facebookmetapixel
क्या सोने की बढ़ती कीमतें आने वाली महंगाई का संकेत दे रही हैं? एक्सपर्ट ने दिया बड़ा संकेतPhysicsWallah या Emmvee या Tenneco! किस IPO में पैसा लगाने रहेगा फायदेमंद, जान लेंPhysicsWallah IPO: सब्सक्राइब करने का आखिरी मौका, जानें GMP और ब्रोकरेज का नजरियाGold and Silver Price Today: सोना ₹1.26 लाख के पार, चांदी ₹1.64 लाख के करीब; दोनों मेटल में जोरदार तेजीएमएसएमई का सरकार से एनपीए नियमों में बड़े संशोधन का आग्रह, 90 से 180 दिन की राहत अवधि की मांगएनएफआरए में कार्य विभाजन पर विचार, सरकार तैयार कर रही नई रूपरेखाकोयले से गैस भी बनाएगी NTPCलालकिले के धमाके का असर! विदेशियों की बुकिंग पर दबाव, लेकिन उद्योग बोले– असर होगा सिर्फ कुछ दिनों काअल्ट्राटेक से अदाणी तक: रद्द खदानों पर कंपनियों को राहत, सरकार ने शुरू की अंतिम मुआवजा प्रक्रियाबिहार चुनाव में वोटों की बाढ़! SIR विवाद के बीच रिकॉर्ड 66.9% मतदान से सभी चौंके

पांच महीने के उच्च स्तर पर पहुंचा रुपया

मंगलवार को 85.25 डॉलर प्रति डॉलर के मुकाबले आज स्थानीय मुद्रा 84.49 डॉलर प्रति डॉलर पर बंद हुई।

Last Updated- April 30, 2025 | 11:17 PM IST
No threat to the dollar डॉलर को खतरा नहीं

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की व्यापार नीति के कारण डॉलर में नरमी तथा विदेशी मुद्रा बाजार में केंद्रीय बैंक की अनुपस्थिति के बीच रुपये ने करीब ढाई साल में अपनी सर्वश्रेष्ठ एक दिवसीय बढ़त दर्ज की और यह पांच महीने के उच्चतम स्तर पर बंद हुआ। मंगलवार को 85.25 डॉलर प्रति डॉलर के मुकाबले आज स्थानीय मुद्रा 84.49 डॉलर प्रति डॉलर पर बंद हुई। यह इस कैलेंडर वर्ष में इसमें सबसे बड़ी एक दिन की वृद्धि है। स्थानीय मुद्रा में 0.9 फीसदी का इजाफा हुआ जो 11 नवंबर 2022 के बाद का सबसे बड़ा आंकड़ा है।

10 फरवरी, 2025 को 87.95 प्रति डॉलर के अपने सर्वकालिक निम्नतम स्तर पर पहुंचने के बाद भारतीय मुद्रा ने मार्च में 2 फीसदी और अप्रैल में 1.16 फीसदी की वृद्धि के साथ उल्लेखनीय वापसी की। 2025 में इसमें अब तक 1.33 फीसदी की वृद्धि हुई है।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज में वरिष्ठ विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा, भारतीय रुपये में नवंबर 2022 के बाद सबसे बड़ी एक दिवसीय बढ़त देखी गई। इस उछाल का श्रेय महीने के अंत में समायोजन और छुट्टियों से पहले अमेरिकी डॉलर में तकनीकी बिकवाली को दिया जा सकता है। मौजूदा भू-राजनीतिक तनावों के बावजूद बाजार से भारतीय रिजर्व बैंक की स्पष्ट अनुपस्थिति और अन्य एशियाई मुद्राओं के मजबूत होने से व्यापारियों की सतर्कता कुछ हद तक कम हो गई जिससे रुपये को सहारा मिला।

उन्होंने कहा, निकट भविष्य में हाजिर बाजार में डॉलर-रुपये को 84.10 के आसपास समर्थन मिल सकता है और 85.50 के आसपास प्रतिरोध का सामना करना पड़ सकता है। मौजूदा रुझान रुपये में और मजबूती के पक्ष में दिख रहे हैं।

लाभ को बचाए रखने के लिए निर्यातकों की डॉलर बिक्री, साथ ही आयातकों की डॉलर मांग में नरमी के कारण (जिन्होंने पिछले महीने की तेजी के दौरान पहले ही अपने जोखिम को कम कर लिया था) स्थानीय मुद्रा ने 2025 में सबसे तेज वृद्धि देखी। व्यापारियों को भी उम्मीद थी कि भारत, अमेरिका के साथ व्यापार समझौता करने वाले शुरुआती देशों में से एक होगा क्योंकि ट्रंप दोनों देशों के बीच सकारात्मक व्यापार वार्ता पर जोर दे रहे हैं।

एक विदेशी बैंक के डीलर ने कहा, हालांकि यह कहना कठिन है कि ये स्तर बरकरार रहेंगे या नहीं, लेकिन आरबीआई के लिए डॉलर खरीदने और अपने विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने का यह अच्छा समय है। भू-राजनीतिक अनुकूलता, कमजोर होते अमेरिकी डॉलर और फेडरल रिजर्व द्वारा नरम रुख अपनाने की उम्मीदों के कारण एशियाई मुद्राओं के लिए संभावनाएं काफी बढ़ गई हैं।

वर्ष 2025 में रुपये से बेहतर प्रदर्शन करने वाली कुछ एशियाई मुद्राओं में दक्षिण कोरियाई वॉन, फिलिपींस का पेसो, थाई भाट और मलेशियाई रिंगिट आदि शामिल हैं। ब्रोकरेज फर्म के एक ट्रेडर ने कहा, रुपये में तेजी के कई कारण हैं। पहला है एफपीआई (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक) का डेट और इक्विटी दोनों बाजारों में निवेश। दूसरा, बाजार ने इस तथ्य को नजरअंदाज करना शुरू कर दिया है कि भारत अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को खत्म करने के करीब है। दिन के दौरान स्टॉप लॉस 84.95 के स्तर से नीचे ट्रिगर हो रहे थे और आखिरी बात, महीने के अंत में निवेश होना था।

डीलरों ने कहा कि शुक्रवार को भी निवेश जारी रहने की उम्मीद है। शुक्रवार को दोनों के नीचे जाने के जोखिम के साथ 84.25/85.00 के दायरे में रहने की उम्मीद है। महाराष्ट्र दिवस के अवसर पर गुरुवार को विदेशी मुद्रा और मुद्रा बाजार बंद रहेंगे। बुधवार को बॉन्ड यील्ड काफी हद तक स्थिर रही और 10 साल के सरकारी बॉन्ड पर मंगलवार को 6.34 फीसदी की तुलना में 6.35 फीसदी की दर रही। डीलरों ने बताया कि भारत और पाकिस्तान के बीच भू-राजनीतिक तनाव के कारण व्यापारी सतर्क रहे। केंद्रीय बैंक के नकदी बढ़ाने, नीतिगत रीपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती करने और मौद्रिक नीति के रुख को उदार बनाने के कारण अप्रैल में सरकारी बॉन्ड के यील्ड में 23 आधार अंकों की गिरावट आई है।

First Published - April 30, 2025 | 10:38 PM IST

संबंधित पोस्ट