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जीवन बीमा पॉलिसियों की गलत तरीके से बिक्री खतरनाक स्तर परः बीमा नियामक

जीवन बीमा से जुड़ी शिकायतें अक्सर उत्पादों से जुड़ी होती हैं मगर गैर जीवन बीमा की शिकायतें आमतौर पर दावों के भुगतान से संबंधित होती हैं

Last Updated- September 03, 2024 | 11:01 PM IST
Insurance

ऐसे वक्त में जब बीमा नियामक बीमा की पैठ बढ़ाने पर जोर दे रहा है, बीमा पॉलिसियों की गलत तरीके से बिक्री खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) के एक शीर्ष अधिकारी ने यह बात कही है।

बीमा नियामक आईआरडीएआई के सदस्य (वितरण) सत्यजीत त्रिपाठी के मुताबिक, जीवन बीमा से जुड़ी शिकायतें अक्सर उत्पादों से जुड़ी होती हैं मगर गैर जीवन बीमा की शिकायतें आमतौर पर दावों के भुगतान से संबंधित होती हैं। उन्होंने कहा कि पैठ बढ़ाने के लिए उद्योग को इन शिकायतों का जल्द समाधान करना होगा।

मुंबई में आयोजित सीआईआई फाइनैंशियल समिट 3.0 में त्रिपाठी ने कहा, ‘जीवन बीमा में शिकायत उत्पादों की गलत तरीके से बिक्री के लिए है और मैं यह जरूर कहना चाहूं कि यह खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। इसे खतरनाक स्तर इसलिए कहना होगा क्योंकि इसने नीति निर्माताओं का भी ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। अगर हम विभिन्न उत्पादों की बिक्री बढ़ाना चाहते हैं, पैठ बढ़ाना चाहते हैं, इसे किफायती बनाने की बात कर रहे हैं तो निश्चित तौर पर हमें इन शिकायतों को दूर करना होगा।’

आईआरडीएआई की वित्त वर्ष 2023 की सालाना रिपोर्ट में बीमा भरोसा पोर्टल पर आई शिकायतों के बारे में दिए गए ब्योरे के मुताबिक जीवन बीमा कंपनियों के पास कुल 1,24,293 शिकायतें आई थीं, जिनमें से अनुचित व्यापार दस्तूर से जुड़ी शिकायतों की हिस्सेदारी 20 फीसदी थी। वहीं गैर जीवन बीमाकर्ताओं को 78,347 शिकायतें मिलीं, जिनमें दावा भुगतान से जुड़ी शिकायतों की तादाद 66 फीसदी थी।

त्रिपाठी ने कहा कि जीवन बीमा क्षेत्र के मुकाबले दावा भुगतान से जुड़ी शिकायतें गैर जीवन बीमा क्षेत्र के लिए अधिक हैं। इनमें दावों को खारिज करने से लेकर कम दावा राशि का भुगतान शामिल है। अधिकतर शिकायतें स्वास्थ्य बीमा से संबंधित हैं। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य बीमा के लिए कैशलेस सुविधाएं तैयार करने में स्वास्थ्य मंत्रालय, बीमा नियामक और अन्य हितधारकों के प्रयासों से यह सुनिश्चित होने की संभावना है कि आबादी का बड़ा हिस्सा जल्द ही स्वास्थ्य बीमा के दायरे में आ जाए।

First Published - September 3, 2024 | 11:00 PM IST

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