देश में सेमीकंडक्टर उद्योग को रफ्तार देने के वास्ते स्टार्टअप और वेंचर कैपिटल कंपनियां एक मजबूत और सहायक परिवेश बनाने पर जोर दे रही हैं। सेमीकॉन इंडिया 2025 के दौरान उद्योग के अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे इस तरह का परिवेश बनाने से न सिर्फ घरेलू सेमीकंडक्टर परिदृश्य मजबूत होगा बल्कि देश भी वैश्विक बाजार में एक प्रतिस्पर्धी के तौर पर स्थापित होगा।
सेमीकंडक्टर कंपनी थर्ड आईटेक की संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी वृंदा कपूर ने कहा, ‘चीन जैसी अर्थव्यवस्था के सामने एक चुनौती यह है कि हमारा परिवेश अभी भी काफी हद तक टुकड़ों में है। चीन में आपके पास मूल उपकरण विनिर्माता (ओईएम), विभिन्न सेमीकंडक्टर थे, जो आपूर्ति श्रृंखला को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण थे। इसके अलावा सरकारी प्रोत्साहन और वेंचर कैपिटल जैसी चीजें भी पहले से ही मौजूद थीं। आपको अगले पांच साल तक ऑर्डर बुक पता था। जैसे-जैसे ओईएम का विस्तार हुआ उनके साथ अन्य चीजें भी बढ़ती चली गईं। हमें परिवेश का कम से कम शुरुआती चरण बनाना होगा।’
कपूर की बातों से इत्तफाक रखते हुए फैबलेस सेमीकंडक्टर डिजाइन स्टार्टअप माइंडग्रोव टेक्नॉलजीज के मुख्य कार्य अधिकारी शाश्वत टीआर ने कहा कि देश को सिर्फ चिप ही नहीं बल्कि पूरे मॉड्यूल और सिस्टम बनाने में सक्षम होना चाहिए।
हीरो समूह की प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्यम हीरो इलेक्ट्रॉनिक्स के मुख्य कार्य अधिकारी निखिल राजपाल ने कहा कि स्टार्टअप कंपनियों को सरकारी मांग और ओईएम से प्रोत्साहन और विस्तार मिल सकता है। उन्होंने कहा, ‘हमें ऐसी कंपनियां बनानी होंगी जो स्थापित वैश्विक फर्मों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकें। इसलिए, उन्हें यह देखना होगा कि मांग कहां से आ रही है। रक्षा या सुरक्षा जैसे क्षेत्र हैं, जहां विनियमन ने वास्तविक अवसर पैदा किए हैं। मगर वृद्धि का एक तरीका यह हो सकता है कि हमारी तरह ओईएम एक साथ आएं और स्टार्टअप को मूल्य-प्रतिस्पर्धी होने के लिए कुछ प्रारंभिक स्तर प्रदान करें।’
भारत इनोवेशन फंड के सह-संस्थापक और पार्टनर सोम पाल चौधरी ने निवेशकों के नजरिये को सामने रखते हुए कहा कि सेमीकंडक्टर क्षेत्र में कुछ स्टार्टअप की सफलता की कहानियां सामने आने के बाद पूंजी तक पहुंच आसान हो जाएगी।