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मंदी से पहले कुछ तेज कदमों की है जरूरत

Last Updated- December 08, 2022 | 12:44 AM IST

पिछले सप्ताह देश के सभी बड़े समाचार पत्रों में जेट एयरवेज के 1,900 कर्मियों को एक साथ बर्खास्त करने की खबरें सुर्खियों में थी।


बेशक कंपनी के चेयरमैन नरेश गोयल ने एक दिन के समय में ही अपने कर्मियों को अगले ही दिन काम पर वापस बुला लिया था।लेकिन सच्चाई तो यह है कि अभी आगे मुश्किल दौर शुरू होने वाला है। कुछ लोगों का मानना है कि 1929 में शुरू हुई ‘महामंदी’ पहले ही हमें अपने शिंकजे में कस चुकी है। और कुछ लोग मानते हैं कि यह बस अभी शुरू हुई है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, लगभग एक महीना पहले ही कंपनियों के बंद होने और वेतनों में कटौती की कहानियां सुनाई देने लगी थीं। और तब भी भारत पर इस स्थिति का सीधा असर नहीं हो रहा है। अब नहीं तो थोड़ी देर बाद ही सही, लेकिन इसके असर आखिर तक प्रभावित करेंगे।

शेयर बाजार और म्युचुअल फंडों में पहले ही निवेशक अपनी संपत्ति में भारी कमी देख चुके हैं। यह इसलिए क्योंकि सेंसेक्स इस साल जनवरी में जहां 20,000 के आंकड़े से ऊपर था, वहीं इस शुक्रवार वह 10 हजार का रिकॉर्ड तोड़ते हुए 9,957.35 के स्तर पर आ गया और 10 महीने के भीतर ही 50 प्रतिशत से भी अधिक टूटा।

और शेयर मार्केट के गिरने के आखिरी 20 से 25 प्रतिशत ने तो इतनी तेजी दिखाई कि उन्हें यहां तक उतरने में सिर्फ चंद कारोबारी सत्र ही लगे। इसमें सबसे अधिक पूरे बैंकिंग और वित्तीय उद्योग पर काफी दबाव था।

विश्वास के मामले में काफी संकट फैला हुआ है, बैंक कई बार दूसरे बैंकों या कंपनियों को कम समय के लिए कर्ज उधार देने के इच्छुक नहीं हैं। क्या इसका मतलब यह है कि हम बर्बादी की ओर बढ़े चले जा रहे हैं और इसके लिए कुछ भी किया नहीं जा सकता? बेशक नहीं, सच तो यह है, आगे आने वाले मुश्किल दौर के लिए हमें कुछ कदम उठाने चाहिए ताकि हम उसका सामना कर सकें।

यहां इसके लिए कोई छोटा रास्ता नहीं है, जो आपको इस तरह के वित्तीय संकट से बचा सके, क्योंकि इस तरह की स्थिति में कोई भी ऐसी संपत्ति नहीं है जो आपकी कश्ती को पार लगा सके या दहशत के दौर में आपको उसकी सही कीमत दिला सके, इसलिए कुछ अहम बातें हैं जिस पर ध्यान देकर कोई भी परिवार अनिश्चितता के समय में खुद को कायम रखने की कोशिश कर सकता है।

पहला कदम : शांत बने रहें। दहशत में न आएं और उल्टे-सीधे फैसले न लें। जबकि आप जानते हैं कि इस समय किसी भी अच्छी कंपनी के शेयर या म्युचुअल फंड बेचना बुरे से भी बुरा है, लेकिन यह भी उतना ही सही है कि यह ख्याल ऐसी स्थिति में सबसे पहले दिमाग में आता है।

बेशक इस बात को भी कहने की जरूरत नहीं है कि अगर अत्यधिक जोखिम, अधिक रिटर्न मिड या स्मॉल कैप फंडों या शेयरों में आपका पैसा लगा हुआ है तो उसे आप निकालें नहीं। लेकिन जब आप इस प्रक्रिया में होने वाले नुकसान का पूरा और ठीक-ठीक जायजा ले लें, तभी ऐसा करें।

हां, यही वह समय है जब आपको जरूरत से ज्यादा सजग रहना होगा, लेकिन अपनी सजगता को तुरंत किसी कार्य में बदलने की जरूरत नहीं है। ऐसे समय में सही फैसले लेने की जरूरत है।

दूसरा कदम : कुछ समय पहले ही, आपको कर्मियों की तलाश करने वाले लोगों से कॉल आ रही थीं और आपका खुद पर विश्वास काफी बढ़ा हुआ था।लेकिन बदलते समय के साथ, ऐसा माना जा सकता है कि इस तरह की कॉलों की रफ्तार में कमी आ सकती है और नौकरी देने वाली कंपनियों की वेतन की पेशकश में भी कमी हो सकती है।

यहां तक कि आपकी खुद की कंपनी भी हो सकता है कि अगले साल आपके वेतन में इतना इजाफा न करे। लेकिन यह वह समय है जब आपको इजाफे या फिर वेतन वृध्दि के बारे में सोचना नहीं है। बावजूद इसके आपको अपनी मौजूदा नौकरी के प्रति रक्षात्मक रवैया अपनाने की जरूरत है।

ऐसा करने के कई तरीके हैं – अपनी कार्यकुशलता को बढ़ाने के लिए अधिक जिम्मेदाराना रवैया अपनाएं। इसके लिए हो सकता है आपको अधिक समय दफ्तर को देना पड़े, अगर मुनासिब है तो काम में अधिक मेहनत दिखाएं और अच्छा करें। परिस्थितियों के लिए तैयार रहें, जहां आपकी कंपनी अपने मौजूदा कार्यबल को कम कर रही है वहीं आप पर काम का अधिक बोझ पड़ रहा है।

तीसरा कदम : तेजी से अपने लिए आकस्मिक कोष बनाएं, अगर अब तक आपने ऐसा नहीं किया था तो। अब इसकी जरूरत पहले से कई ज्यादा बढ़ गई है। हर समय कम से कम 4 से 12 महीने के अपने खर्च के बराबर रकम हो अपने लिए तरल रखें, जो कि बचत या सावधि जमाखाते के रूप में हो सकती है।

अगर घर का कोई एक ही सदस्य काम करता है, तो आपातकालीन कोष में अधिक पैसा रखने की जरूरत है। इसके अलावा ऐसे शेयर रखें, जिन्हें आप बिना किसी घाटे के संबंधित बाजार में बेच सकें।
क्या आप सावधि जामाखाते पर कर्ज ले सकते हैं, अपनी जीवन बीमा निगम पॉलिसी पर कर्ज ले सकते हैं और सार्वजनिक भविष्य निधि या कर्मचारी भविष्य निधि में से पैसा निकाल सकते हैं? क्या आपके पास सोना है, जिसे जरूरत पड़ने पर आप बेच सकते हैं? ऐसी हर संभावना का जायजा लें और हर आकस्मिक स्थिति के लिए तैयार रहें।

चौथ कदम : हो सकता है कि अभी तक आपने गंभीरता से न सोचा हो, लेकिन सबसे अहम बात है कि आपको इस समय अपने खर्चों में कटौती करनी होगी। आमतौर पर दो तरह के खर्च होते हैं, एक तो लाजमी (राशन, बच्चे की शिक्षा, आवासीय ऋण) और दूसरे स्वैच्छिक (मनोरंजन, छुट्टियां, बाहर भोजन करना और अन्य)। जहां लाजमी खर्चों को कम करना संभव नहीं हो सकता, वहीं कोई भी स्वैच्छिक खर्चों को कम कर सकता है।

हालांकि, अपने लाजमी खर्चों का भी चतुराई से आकलन करने से आपको मदद मिलेगी। उदाहरण के लिए अगर आपके आवासीय ऋण की ब्याज दर काफी अधिक है, जैसा कई बार 12.25 प्रतिशत हो जाता है, आप इसे दोबारा फाइनैंस कराने पर विचार कर सकते हैं क्योंकि यहां कुछ बैंक आपको 10 से 10.5 प्रतिशत के आस-पास पर कर्ज की सुविधा मुहैया करा सकते हैं।

इसके फलस्वरूप बराबर मासिक किस्तों (ईएमआई) में कमी आएगी और आपके पास नकदी बढ़ जाएगी। लेकिन इसके लिए आपको कीमत चुकानी होगी। इसलिए जरूरी है कि आप कर्ज स्थानातंरण कराने से पहले लागत-लाभ का आकलन कर लें।

अगर आप क्रेडिट कार्ड और निजी ऋणों पर भारी ब्याज दरें चुका रहे हैं, तो आप तीन महीने या इससे कुछ अधिक समय के लिए शून्य यानी 0 प्रतिशत बैलेंस ट्रांसफर कर सकते हैं, लेकिन तब तक ऐसा करने से बचना चाहिए, जब तक आपकी लेनदारी खत्म न हो जाए।

अगर आपको वाकई पैसों की जरूरत है तो संस्थान के बदले रिश्तेदारों को तरजीह दें या अपने सावधि जमाखाते, रियल एस्टेट और दूसरे निवेशों का इस्तेमाल करें।

पांचवा कदम : एक ठीक-ठाक बचत बजट बनाएं और भविष्य निधि, सिप और सोने में अपने निवेश को बनाए रखें। सबसे अहम, यह समय कम समय के लिए इक्विटी में निवेश के जोखिम को उठाने का नहीं है।

इन सभी कदमों पर चलने से एक बात तो साफ हो जाएगी कि अब आप बुरे समय को सामना करने के लिए तैयार हैं। अहम तो यह है कि आप पहले ही तैयार रहें, बजाए भविष्य में जोखिम भरे कदम उठाने से।

First Published - October 19, 2008 | 10:45 PM IST

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