बाजार जब चढ़ने की स्थिति में होता है तो अधिकांश निवेशक अपने इक्विटी निवेश से होने वाले लाभ पर कराधान की योजना बनाते हैं।
मूल विचार यह होता है कि लाभ पर कर कम से कम दर पर लगे। कर कानूनों के मुताबिक यदि कोई निवेशक एक साल से अधिक समय तक शेयरों को रखता है तो इस पर उसका लाभ कर के दायरे में नहीं आता है।
लेकिन यदि इसमें नुकसान होता है तो कई निवेशक कर को लेकर ज्यादा गंभीर नहीं दिखते, क्योंकि वे सोचते हैं कि लाभ पर अब कर नहीं लगेगा। वे नुकसान का फायदा नहीं उठा सकते। लेकिन यह सोच गलत हो सकती है। पूंजी नुकसान के मामले में, ऐसी कई परिस्थितियां हैं जिन्हें समझे जाने की जरूरत है। आइए, देखते हैं क्या हैं ये परिस्थितियां।
कोई निवेशक एक साल से भी कम समय में अपने शेयरों को खरीद कीमत से कम पर बेच कर नुकसान उठाता है। उदाहरण के लिए, यदि आप किसी कंपनी के 500 शेयर 50 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से खरीदते हैं जिनमें से 200 शेयर 40 रुपये प्रति शेयर की दर से बेच देते हैं तो आपको नुकसान उठाना पड़ता है।
200 शेयरों की बिक्री की वजह से यह नुकसान होता है जो 2000 रुपये बैठता है। बेशक आपके पास अभी बिक्री के लिए 300 शेयर शेष रह जाते हैं, लेकिन आप जब तक इन्हें वास्तविक रूप से कम कीमत पर नहीं बेचेंगे तो वास्तविक नुकसान नहीं होगा।
नुकसान को शेयर की अवधि के साथ जोड़ कर देखा जाता है। यह बेहद जरूरी है, क्योंकि इससे निवेशक अपने नुकसान का सही तरीके से निर्धारण करने में सक्षम होगा जिसका नुकसान की प्रकृति पर और कर पर इसके प्रभाव पर असर पड़ेगा। अगर शेयर 12 महीने से कम की अवधि के लिए रखे जाते हैं तो नुकसान का स्वरूप भी अल्पावधि का पूंजीगत नुकसान होगा।
इसके उलट अगर पूंजी नुकसान 12 महीने से अधिक के लिए है तो यह दीर्घावधि पूंजी नुकसान के तहत आएगा। जहां तक कर निर्धारण की बात है तो नुकसान के ये दोनों प्रकार अलग-अलग असर छोड़ते हैं। शेयर बाजार पर बेचे जाने वाले शेयर के लिए दीर्घावधि पूंजी नुकसान के मामले में किसी भी तरह के पूंजी लाभ के खिलाफ समायोजन के लिए कोई सुविधा नहीं है।
इसका मतलब यह हुआ कि कर निर्धारण के उद्देश्य के लिए इस नुकसान को शामिल नहीं किया जाएगा। उदाहरण के लिए, निवेशक 40,000 रुपये का दीर्घावधि पूंजी लाभ, 20,000 रुपये का अल्पावधि पूंजी लाभ और इसी समय में 25,000 रुपये का दीर्घावधि पूंजी नुकसान होता है।
ऐसी स्थिति में दीर्घावधि पूंजी लाभ पर कर नहीं लगता है और 20,000 रुपये के अल्पावधि पूंजी लाभ पर 15 फीसदी की दर से कर लगेगा। वहीं दीर्घावधि पूंजीगत नुकसान को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा। दूसरे शब्दों में, पूंजीगत लाभ पर 3500 रुपये का कुल कर होगा।
यह याद रखना भी जरूरी है कि जिस शेयर की बिक्री शेयर बाजार से अलग किसी अन्य रास्ते के जरिये की जाती है उस पर दीर्घावधि पूंजी नुकसान केवल कर के दायरे में आने वाले दीर्घावधि लाभ के खिलाफ शामिल हो सकता है। यदि मौजूदा अवधि में पूरा नुकसान समायोजित नहीं हो सकता है तो इसे 8 वर्ष की अवधि के लिए आगे बढ़ाया जा सकता है।