चिकित्सा उपकरण बनाने वाली पुणे की कंपनी बायोरैड मेडिसिस एक ऐसा उपकरण विकसित कर रही है जिसे मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए शरीर में इंप्लांट किया जा सकता है। यह उपकरण वेगस नर्व स्टिमुलेशन (वीएनएस) तकनीक का उपयोग करके रक्त शर्करा को नियंत्रित करने, इंसुलिन संवेदनशीलता एवं उसके स्राव में सुधार लाने और भूख को नियंत्रित करते हुए मोटापे को कम करने में मदद करेगा। इसे मधुमेह चिकित्सा के क्षेत्र में एक बड़ी सफलता मानी जा रही है। हाल में बारोरैड ने अमेरिकी कंपनी रीशेप लाइफसाइंसेज की कुछ परिसंपत्तियों का अधिग्रहण किया है।
बायोरैड मेडिसिस के प्रबंध निदेशक जेएम हेगड़े ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘यह एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव साबित होने वाला है। अगर आप जीएलपी-1 श्रेणी की दवाओं पर गौर करेंगे तो पता चलेगा कि उनके परिणाम काफी अच्छे रहे हैं लेकिन फिलहाल कोई नहीं जानता कि अगले कुछ वर्षों में कितने लोग इसे छोड़ देंगे।’ उन्होंने कहा, ‘मगर इस नवाचार में कोई टैबलेट या रसायन मौजूद नहीं है। यह हमारे अंगों को उत्तेजित करते हुए शरीर में इंसुलिन के उत्पादन एवं मौजूदगी में संतुलन पर ध्यान देता है। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे पेसमेकर हृदय रोग में काम करता है। हम शरीर के भीतर एक स्टिमुलेटर लगाने की योजना बना रहे हैं।’
हेगड़े ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया में पशुओं पर इसका परीक्षण पूरा हो चुका है और भारत में भी इसी तरह के परीक्षण की योजना है। हेगड़े ने अनुमान जाहिर कि इस परीक्षण की लागत 50 से 60 लाख डॉलर होगी। उन्होंने कहा, ‘मानव पर इसका परीक्षण अगले साल के आखिर तक शुरू होने की उम्मीद है।’
शरीर में ग्लूकोज होमोस्टेसिस, इंसुलिन स्राव और सूजन सहित मेटाबोलिक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करने में वेगस नर्व महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वीएनएस इन आंतरिक प्रक्रियाओं का फायदा उठाते हुए रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करता है।
पशुओं पर किए गए अध्ययन से संकेत मिलता है कि वीएनएस पूरे शरीर और मस्तिष्क में इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ा सकता है। साथ ही यह अग्न्याशय से इंसुलिन एवं जीएलपी-1 स्राव को बढ़ा सकता है। वीएनएस सूजन को भी कम कर सकता है, जो टाइप-2 मधुमेह का एक प्रमुख कारण है। इसके अलावा वीएनएस भूख एवं तृप्ति को नियंत्रित करने वाले हार्मोन को प्रभावित करता है। कई अध्ययन में इसे वजन घटाने से जोड़ा गया है जो मोटापे संबंधी मधुमेह उपचार में मददगार हो सकता है।
मधुमेह के उपचार के लिए वीएनएस पर काम जारी है। मगर अमेरिकी औषधि नियामक यूएसएफडीए इसे पहले से ही मिर्गी एवं डिप्रेशन के उपचार के लिए मंजूरी दे चुका है।
बायोरैड मेडिसिस ने रीशेप-व्योम थेराप्यूटिक्स के विलय के साथ ही रीशेप लाइफसाइंसेस की परिसंपत्ति का पूरा अधिग्रहण कर लिया है। यह अधिग्रहण बायोरैड मेडिसिस की विस्तार रणनीति के अनुरूप है जिसके तहत वह अपनी वैश्विक मौजूदगी और डिवाइस पोर्टफोलियो का विस्तार कर रही है। कंपनी ने एक नई सहायक इकाई मेड्टिमो इंक के जरिये अमेरिकी बाजार में दस्तक दी है जो अधिग्रहित संपत्ति के एकीकरण और उसके कारोबार की देखरेख करेगी।
बायोरैड मेडिसिस अपने कुल कारोबार का करीब 4 फीसदी हिस्से का निवेश अनुसंधान एवं विकास मद में करती है। उसके आरऐंडडी इकाई में 200 से अधिक इंजीनियर कार्यरत हैं। पिछले तीन वर्षों के दौरान उसकी आय में 56 फीसदी की चक्रवृद्धि दर से बढ़ी है।