डाइची सांक्यो द्वारा रैनबेक्सी का 4.6 अरब डॉलर में अधिग्रहण किए जाने के बाद अवंतीज सनोफी 2 अरब डॉलर में चेक कंपनी जेनटिवा पर नियंत्रण करने की तैयारी कर रही है।
इस समय वैश्विक फार्मा बाजार में दवा बनाने वाली फार्मा और बड़ी जेनेरिक कंपनियां अपनी प्रतिद्वंद्वी छोटी जेनेरिक कंपनियों पर कब्जा जमाने की होड़ में लगी हुई हैं ताकि वे तेजी से फैलाव, वृध्दि हासिल करने के साथ-साथ बाजार में बने जेनेरिक अवसरों का लाभ उठा सकें। सन फार्मा की हसरतें भी इससे जुदा नहीं है।
वह ऐसे प्रतिद्वंद्वियों की टोह में है जिससे उसका पोर्टफोलियो बढ़ सके और वितरण नेटवर्क में इजाफा हो। कंपनी के लिए पिछले काफी समय से चल रही इजराइली कंपनी टैरो के अधिग्रहण की कोशिश में कामयाब होना खासा अहम होगा। इसके जरिए वह अमेरिकी फार्मा बाजार में अपने पैठ बनाने के साथ प्रॉडक्ट पोर्टफोलियो के विस्तार में भी सफल रहेगी। फार्मा बाजार को उम्मीद है कि इस डील के रास्ते में आ रही कई बातों का अगले कुछ महीनों में समाधान हो सकता है। उम्मीद की जानी चाहिए कि सन जल्दी ही इस डील के करीब होगी।
विलय और अधिग्रहण की राह
पिछले डेढ़ दशक में सन ने 13 कंपनियों और ब्रांडों का अधिग्रहण किया है। इससे उसके हाथ न केवल नए बाजार और प्रॉडक्ट लगे, बल्कि उसकी उत्पादन क्षमता 10 फार्मुलेशन इकाई और 7 एपीआई इकाई तक फैल गई। यह यूनिट भारत, अमेरिका और हंगरी तक फैली हुई हैं।
टैरो सन का नया लक्ष्य है। यह इसलिए भी खासा अहम है क्योंकि टैरो को उसकी बिक्री का 90 फीसदी लगभग 25 से 30 करोड़ डॉलर अमेरिकी बाजारों से मिलता है। पिछले कुछ सालों से रिकार्ड बिक्री और मार्जिन हासिल कर रहे सन के लिए यह सौदा खासा अहम साबित होगा। इस भारतीय कंपनी के लिए टैरो का प्रॉडक्ट बास्केट भी खासा अहम है। इसमें उसकी डर्मेटोलॉजी और पेडियाट्रिक्स क्षेत्र में मौजूदगी खासी अहम है।
डील की सूरत में सन को इन क्षेत्रों में कदम जमाने का अवसर मिल जाएगा। इसके साथ ही उसे टैरो के कॉर्डियोवस्क्युलर, न्यूरो-साइकियाट्रिक और एंटी इन्फ्लेमेट्री जैसे प्रॉडक्ट अपने बाजार के लिए मिल जाएंगे। इतना ही नहीं टैरो के पास 100 एएनडीए यानी एब्रिवेटेड, न्यू ड्रग एप्लिेकशन की मंजूरी है। इसके साथ ही उसे 26 नए आवेदनों को मंजूरी मिलने की प्रतीक्षा है। इनके जरिए सन को अमेरिका और कनाडा के बाजारों में गहरी पैठ बनाने का अवसर मिलेगा।
यह डील सन के लिए खासी अहम रखती है। हालांकि मार्च 2007 में टैरो बोर्ड ने करार को यह कहकर नामंजूर कर दिया था कि लगाई गई कीमत बेहद कम है। सन प्रबंधन टैरो के अधिग्रहण को लेकर काफी आश्वस्त है।
जेनेरिक बाजार में संभावनाएं
सन फार्मा का राजस्व और मार्जिन बढ़ाने में उसके विदेशी ऑपरेशन का अहम योगदान है। 2007 में निर्यात 43 फीसदी था जो 2008 में बढ़कर कुल बिक्री का 55 फीसदी हो गया। अमेरिका को होने वाला उसका निर्यात पिछले तीन सालों में 70 फीसदी बढ़ा है, जबकि शेष विश्व को होने वाली बिक्री 39 फीसदी बढ़ी है। इस दौरान घरेलू ब्रांडेड बिक्री 29 फीसदी सालाना की दर से बढ़ी।
कंपनी की दो अहम जेनेरिक दवा, ट्रिलेप्टल (ऑक्सकार-बेजेपाइन) जो ऑपरेशन से बचाती है और प्रोटोनिक्स (पेंटोप्राजोल) जो अल्सर केउपचार में काम आती है, की बिक्री बढ़कर 500 करोड़ रुपये हो गई, जबकि इनका अमेरिका में बाजार क्रमश: 64 करोड़ डॉलर और 2.3 अरब डॉलर का है। इसमें 180 दिनों के दोनों ड्रगों के एक्सक्लूसिव समय ने अहम भूमिका निभाई।
वित्तीय वर्ष 2008 में सन की बिक्री 58 फीसदी बढ़ी, जबकि उसका ऑपरेटिंग मार्जिन 32 फीसदी से बढ़कर 47 फीसदी हो गया। वित्तीय वर्ष 2009 में कंपनी को पेंटोप्राजोल और इथिओल (एमिफोस्टिन) की बिक्री बढ़ने की उम्मीद है। इसकी ब्रांडेड बिक्री 8 करोड़ डॉलर की है। सन की अवसादरोधी दवा इफेक्सर (वेलफेक्सिन) भी लांच करने की योजना है। इसे अभी एफडीए की अनुमति नहीं मिली है।
कंपनी के पास 89 एएनडीए पाइपलाइन में हैं, जिनकेलिए उसे मंजूरी का इंतजार है। उसकी 30 एएनडीए को इसी मौद्रिक वर्ष में फाइल करने की योजना है। इस तरह इस वित्तीय वर्ष में प्रोटोनिक्स, इथिओल और ट्रिपलेट के बाजार में उतरने और पिछले साल ही बाजार में आ गए एक्सिलोन से सन को वित्तीय वर्ष 2009 और वित्तीय वर्ष 2010 में अपने राजस्व में खासी बढ़ोतरी की उम्मीद है।
घरेलू गतिविधियां
सन को घरेलू बाजार में बिक्री से मिलने वाला राजस्व वित्तीय वर्ष 2009 में घटकर आधा रह गया है, लेकिन उसकी सालाना 29 फीसदी की वृध्दि दर किसी भी लिहाज से कमजोर नहीं है। कंपनी का मानना है कि उसके लिए ऊंची मार्जिन वाली क्रोनिक थेरेपी (सन को घरेलू बाजार में होने वाली बिक्री का 60 फीसदी कार्डिएक, डायबेटिक और सायकियाट्रिक स्थिति के उपचार में काम आने वाली दवाओं से मिलता है) में ध्यान केंद्रित करना लाभ का सौदा रहेगा।
इससे उसे तेजी से वृध्दि करने में मदद मिलेगी, जबकि महज 12 फीसदी की वृध्दि वाला घरेलू बाजार इतना लाभप्रद नहीं है। सन की फ्रैगमेंटेड फार्मुलेशन बाजार में हिस्सेदारी 3.4 फीसदी है। उसके तीन शीर्ष ब्रांड हैं ग्लूकोरेड, यह एक एंटी डायबेटिक दवा है जिसकी बिक्री 35 करोड़ रुपये की है। सस्टेन 32 करोड़ केबाजार वाली दवा है जो हार्मोन की कमी से होने वाली बीमारियों के काम आती है और पेंटोसिड एसिड को नियंत्रित करती है। इसका बाजार 30 करोड़ रुपये का है।
मूल्यांकन
रुपये के अवमूल्यन के कारण बढ़ी आयात लागत से सन ग्राहक पर बोझ डालने और अपने प्रॉडक्ट की गुणवत्ता बढ़ाने के बीच संतुलन स्थापित करने की कोशिश में है। मार्च की तिमाही में 50 करोड़ डॉलर की एफसीसीबी को इक्विटी शेयरों में बदल गया है। इसके मायने यह हुए कि रुपये के अवमूल्यन का उस पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इसके साथ वित्तीय वर्ष 2008 में उसने नई जेनेरिक दवाएं लांच करके अच्छा मार्जिन अर्जित किया।
ये कुछ वे कारण हैं जिनके चलते सन का शुध्द लाभ पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 89.6 फीसदी बढ़ गया। इसमें 2,500 करोड़ रुपये के निवेश से हुए लाभ ने खास भूमिका निभाई। इस अधिग्रहण के बाद भी सन के पास 1,500 करोड़ रुपये बचेंगे, जिनका उपयोग वह अन्य योजनाओं के लिए कर सकती है। सन फार्मा का शेयर 1,301 रुपये पर कारोबार कर रहा है जो वित्तीय वर्ष 2009 की 73 रुपए की अनुमानित आय का 18 गुना है और यह कंपनी के पिछले पांच वर्षों के 18-27 गुने के पीई बैंड के निचले स्तरों पर है। निवेशक अगले 15 माह में 20 फीसदी रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं।