तमाम महत्त्वपूर्ण घटनाओं से भरपूर रहा साल 2025 अब कुछ ही सप्ताह में अलविदा होने वाला है। ऐसे में शीर्ष नीति निर्माता, बैंकर और आर्थिक विशेषज्ञ उत्तर प्रदेश के महत्त्वपूर्ण विकास एजेंडे पर मंथन के लिए 19 नवंबर को लखनऊ में एकत्र होंगे।
बिज़नेस स्टैंडर्ड के ‘समृद्धि 2025’ कार्यक्रम में विशेषज्ञ अर्थव्यवस्था, विकास, कृषि, बुनियादी ढांचा आदि से संबंधित उन विषयों पर विचार-विमर्श करेंगे जो सीधे तौर राज्य की वृद्धि को प्रभावित करते हैं। यह कार्यक्रम उद्योग के प्रमुख लोगों, नीति निर्माताओं, बैंकरों और उद्यमियों को एक साझा मंच पर लाता है। इस कार्यक्रम में वृद्धि संबंधी एजेंडे के महत्त्वपूर्ण पहलुओं को समझने के लिए उद्घाटन सत्र और पैनल चर्चा शामिल हैं।
साल 2030 तक 1 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था और 2047 तक 6 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य के साथ उत्तर प्रदेश एक पिछड़े राज्य की अपनी अतीत की छवि से काफी पहले उबर चुका है। कई सामाजिक-आर्थिक मानदंडों के लिहाज से उत्तर प्रदेश को अभी भी कुछ सफर तय करना बाकी है। मगर उसने एक्सप्रेसवे, हवाई अड्डे, लॉजिस्टिक्स आदि तमाम मेगा इन्फ्रा परियोजनाओं में बेहद कुशलतापूर्वक तमाम महत्त्वपूर्ण पड़ाव हासिल किए हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार भलीभांति जानती है कि उत्तर प्रदेश को भारत के अगले विकास इंजन के रूप में आगे बढ़ाने और बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए चौतरफा रणनीति बनाने और एक अलग सोच, योजना एवं कार्यान्वयन की आवश्यकता होगी।
सरकार को इस कठिन कार्य को पूरा करने में वित्तीय संस्थानों, बैंकों, निजी क्षेत्र की कंपनियों, अनुसंधान संगठनों, बाजार संस्थानों आदि के साथ साझेदारी करने की जरूरत होगी। यही कारण है कि योगी सरकार ने बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित करने के लिए नीतियों का एक मजबूत ढांचा तैयार किया है ताकि इस उद्देश्य को हासिल किया जा सके।
उत्तर प्रदेश ने फरवरी 2023 में आयोजित यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (जीआईएस) के दौरान करीब 40 लाख करोड़ रुपये के 19,000 से अधिक निवेश प्रस्ताव हासिल किए थे।
तथ्य यह भी है कि उत्तर प्रदेश अगले कुछ सप्ताह में निजी क्षेत्र की 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं को लॉन्च करने के लिए एक विशाल शिलान्यास कार्यक्रम (जीबीसी 5.0) की मेजबानी करने की योजना बना रहा है।
मार्च 2017 में राज्य की सत्ता संभालने के बाद योगी सरकार द्वारा आयोजित पिछले चार जीबीसी के तहत कुल 15 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं पहले ही शुरू हो चुकी हैं। इसके अलावा कारोबारी सुगमता के माहौल का भी उत्तर प्रदेश को फायदा मिल रहा है। इससे न केवल उसके सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) को रफ्तार मिल रही है बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा हो रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में भारत का सबसे बड़ा स्टार्टअप परिवेश है, जबकि चालू कारखानों की तादाद के लिहाज से वह चौथे पायदान पर है। योगी सरकार राज्य की समृद्ध प्राकृतिक संपदा, व्यापक कृषि आधार, कुशल मानव संसाधन और आकांक्षी युवाओं की ताकत का फायदा उठा रही है।
एक्सप्रेसवे, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों की बढ़ती तादाद, प्रस्तावित लॉजिस्टिक्स एवं निर्यात केंद्र आदि उत्तर प्रदेश को निवेश की राह पर काफी आगे बढ़ा रहे हैं। विकास के इस बहुआयामी स्वरूप के बीच ‘समृद्धि 2025’ कार्यक्रम उत्तर प्रदेश की वृद्धि गाथा में एक नया आयाम जोड़ने का वादा करता है।