राजस्थान सरकार ने उदयपुर में साम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ने की आंशका को देखते हुए एक बड़ा निर्णय लेते हुए सार्वजनिक स्थलों पर धार्मिक झंडे फहराने पर रोक लगा दी। बड़ी बात यह है कि धार्मिक झंडे फहराने पर प्रतिबंध करीब दो माह तक लागू रहेगा।
उदयपुर के जिला कलक्टर ताराचंद मीणा ने बुधवार को आदेश जारी कर उदयपुर जिले के समस्त शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक संपत्ति या अन्य व्यक्ति की संपत्ति पर 5 अप्रैल से अगले दो माह तक धार्मिक प्रतीक वाले झंडे लगाने पर रोक लगा दी है। सभी नागरिकों इस आदेश का पालन और उल्लघंन नहीं करने के निर्देश दिए गए हैं। आदेश का उल्लघंन करने वाले व्यक्ति को IPC की धारा 188 के तहत अभियोजित किया जा सकेगा।
जिला कलक्टर की तरफ से जारी आदेश में बताया गया है कि उदयपुर दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 144 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जिला कलक्टर ने शासकीय भवनों, निगम भवनों, सार्वजनिक सामुदायिक भवनों, जैसे रेस्ट हाउस, सार्वजनिक पार्क, चौराहे, बिजली और टेलीफोन के खंभे और सार्वजनिक भवनों पर सहमति के बिना धार्मिक प्रतीकों वाले झंडों को फहराने पर रोक लगा दी है।
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राजस्थान पुलिस ने कुंभलगढ़ किले में भगवा झंड़ा फहराने के आरोप में 5 पांच लोगों को गिरफ्तार किए जाने के कुछ दिनों बाद यह आदेश जारी किया। गौरतलब है कि धार्मिक उपदेशक धीरेंद्र शास्त्री ने 23 मार्च को ऐसा करने के लिए कहा था। कुम्भलगढ़ किले में एक विशेष रंग के झंडे को भगवा झंडे से बदलने की मांग करने वाले बयान पर पुलिस ने उनके खिलाफ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने सहित कई अन्य धाराओं के तहत मामला भी दर्ज किया था।