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दिल्ली में 1 जुलाई से लागू होगा नया फ्यूल नियम: 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को नहीं मिलेगा ईंधन

दिल्ली और इसके आस-पास के शहरों में हर साल सर्दियों के दौरान वायु प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है।

Last Updated- June 21, 2025 | 9:18 AM IST
Delhi to impound old vehicles at fuel stations starting July 1: CAQM
Representative Image

1 जुलाई से दिल्ली में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को पेट्रोल पंप से फ्यूल नहीं मिलेगा। यह नियम अब पूरे देश में रजिस्टर्ड पुराने वाहनों पर लागू होगा, भले ही वे किसी भी राज्य से पंजीकृत हों। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने 21 जून को इसकी पुष्टि की।

यह कदम उन लोगों के लिए बड़ा झटका है जो दिल्ली में नियमों से बचने के लिए अपने पुराने वाहनों को दूसरे राज्यों में रजिस्टर करवा रहे थे। आयोग ने अप्रैल में ही यह निर्देश जारी किया था कि 1 जुलाई से ऐसे ओवरएज वाहनों को ईंधन न दिया जाए।

सीएक्यूएम (CAQM) के तकनीकी सदस्य वीरेंद्र शर्मा ने कहा, “हमारे दिशा-निर्देशों में ऐसा नहीं है कि सिर्फ दिल्ली में रजिस्टर्ड एंड ऑफ लाइफ (EOL) वाहनों को ही ईंधन नहीं मिलेगा। दिल्ली की सड़कों पर बाहर के राज्यों से पंजीकृत वाहन भी चलते हैं और ये भी प्रदूषण फैलाते हैं। अगर दिल्ली के लोग जानबूझकर अपने वाहन बाहर रजिस्टर्ड करवा रहे हैं, तो इस प्रवृत्ति को रोका जाना चाहिए। हमें पता है कि ऐसा हो रहा है।”

दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण और लोगों की परेशानी

दिल्ली और इसके आस-पास के शहरों में हर साल सर्दियों के दौरान वायु प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है। अक्सर एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (AQI) ‘गंभीर’ या ‘गंभीर से भी ज्यादा’ श्रेणी में पहुंच जाता है, जो खासतौर पर बच्चों और बुजुर्गों के लिए खतरनाक होता है।

पिछले साल हुए एक सर्वे में सामने आया था कि दिल्ली-एनसीआर के 75% परिवारों में कम से कम एक सदस्य को लगातार खांसी या गले में खराश की शिकायत रहती है। वहीं, आधे परिवारों ने बताया कि उनके किसी न किसी सदस्य को दम घुटने या अस्थमा जैसी दिक्कतें हो रही हैं, जिसकी बड़ी वजह जहरीली हवा है।

VAHAN सिस्टम से जुड़कर पुराने और बिना पीयूसी वाहनों की होगी पहचान

दिल्ली में अब पेट्रोल पंपों पर लगे कैमरे पुराने और नियम तोड़ने वाले वाहनों की पहचान करेंगे। राजधानी के 520 में से 500 फ्यूल स्टेशनों पर ऑटोमेटेड नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR) कैमरे लगाए जा चुके हैं। बाकी बचे हुए पंपों पर यह व्यवस्था 30 जून तक पूरी कर दी जाएगी।

ये कैमरे वाहन की नंबर प्लेट स्कैन करके VAHAN डेटाबेस से उसकी जानकारी निकालते हैं, जैसे गाड़ी कितनी पुरानी है और उसका पंजीकरण वैध है या नहीं। साथ ही ये ये भी पता करते हैं कि वाहन के पास वैध पॉल्यूशन सर्टिफिकेट है या नहीं।

अगर कोई गाड़ी नियमों का उल्लंघन करती पाई जाती है तो कैमरे तुरंत इसका अलर्ट कंट्रोल रूम को भेजेंगे। इसके बाद ट्रैफिक पुलिस और परिवहन विभाग की टीम मौके पर पहुंचकर ऐसे वाहनों को जब्त करेगी।

दिल्ली से सटे पांच जिलों—गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाज़ियाबाद, गौतम बुद्ध नगर (नोएडा) और सोनीपत—में 1 नवंबर से ईंधन बिक्री पर रोक लागू कर दी जाएगी। इन जिलों में 31 अक्टूबर तक एएनपीआर (ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन) कैमरे लगाए जाने की तैयारी है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के बाकी जिलों में यह नियम 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा। तब तक वहां भी एएनपीआर कैमरे लगाना जरूरी होगा।

EOL बसों पर भी रहेगी नजर, सरकारी और निजी दोनों शामिल

दिल्ली-एनसीआर में अब पुरानी वाणिज्यिक बसों (EOL बसों) पर भी सख्ती की जाएगी, चाहे वे निजी हों या सरकारी, और देश के किसी भी हिस्से में रजिस्टर्ड हों। इन्हें ANPR कैमरों से पहचाना जाएगा। हालांकि, इनकी आवाजाही पर रोक के लिए अलग से दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।

शर्मा ने बताया कि ट्रैफिक और परिवहन विभाग के 100 प्रवर्तन दल तैनात किए गए हैं।

उन्होंने कहा कि अगर कोई पेट्रोल पंप नियमों का उल्लंघन करता पाया गया तो उसके खिलाफ कानून के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।

दिल्ली में अब तक 62 लाख पुराने और तय समय सीमा के बाद चलने वाले (EOL) वाहनों की पहचान की गई है, जिनमें से 41 लाख दोपहिया वाहन हैं। पूरे एनसीआर में ऐसे वाहनों की संख्या करीब 44 लाख है, जो ज़्यादातर पांच बड़े शहरों में केंद्रित हैं।

शर्मा ने कहा कि तय तारीखों के बाद पेट्रोल पंपों को ऐसे वाहनों में ईंधन भरने से इनकार करना होगा। इसके अलावा, संबंधित एजेंसियों को इन वाहनों को जब्त करने और स्क्रैपिंग के लिए भेजने जैसे कानूनी कदम उठाने होंगे। यह कार्रवाई Registered Vehicle Scrapping Facility (RVSF) नियमों के तहत की जाएगी। वाहन मालिक अगर चाहें, तो अपने पुराने वाहन को दिल्ली से बाहर ले जाने के लिए नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) भी ले सकते हैं।

सड़क पर ऐसे वाहनों की पहचान के लिए ट्रैफिक सर्विलांस सिस्टम और इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर्स का इस्तेमाल किया जाएगा।

यह निर्देश इसलिए जारी किए गए हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल के आदेशों के बावजूद एनसीआर से प्रदूषण फैलाने वाले पुराने वाहनों को हटाने में अब तक खास प्रगति नहीं हुई है।

First Published - June 21, 2025 | 9:18 AM IST

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