताल पर बैठे मनोज जारांगे पाटिल ने कहा कि जब तक मराठा समुदाय को शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण देने का सरकारी आदेश (जीआर) जारी नहीं किया जाता है, तब तक वह अपना विरोध प्रदर्शन समाप्त नहीं करेंगे। जालना जिले के अंतरवाली सारथी गांव में शुक्रवार को पुलिस ने हिंसक भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया था और आंसू गैस के गोले छोड़े थे।
मराठा आरक्षण के लिए भूख हड़ताल पर बैठे जारंगे को अधिकारी अस्पताल ले जाना चाहते थे किंतु प्रदर्शनकारियों ने ऐसा नहीं होने दिया, जिसके बाद पुलिस ने यह कार्रवाई की। हिंसा में 40 पुलिसकर्मी सहित कई लोग घायल हो गए और राज्य परिवहन की 15 बसें आग के हवाले कर दी गईं।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि जालना की घटना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है, इस पूरे मामले की जांच अपर पुलिस महासंचालक के माध्यम से कर दोषियों पर उचित कार्रवाई की जाएगी और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।
शिंदे ने कहा कि, मैं भी एक सर्वसामान्य मराठा परिवार में पैदा हुआ हूं। मराठा समाज की वेदनाओं का मुझे पूरा एहसास है। मराठा समाज को मजबूती के साथ आरक्षण मिले इसके लिए सरकार पूर्णतया प्रयासरत है। आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से शुरू था, तब पथराव किसने किया, इसके बारे में जानकारी सामने आ रही है। मराठा समाज की आड़ में कौन राजनीति कर रहा है, ये भी जल्द ही सामने आएगा ।
महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जालना जिले में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस द्वारा की गई लाठीचार्ज पर राज्य सरकार की ओर से खेद व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के निर्णय स्थानीय स्तर पर लिए जाते हैं। महाराष्ट्र सरकार जालना जिले में पुलिस द्वारा किए गए बल प्रयोग पर खेद व्यक्त करती है।
मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने मराठा आरक्षण के लिए जालना में प्रदर्शन कर रहे लोगों से मुलाकात की और कहा कि प्रदर्शनकारियों को उन नेताओं को मराठवाड़ा में घुसने नहीं देना चाहिए जिन्होंने लाठियों से हमला करने तथा प्रदर्शनकारियों को बंदूक का डर दिखाकर पकड़ने का आदेश दिया था। यह तब तक जारी रहना चाहिए जब तक कि नेता माफी न मांग लें। ठाकरे ने कहा कि मैंने आंदोलनकारियों के मुद्दे सुने हैं। मैं कानूनी पहलुओं का अध्ययन करूंगा और उन्हें हल करने के लिए मुख्यमंत्री से बात करूंगा। आज चुनाव नहीं हैं ।
राकांपा नेता एवं राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने दावा किया कि प्रदर्शनकारियों पर जालना जिले में पुलिस ने गृह विभाग से फोन आने के बाद लाठीचार्ज किया था। किसने जालना पुलिस अधीक्षक को फोन किया और प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज करने का आदेश दिया था, इसकी जांच होनी चाहिए। शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने दावा किया था कि लाठीचार्ज का आदेश मुख्यमंत्री और राज्य के गृह मंत्री के कार्यालय से किए गए फोन कॉल पर दिया गया था।