Bharat NCAP: केंद्र ने क्रैश टेस्टिंग में सुरक्षा रेटिंग की देश की पहली व्यवस्था ‘भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (एनकैप)’ शुरू की है। पिछले साल घोषित यह रेटिंग व्यवस्था केंद्रीय भूतल परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को शुरू की। वाहन कंपनियों के लिए यह अनिवार्य नहीं बल्कि स्वैच्छिक है। इसके कंपनियों को अपने वाहनों का परीक्षण कराने और क्रैश परीक्षण में उनके प्रदर्शन एवं अन्य सुरक्षा मानदंडों के आधार पर स्टार रेटिंग पाने का विकल्प होगा। यह रेटिंग वाहन उद्योग मानक (एआईएस) 197 पर आधारित होगी।
फिलहाल देश में कारों के लिए कोई अनिवार्य सुरक्षा परीक्षण एवं मानक नहीं हैं। वैश्विक एनकैप भी स्वैच्छिक रेटिंग कार्यक्रम है और महंगा होने के कारण कुछ ही कार विनिर्माता उसका इस्तेमाल करते हैं। मारुति सुजूकी सहित कई भारतीय कार विनिर्माताओं ने वैश्विक एनकैप की प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं क्योंकि उसकी रेटिंग में भारतीय कारों का प्रदर्शन हमेशा खराब दिखता है।
गडकरी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा रेटिंग के लिए कारों की दुर्घटना परीक्षण का खर्च 2.5 करोड़ रुपये है जबकि भारत एनकैप व्यवस्था के तहत इस पर 60 लाख रुपये की लागत आती है। गडकरी ने कहा कि देश भर के मूल उपकरण विनिर्माता (ओईएम) दुर्घटना परीक्षण के लिए पहले ही 30 मॉडल भेज चुके हैं।
कई विशेषज्ञों ने इस पर सहमति जताई है कि मौजूदा व्यवस्था के तहत ओईएम को अपने वाहनों का परीक्षण न कराने के बजाय ग्लोबल एनकैप से भारत एनकैप में आना बेहतर लग सकता है।
देश की प्रमुख कार विनिर्माता कंपनी मारुति सुजूकी ने कहा है कि वह भारत एनकैप परीक्षण के पहले चरण में कम से कम तीन मॉडल को परखेगी। मारुति सुजूकी के कंपनी मामलों के कार्याधिकारी राहुल भारती ने कहा कि भारत में पेश की जाने वाली कोई भी कार सरकार द्वारा निर्धारित अनिवार्य सुरक्षा मानकों का पालन करती है। अतिरिक्त सुरक्षा चाहने वाले ग्राहकों के लिए भारत एनकैप व्यवस्था प्रामाणिक और उद्देश्यपूर्ण रेटिंग प्रणाली है। ह्युंडै मोटर इंडिया, किया इंडिया और टाटा मोटर्स जैसी अन्य वाहन कंपनियों ने भी इस कदम का स्वागत किया है।
वाहन क्षेत्र के विशेषज्ञों ने भी कहा कि कारों की सुरक्षा पर भारत एनकैप का उल्लेखनीय असर होगा। डेलॉयट में पार्टनर एवं कंज्यूमर इंडस्ट्री लीडर (एशिया प्रशांत) राजीव सिंह ने कहा, ‘परीक्षण के नियम पूरी तरह स्वैच्छिक हैं। हालांकि ग्राहक सुरक्षा और स्वास्थ्य लेकर ज्यादा सजग हो रहे हैं, इसलिए बाजार की मांग को देखते हुए कार विनिर्माताओं को अपने वाहनों की सुरक्षा परीक्षण कराने पर मजबूर होना होगा।’ इससे थोड़े समय के लिए वाहन क्षेत्र की लागत बढ़ सकती है।
अलघ ऐंड कपूर लॉ ऑफिसेस में पार्टनर अविरल कपूर ने कहा, ‘सुरक्षा फीचर में निवेश के कारण वाहनों की लागत बढ़ सकती है लेकिन इससे होने वाले सुरक्षा लाभ बढ़ी लागत की तुलना में कहीं ज्यादा होंगे। भारतीय वाहन उद्योग को शोध एवं विकास पर भी खर्च करना होगा। उन्हें अपनी कारों को भारत एनकैप परीक्षण के लिए भेजना होगा और ग्राहकों को सुरक्षा रेटिंग के बारे में जागरूक करना तथा भारत एनकैप नियमनों का पालन करना होगा।’
डीएसके लीगत के पार्टनर मोहित बख्शी ने कहा, ‘वाहन खरीदते समय ग्राहकों के मन में केवल उसकी कीमत ही एकमात्र मानदंड नहीं होता है। वाहन की गुणवत्ता और सुरक्षा फीचर पर का भी वह ध्यान रखते हैं।’
गडकरी ने ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एआरएआई) तथा नैशनल ऑटोमोटिव टेस्ट ट्रैक जैसी एजेंसियों से इन-हाउस क्रैश परीक्षण सुविधा विकसित करने की अपील की है।