इस सप्ताह के अंत में जी-20 देशों के नेताओं के शिखर सम्मेलन से पहले, आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ के नेतृत्व में जी 20 वित्त प्रतिनिधियों ने मंगलवार को क्रिप्टो संपत्तियों और कमजोर देशों के ऋण संकट के लिए एक नियामक ढांचे को अंतिम रूप देने के मकसद के साथ चर्चा शुरू की।
जुलाई में गांधीनगर में वित्त से जुड़ी तीसरी जी20 बैठक के बाद वित्त प्रतिनिधियों को बैठक में क्रिप्टो परिसंपत्तियों से जुड़े पत्र पर विचार करना है जो पिछले सप्ताह सदस्य देशों के बीच वितरित किया गया था। यह पत्र संयुक्त रूप से वित्तीय स्थिरता बोर्ड (एफएसबी) और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा तैयार किया गया है। आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव अजय सेठ 5 सितंबर और 6 सितंबर को दो दिवसीय चर्चा में सदस्य देशों के प्रतिनिधियों के साथ भारतीय पक्ष का नेतृत्व कर रहे हैं।
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वित्त मंत्री ने ट्वीट किया, ‘जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन से पहले नई दिल्ली में वित्त प्रतिनिधियों की बैठक में चर्चा चल रही है। प्रतिनिधि जी-20 फाइनैंस ट्रैक कार्य समूह 2023 और जी-20 भारत की अध्यक्षता के नतीजों को अंतिम रूप देने पर विचार-विमर्श कर रहे हैं।’
एफएसबी की शुरुआती रिपोर्ट में भारत की कुछ प्रमुख चिंताओं पर बात नहीं की गई थी। एफएसबी रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि यह क्रिप्टो परिसंपत्ति गतिविधियों से संबंधित सभी विशिष्ट जोखिम श्रेणियों को व्यापक रूप से कवर नहीं करता है, जैसे कि मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद के लिए की जाने वाली फंडिंग को रोकना, डेटा गोपनीयता, साइबर सुरक्षा, उपभोक्ता और निवेशक संरक्षण, बाजार अखंडता, प्रतिस्पर्धा नीति, कराधान, मौद्रिक नीति और संप्रभुता तथा अन्य व्यापक आर्थिक चिंताएं आदि।
भारत की जी 20 अध्यक्षता में क्रिप्टो परिसंपत्तियों के लिए विभिन्न संस्थानों द्वारा किए जा रहे विभिन्न कार्यों का संक्षिप्त लेखा-जोखा रखा गया है। इसके अलावा, कमजोर देशों के लिए ऋण के मुद्दे पर वित्त प्रतिनिधियों द्वारा समाधान के लिए समय-सीमा के सुझाव पर चर्चा करने की उम्मीद है। कम और मध्यम आय वाले देशों के लिए दुनिया का सबसे बड़ा द्विपक्षीय लेनदार चीन, कमजोर देशों के ऋण समाधान पर एक सामान्य समझ बनाने के लिए अभी तक सहमत नहीं हुआ है।
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जी-20 चर्चाओं में भारत के लिए प्राथमिकता वाला क्षेत्र, ऋण संकट कोविड संकट के बाद और बढ़ गया है और विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और चीन के साथ-साथ निजी कर्जदाताओं के बीच बातचीत हुई है। सूत्रों के अनुसार जी-20 देश कमजोर देशों के कर्ज के लिए एक समान नियम बनाने के इच्छुक नहीं हैं।
प्रतिनिधियों की इस बैठक में बहुपक्षीय विकास बैंकों को मजबूत करने पर विशेषज्ञ समूह की रिपोर्ट के पहले भाग पर भी चर्चा होने की संभावना है। रिपोर्ट का दूसरा भाग अक्टूबर में जारी किया जाएगा, जिसमें आईएमएफ की वार्षिक बैठक से पहले वित्त मंत्री चर्चा करेंगे। भारत वित्त प्रतिनिधियों की बैठक के दौरान डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे पर भी जोर देगा।