चीन में मंदी को लेकर चिंता और अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने की आशंका से निवेशकों की धारणा कमजोर पड़ जाने से रुपया आज नए निचले स्तर तक लुढ़क गया। मुद्रा बाजार के डीलरों ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से डॉलर की बिक्री की जिससे रुपये में भारी गिरावट को काफी हद तक थामने में मदद मिली।
डीलरों ने कहा कि उत्साह के लिए कोई खास वजह न होने के कारण मौजूदा बाजार धारणा सुस्त पड़ गई है। दिन भर के कारोबार के दौरान रुपया एक समय डॉलर के मुकाबले 83.22 के स्तर तक लुढ़कने के बाद 83.21 पर बंद हुआ। बुधवार को यह 83.14 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। इससे पहले रुपये का सर्वकालिक निचला स्तर इसी साल 17 अगस्त को 83.15 रुपये प्रति डॉलर रहा था।
कोटक सिक्योरिटीज लिमिटेड के उपाध्यक्ष (मुद्रा डेरिवेटिव एवं ब्याज दर डेरिवेटिव) अनिंद्य बनर्जी ने कहा, ‘शेयर बाजार में नरमी, अमेरिकी डॉलर सूचकांक में वृद्धि और चीन के विदेश व्यापार में गिरावट आदि कारक बाजार धारणा को प्रभावित कर रहे हैं। निकट भविष्य में हम डॉलर बनाम रुपये को 83.29 (इंट्राडे) के मौजूदा शीर्ष स्तर को पार करते हुए और उसे 83.60/80 के स्तर की ओर बढ़ते हुए देख सकते हैं। इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि लघु अवधि में रुपया 82.80 से 83.60 के दायरे में रहेगा।’
घरेलू स्तर पर बुनियादी स्थिति दमदार दिख रही है, मगर बाहरी कारणों से रुपये पर दबाव बरकरार है। सितंबर के पहले सप्ताह के दौरान रुपये में 0.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई जबकि अगस्त में रुपया 0.6 फीसदी कमजोर हुआ था।
चालू वित्त वर्ष के दौरान रुपये में अब तक 1.25 फीसदी की गिरावट आई है। पिछले वित्त वर्ष में यह 7.8 फीसदी लुढ़का था। चालू कैलेंडर वर्ष में रुपया अब तक 0.6 फीसदी कमजोर हुआ है, जबकि पिछले साल इसमें 10 फीसदी से अधिक की गिरावट आई थी।
बाजार प्रतिभागियों का मानना है कि डॉलर सूचकांक में हो रही लगातार वृद्धि और एशियाई मुद्राओं के कमजोर पड़ने से रुपया 84 रुपये के मनोवैज्ञानिक स्तर तक लुढ़क सकता है। डीलरों ने कहा कि निर्यातकों और आयातकों के हितों में संतुलन बनाए रखने के लिए आरबीआई बाजार में अधिक हस्तक्षेप नहीं कर सकता है।
एक सरकारी बैंक के डीलर ने कहा, ‘रुपया निश्चित तौर पर 84 के स्तर तक लुढ़क सकता है, लेकिन आरबीआई के दखल से धीरे-धीरे उसमें सुधार होगा।’ उन्होंने कहा, ‘रुपया आज आरबीआई के हस्तक्षेप के कारण 84 तक नहीं लुढ़का अन्यथा वह 84 रुपये प्रति डॉलर के करीब बंद होता।’
सीआर फॉरेक्स के प्रबंध निदेशक (MD) अमित पबारी ने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि डॉलर के मुकाबले रुपया 83.20 से 83.25 के स्तर तक रहेगा क्योंकि घरेलू स्तर पर बुनियादी स्थिति मजबूत है और आरबीआई भी उसे सहारा दे सकता है। मोटे तौर पर हमारा मानना है कि निकट भविष्य में रुपया 82.00 से 82.20 के आसपास रहेगा।’