माइक्रो फाइनेंस सेक्टर पर दबाव आने वाले कुछ महीनों में दुरुस्त हो जाना चाहिए। यह राय उद्योग के विशेषज्ञो ने गुरुवार को बिजनेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट समिट 2024 में दी।
एमएफआई क्षेत्र बीते पांच-छह महीनों से विशाल चुनौतियों से जूझ रहा है और इससे क्षेत्र की उधारी संपत्ति की गुणवत्ता तेजी से गिरी है। हाल के समय में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सूक्ष्म वित्त उधारी से जुड़े बैंकों और एनबीएफसी के लिए दिशानिर्देश जारी किए। इसके तहत उधारी लेने वालों को नई उधारी लेने से पहले पिछली उधारियों का पूरा भुगतान करना है।
यू ग्रो कैपिटल के वाइस चेयरमैन और प्रबंध निदेशक शचींद्र नाथ ने कहा, ‘कुछ दीर्घावधि बनाने के लिए अब कहीं कोई प्रीमियम नहीं है। हर चीज अल्पकालीन हो गई है। पब्लिक मार्केट बहुत छोटी अवधि का हो गया है। निवेशक अल्पावधि हो गए हैं और ऐसा ही प्रबंधन भी। एमएफआई उ्दयोग को वास्तव में कोविड महामारी ने बहुत बुरी तरह प्रभावित किया। हम एमएसएमई खंड में अधिक मजबूती का इंतजार रहे हैं।’
उन्होंने कहा, ‘हम अभी तक उपभोक्ता, व्यक्तिगत ऋण, सूक्ष्म वित्त उद्योग पर बढ़े दबाव को नहीं देख रहे हैं। छोटे और मझोले शहरों में खुदरा कारोबार और लघु विनिर्माण बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। वे अभी तक कोविड से पहले के स्तर पर नहीं पहुंच पाए हैं। वे अगले एक या डेढ़ महीने में इस स्तर को छू सकते हैं।’
जून में लघु वित्त का कुल पोर्टफोलियो 432.7 करोड़ रुपये पर पहुंच गया और यह मार्च 2024 की तिमाही की तुलना में तिमाही आधार पर 2.3 प्रतिशत की गिरावट दर्शा रहा है। इस गिरावट के बावजूद बैंक और एनबीएफसी-एमएफआई का इस क्षेत्र पर दबदबा है और इनकी बाजार में साझा हिस्सेदारी 72
प्रतिशत है।
महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण के लिए प्रतिबद्ध संस्थान आईआईएफएल समस्त के संस्थापक और प्रबंध निदेशक वेंकटेश एन. ने कहा, ‘हम आमतौर पर ऐसा तीन वर्ष में एक बार देखते हैं। इसके अलावा हम पर कोविड संबंधित दबाव पहले से ही था। लेकिन इस दबाव में हम अपना अधिक आंतरिक आकलन कर रहे हैं कि हमारे साथ क्या गलत हुआ और हम तरीकों पर कैसे आगे बढ़े हैं। मेरे विचार से हमने अपने को दुरुस्त किया है। मेरे विचार से हम सभी को इस पर कुछ कार्य करना चाहिए।’
उन्होंने आगे कहा कि भीषण गर्मी में खेती से संबंधित गतिविधियां प्रभावित हुईं और हमें गर्मी के भीषण मौसम से ही चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसी तरह भारतीय रिजर्व बैंक के चुनिंदा क्षेत्रों विशेष तौर पर बिहार और उत्तर प्रदेश में अधिक उधारी दिए जाने पर चिंता जताने से चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
रिजर्व बैंक की इस चिंता के कारण यह कृषि में उधारी दिए जाने के अपने तरीके की पुन: समीक्षा कर रहा है। इसके अलावा उन्होंने स्व नियामक संगठनों (एसआरओ) की ओर से किसी एक ग्राहक पर चार ऋणदाताओं से कर्ज लेने की संख्या की सीमा लगाने के नए दिशानिर्देश के बारे में भी बताया। इससे एमएफआई के करीब 10 प्रतिशत ग्राहक प्रभावित हुए। ये ग्राहक पहले चार से अधिक ऋणदाताओं से कर्ज लेते थे।
इन कारकों से एमएफआई क्षेत्र पर दबाव बढ़ा है और इनने आंतरिक पुन:समीक्षा करने को प्रोत्साहित किया है। इसके जवाब में एमएफआई ने इन चुनौतियों से निपटने और अपने को मजबूत करने के लिए अपनी रणनीतियों को दुरुस्त किया है।
उन्होंने कहा, ‘यदि आप एमएफआई क्षेत्र पर नजर डालते हैं तो कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों की 65 से 70 प्रतिशत मांग को हम पूरा करते हैं। हमारे ज्यादातर ग्राहक कृषि और इससे संबंधित गतिविधियों से जुड़े हुए हैं। यदि आप लू पर नजर डालते है तो यह भीषण थी। इस भीषण गर्मी का भी कुछ प्रतिशत असर पड़ा है। भारतीय रिजर्व बैंक ने कुछ भौगोलिक क्षेत्रों को चिह्नित किया है जहां हम अत्यधिक उधारी लिए जाने के कारण दबाव महसूस कर रहे थे। यह भौगोलिक क्षेत्र मुख्य तौर पर उत्तर प्रदेश और बिहार के रूप में चिह्नित किए गए थे।’
उन्होंने कहा, ‘हमने कृषि में जो हो रहा है, उस पर फिर से नजर रखनी शुरू कर दी। हमने “घरने” का पालन किया। इसे एसआरओ ने पेश किया था। इसमें ग्राहक के लिए उधारी देने वालों की संख्या पर अंकुश लगाया गया है। अभी तक एक ग्राहक के लिए उधारी देने वालों की संख्या पर कोई अंकुश नहीं था। अब उधारी देने वालों की संख्या पर अंकुश लगा दिया गया है। इस क्रम में अधिकतम उधारी देने वालों की संख्या चार हो गई है। लिहाजा इसने भी कुछ दबाव बढ़ाया है। हमारे कुल ग्राहकों में 10 प्रतिशत ग्राहक चार से अधिक ऋणदाताओं से उधारी लेते हैं। लिहाजा हमें 10 प्रतिशत के करीब नजर आता है। इन सभी कारकों से दबाव बढ़ा है।’
निजी बैंकों के लाभ पर एमएफआई से जुड़े प्रावधान बढ़ने से असर पड़ा है। इंडसइंड बैंक में फंसा हुआ कर्ज बढ़कर 1,798 करोड़ रुपये हो गया। इसमें सूक्ष्म वित्त का 400 करोड़ रुपये है। प्रावधानों के कारण 87 प्रतिशत बढ़कर यह 1,820 करोड़ रुपये हो गया।
कोटक महिंद्रा बैंक ने जानकारी दी कि एक चौथाई चूक वाले कर्ज सूक्ष्म वित्त खंड के हैं। प्रावधानों के कारण यह 60 प्रतिशत बढ़कर 660 करोड़ रुपये हो गया। नए चूक वाले कर्ज 43 प्रतिशत बढ़कर 1,875 करोड़ रुपये हो गए। इसी क्रम में आईडीएफसी फर्स्ट बैंक भी प्रभावित हुआ।