भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे ने शुक्रवार को कहा कि कर्ज में बढ़ने के बावजूद माइक्रोफाइनेंस (एमएफआई) अभी भी बैंकिंग प्रणाली के स्तर पर बड़ी चिंता की बात नहीं है। शीर्ष बैंक ने लेनदारों से कहा है कि वे अपने अंडरराइटिंग मानकों को मजबूत बनाएं और संग्रह की कोशिशों में इजाफा करें ताकि यह दबाव गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में तब्दील न हो।
डिप्टी गवर्नर ने एमपीसी के बाद प्रेस वार्ता में बताया कि गवर्नर ने कहा है कि इन क्षेत्रों में जहां कर्ज की चूक में इजाफा देखा जा रहा है, वहां हमने बैंकों और एनबीएफसी से अपने अंडरराइटिंग मानकों को मजबूत करने और अपने संग्रह प्रयासों को बढ़ाने का अनुरोध किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह एनपीए में तब्दील न हो। इसलिए हम जहां भी कुछ अलग तरह का व्यवहार देखते हैं, उन संस्थाओं के साथ जुड़ाव जारी रखते हैं। बैंकिंग प्रणाली के स्तर पर यह अभी भी बड़ी चिंता का विषय नहीं है।
अक्टूबर की समिति की बैठक में गवर्नर ने कहा था कि एमएफआई और एचएफसी सहित एनबीएफसी को टिकाऊ कारोबारी लक्ष्य अपनाना चाहिए जो अनुपालन, मजबूत जोखिम प्रबंधन ढांचे, निष्पक्ष व्यवहार संहिता के सख्त पालन पर केंद्रित हो। साथ ही ग्राहकों की शिकायतों के प्रति ईमानदार दृष्टिकोण होना चाहिए। साथ ही यह चेतावनी भी दी कि अगर जरूरी हुआ तो आरबीआई उचित कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेगा।
डिप्टी गवर्नर ने यह भी कहा कि हमें भरोसा है कि दबाव में 20-30 आधार अंकों की बढ़ोतरी इकाइयां खुद ही संभालने में सक्षम होंगी। कुछ निश्चित इकाइयों के मामले में, जहां ये खास आंकड़े ज्यादा हैं तो वहां हम द्विपक्षीय आधार पर बात करेंगे। हम देखेंगे कि वे यह दबाव व्यापक न हो जाए, इसे सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रहे हैं।