हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स (एचएएल) रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत महारत्न सार्वजनिक उपक्रम है। उसे हल्के लड़ाकू विमान तेजस एमके1ए में देरी के लिए भारतीय वायु सेना की ओर से लगातार आलोचना का सामना करना पड़ा है। तेजस एमके1ए की आपूर्ति फरवरी 2024 से शुरू होनी थी लेकिन कंपनी समय-सीमा के तहत आपूर्ति नहीं कर पाई। एचएएल के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक डीके सुनील से भास्वर कुमार की बातचीत के मुख्य अंश:
एएमसीए प्रोटोटाइप बनाने की होड़ प्रतिस्पर्धा के मद्देनजर कुछ निजी फर्मों ने चिंता जताई है कि स्थितियां एचएएल के पक्ष में हैं। इस पर आप क्या कहेंगे?
प्रोटोटाइप निविदा के लिए मूल्यांकन संबंधी कुछ मानदंड वास्तव में हमारे खिलाफ हैं। उदाहरण के लिए, अगर आपकी ऑर्डर बुक एक निश्चित सीमा से अधिक है तो आपको उस विशिष्ट मानदंड के तहत 100 में से शून्य अंक मिलेंगे। संयुक्त उद्यम या किसी कंसोर्टियम में शामिल होने के बजाय अकेले बोली लगाने से भी अंकों का नुकसान होगा। हमने बैठक में भी अपनी चिंताएं जाहिर की हैं।
क्या इस बात की संभावना है कि कोई कंसोर्टियम या संयुक्त उद्यम ही इसमें बाजी मारेगा, जिसमें एचएएल भी शामिल होगी?
हम एएमसीए के डिजाइन में शामिल रहे हैं और एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी के साथ साझेदारी की है। हालांकि अधिकांश काम एडीए द्वारा किया जा रहा है, लेकिन हम लैंडिंग गियर जैसे उत्पादों में योगदान कर रहे हैं। एएमसीए करीब 2035 तक श्रृंखला उत्पादन करेगी और तब तक हमारी तेजस उत्पादन लाइनें बंद हो जाएंगी। फिलहाल हम अहम क्षमता हासिल करने के लिए निवेश कर रहे हैं। ये निवेश सरकार द्वारा वित्त पोषित हैं।
एएमसीए कार्यान्वयन मॉडल को दूसरे लड़ाकू विमान विनिर्माता को स्थापित करने के रूप में देखा जा रहा है। क्या एचएएल के एकाधिकार को खत्म करने के लिए ऐसा किया जा रहा है?
बिक्री मामूली होने के कारण इस तरह के क्षेत्र में दो प्रतिस्पर्धी कंपनियों के रखने का तर्क नहीं टिकता है। भारतीय वायुसेना ने एएमसीए के 7 स्क्वाड्रन (126 जेट) को शामिल करने की योजना बनाई है। तेजस एमके2 की संख्या 120 है। अगले 15 वर्षों में कुल खरीद में 180 हल्के लड़ाकू विमान एमके1ए, 120 एमके2 और 126 एएमसीए शामिल होंगे। इस प्रकार सालाना 28 से 30 विमान शामिल होंगे। ऐसे में आपको कई विनिर्माताओं को रखने की जरूरत नहीं है। यहां तक कि अमेरिका में बोइंग एवं लॉकहीड मार्टिन, ब्रिटेन में बीएई सिस्टम्स और फ्रांस में दसॉ है। ये कंपनियां बड़े पैमाने पर काम करती हैं और इन प्लेटफॉर्मों को भारी निवेश की आवश्यकता होती है।
आर्थिक दृष्टिकोण से भी देखा जाए तो भारत में दूसरे लड़ाकू विमान विनिर्माता का मामला आकर्षक नहीं है। ऐसा कहा जा रहा है कि सरकार इस क्षेत्र में अन्य कंपनियों को भी लाना चाहती है लेकिन मैं कहना चाहूंगा कि एचएएल पहले से ही समर्थ है। हम 6,500 छोटी, मझोली और बड़ी कंपनियों के साथ काम करते हैं।
वायुसेना का कहना है कि उसे हर साल 35 से 40 लड़ाकू विमानों की जरूरत है और एचएएल का सालाना 24 एमके1ए का उत्पादन पर्याप्त नहीं होगा। इस पर आप क्या कहेंगे?
बेंगलूरु में हमारी दो उत्पादन लाइनें हैं। महाराष्ट्र के नाशिक में पिछले साल एक तीसरी उत्पाद लाइन स्थापित की गई थी और मुझे उम्मीद है कि वहां बनने वाला पहला विमान जुलाई के अंत या अगस्त की शुरुआत तक आ जाएगा। इन कारखानों में सालाना 24 विमानों का उत्पादन होगा। इसके अलावा हमने तेजस उत्पादन के एक महत्त्वपूर्ण हिस्से को आउटसोर्स किया है।
तेजस एमके1ए कार्यक्रम के बारे में क्या अपडेट है?
हमने छह विमानों का उत्पादन पहले ही कर लिया है जो फिलहाल रिजर्व इंजनों के साथ उड़ान भर रहे हैं। जीई एरोस्पेस से एफ404-आईएन20 इंजनों की डिलिवरी में देरी के कारण अस्थायी तौर पर ऐसा किया गया है। पहले इंजन की आपूर्ति अप्रैल में हुई थी और दूसरा इंजन जुलाई के अंत तक आने की उम्मीद है। जीई ने इस साल 12 इंजन की आपूर्ति करने की प्रतिबद्धता जताई है। इस प्रकार चालू वित्त वर्ष के अंत तक 12 विमानों की डिलिवरी हो जाएगी।