सरकारी बैंक वृद्धिशील ऋण में अग्रणी बने रहे जबकि निजी बैंक के क्षेत्रों की हिस्सेदारी घटी है। बैंकों की ऋण वृद्धि वित्त वर्ष 25 में सुस्त होकर 12 प्रतिशत हो गई जबकि यह वित्त वर्ष 23 में करीब करीब 15 प्रतिशत थी। यह जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक की बुलेटिन में दी गई।
गैर खाद्य वस्तुओं की ऋण वृद्धि सालाना आधार पर घटकर 12 प्रतिशत हो गई जबकि यह एक साल पहले की अवधि में 16.3 प्रतिशत थी। हालांकि फरवरी, 2025 में कृषि ऋण की वृद्धि सुस्त होकर दो अंकों में 11.4 प्रतिशत हो गई जबकि यह फरवरी, 2024 में 20.0 प्रतिशत थी।
वित्त वर्ष 25 में गैर कृषि खाद्य ऋण को प्रमुख तौर पर बढ़ावा देने वाला सेवा क्षेत्र और व्यक्तिगत ऋण खंड थे। इनकी वृद्धि फरवरी 2025 में सुस्त होकर क्रमश 13.0 प्रतिशत और 14 प्रतिशत हो गई। ये दोनों ही वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारक कायम रहे।
बुलेटिन में उल्लेख किया गया कि सूक्ष्म, मध्यम और लघु उद्योग खंड में ऋण की मांग जबरदस्त रही और इस खंड में 12.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई जबकि बड़े उद्योग खंड में दूसरी तिमाही में ऋण की सुस्त मांग दर्ज हुई। वित्त वर्ष 26 के केंद्रीय बजट में सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी का दायरा 5 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये कर दिया गया था।