शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) के लिए प्रीमियम पर शेयर जारी कर पूंजी जुटाने के नए विकल्पों के मानक आएंगे। इन्हें भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के चर्चा पत्र में स्पष्ट किया जाएगा जिससे संसाधन जुटाने में लचीलापन आएगा और क्षेत्र के विकास को बढ़ावा मिलेगा।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि शहरी सहकारी बैंकों को पूंजी जुटाने के लिए अधिक स्वायत्तता और अवसर प्रदान करने के लिए हितधारकों से फीडबैक और सुझाव के लिए ‘कैपिटल रेजिंग एवेन्यूज’ पर चर्चा पत्र जारी किया जाएगा।
आरबीआई ने विकासात्मक एवं नियामकीय नीतियों से संबंधित बयान में कहा कि इस मुद्दे पर शुरुआती दिशा-निर्देश और यूसीबी के लिए शेयर पूंजी एवं प्रतिभूतियों के नियम 2022 में जारी किए गए थे। इनका मकसद बैंकिंग नियमन (संशोधन) अधिनियम, 2020 के अनुरूप बदलाव लाना था। आरबीआई ने मौद्रिक नीति समीक्षा के साथ विकासात्मक और नियामक नीतियों पर एक बयान में कहा कि हालांकि इन दिशा-निर्देशों में नए लागू पूंजी संबंधित प्रावधान शामिल नहीं हैं।
नैशनल अर्बन को-ऑपरेटिव फाइनैंस ऐंड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एनयूसीएफडीसी) के मुख्य कार्याधिकारी प्रभात चतुर्वेदी ने कहा कि पूंजी जुटाने के विकल्पों पर ध्यान केंद्रित करना इन संस्थानों के स्थायित्व और वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है। नियामक इन बैंकों को भारतीय वित्तीय तंत्र का अभिन्न हिस्सा बनाने, उनकी प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाने और अपने ग्राहकों की सेवा करने के लिए उनकी क्षमता बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है।
वर्ष 2021 में पूर्व डिप्टी गवर्नर एन एस विश्वनाथन की अध्यक्षता में यूसीबी पर गठित विशेषज्ञ पैनल ने इन प्रावधानों पर अपनी सिफारिशों के माध्यम से बड़े सुझाव दिए थे। आरबीआई ने नए पूंजी संबंधित प्रावधानों पर विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों पर अमल के लिए एक कार्य समूह नियुक्त किया था।
विश्वनाथन समिति ने बेहद कम कूपन दर और 20 साल की परिपक्वता के साथ रिडीमेबल प्रिफरेंस शेयर जारी करने की व्यवहार्यता की समीक्षा का सुझाव दिया था। यह वोटिंग अधिकार के बिना भी हो सकता है।