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स्वास्थ्य पर परिवारों ने किया कम खर्च

Last Updated- April 25, 2023 | 11:38 PM IST
IBC: Dues of employees not in priority: Court
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स्वास्थ्य सेवा के लिए परिवारों द्वारा किए जाने वाला खर्च वर्ष 2014-15 के 62.6 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2019-20 में 47 प्रतिशत हो गया है। वर्ष 2019-20 के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा (एनएचए) अनुमानों के अनुसार, कुल स्वास्थ्य खर्च में सरकार की हिस्सेदारी में वृद्धि हुए है जिसके कारण परिवारों को स्वास्थ्य सेवा पर कम खर्च करना पड़ रहा है। सकल घरेलू उत्पाद ( जीडीपी) में स्वास्थ्य से जुड़े खर्च की हिस्सेदारी के रूप में देखा जाए तो यह वर्ष 2014-15 के 1.13 प्रतिशत से मामूली रूप से बढ़कर वर्ष 2019-20 में 1.35 प्रतिशत हो गई।

निजी स्वास्थ्य बीमा के रुझान में भी तेजी के संकेत हैं और यह 2014-15 के 3.7 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2019-20 में 7 प्रतिशत हो गई है जिसमें आयुष्मान भारत जैसी सरकारी योजनाओं के साथ-साथ परिवारों द्वारा खर्च में कमी करने जैसे कारक का भी योगदान है।

सरकार ने 2025 तक स्वास्थ्य व्यय को जीडीपी के 2.5 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा था। अधिकारियों ने कहा कि दो और साल बचे हैं और आंकड़ों से पता चलता है कि देश सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। जीडीपी के हिस्से के रूप में, सरकारी स्वास्थ्य खर्च 2018-19 में 1.28 प्रतिशत की गिरावट दर्ज करने के बाद वर्ष 2017-18 के स्तर पर वापस चला गया है।

नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल ने कहा, ‘हम खर्च बढ़ाने की दिशा में हैं और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज का हमारा लक्ष्य स्पष्ट है। देश इसके लिए पूरा प्रयास कर रहा है। हम स्वास्थ्य पर किए गए हाल के खर्च का भी हिसाब लगाएंगे।’ प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य व्यय वर्ष 2014-15 से वर्ष 2019-20 तक लगभग दोगुना होकर 1,108 रुपये से 2,014 रुपये हो गया है।

पॉल ने कहा, ‘आप देख सकते हैं कि कई तरह की चुनौतियों और प्राथमिकता के बावजूद आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं के साथ नागरिकों की कठिनाइयों को कम करने की दिशा में हमारा कदम जारी है।’पिछले वर्ष की तुलना में वर्ष 2019-20 में कुल सरकारी स्वास्थ्य व्यय में 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जबकि कुल स्वास्थ्य व्यय में 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

पॉल ने कहा, ‘हम अपनी नीतियों को निर्धारित करने के लिए इस डेटा का सार्थक रूप से इस्तेमाल करना चाहते हैं। राज्यों को अपने डेटा पर काम करना चाहिए ताकि उन्हें अंदाजा लग सके कि वे अपने बजट में स्वास्थ्य खर्च की हिस्सेदारी को 8 प्रतिशत तक कैसे बढ़ा सकते हैं।’पॉल ने कहा कि राज्यों द्वारा औसत खर्च 8 प्रतिशत के वांछित स्तर से काफी कम है और लगभग 4.5 से 5 प्रतिशत के दायरे में है।

उन्होंने कहा, ‘राज्य सरकार को स्वास्थ्य और शिक्षा के प्रति अपने निवेश को सही दिशा में जारी रखना चाहिए। स्वास्थ्य राज्य का विषय है।’ क्या सरकार आयुष्मान भारत योजना का दायरा बढ़ाने के लिए काम कर रही है, इस पर पॉल ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए आंतरिक स्तर पर चर्चा कर रही है कि सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज का लक्ष्य हासिल करने के लिए भारत के लोगों को स्वास्थ्य कवर उपलब्ध हो।

उन्होंने कहा कि मध्यम वर्ग बीमा योजनाओं को आसानी से खरीद सकता है और यह भी देश की एक महत्त्वपूर्ण जरूरत है। स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि आगे प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल को उच्च स्तर तक बढ़ाने की आवश्यकता है।

First Published - April 25, 2023 | 11:38 PM IST

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