अप्रैल 2024 में जीवन बीमाकर्ताओं का न्यू बिजनेस प्रीमियम (एनबीपी) 61 प्रतिशत बढ़ा है। इस महीने भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने एनबीपी में जोरदार वृद्धि दर्ज की है।
जीवन बीमा काउंसिल की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक जीवन बीमा कंपनियों का एनबीपी 20,258.86 करोड़ रुपये रहा है, जो एक साल पहले के 12,565.31 करोड़ रुपये की तुलना में 61.23 प्रतिशत अधिक है। एलआईसी का प्रीमियम 113 प्रतिशत बढ़कर 12,383.64 करोड़ रुपये हो गया, जबकि प्राइवेट जीवन बीमा कंपनियों 16.58 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की और उनका प्रीमियम 7875.22 करोड़ रुपये रहा है।
किसी खास साल में जीवन बीमा कंपनियों द्वारा नई पॉलिसियों से मिले प्रीमियम को एनबीपी कहा जाता है। इसमें किसी पॉलिसी का पहले साल का प्रीमियम और एकमुश्त प्रीमियम शामिल होता है, जिससे नए कारोबार से मिले कुल प्रीमियम का पता चलता है।
उद्योग के जानकारों का कहना है कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान निजी कारोबारियों ने कमजोर वृद्धि दर्ज की थी, क्योंकि केंद्र सरकार ने महंगी पॉलिसियों (4 लाख रुपये और उससे ज्यादा प्रीमियम) पर कर लगा दिया था। इसकी वजह से निजी बीमाकर्ताओं के लिए अप्रैल 2024 के लिए आधार कम हो गया, जो व्यक्तिगत प्रीमियम सेग्मेंट में बड़ा कारोबार करती हैं।
सेग्मेंट के हिसाब से देखें तो ग्रुप सिंगल प्रीमियम पिछले साल से 126 प्रतिशत से ज्यादा बढ़कर 11,715.42 करोड़ रुपये हो गया। ग्रुप प्रीमियम में एलआईसी का दबदबा है। कंपनी का ग्रुप सिंगल प्रीमियम पिछले साल से 200 प्रतिशत बढ़कर 9,020.22 करोड़ रुपये हो गया।
निजी बीमाकर्ताओं में सबसे बड़ी कंपनी एसबीआई लाइफ का प्रीमियम करीब 26 प्रतिशत बढ़ा है। अन्य निजी क्षेत्र के कारोबारियों ने भी बेहतर वृद्धि दर्ज की है। एचडीएफसी लाइफ का एनबीपी मामूली रूप से 4.31 प्रतिशत बढ़ा है। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस का प्रीमियम 28.13 प्रतिशत, बजाज आलियांज लाइफ का 25.20 प्रतिशत और मैक्स लाइफ इंश्योरेंस का प्रीमयम करीब 41 प्रतिशत बढ़ा है। केयरएज रेटिंग्स के एसोसिएट डायरेक्टर सौरभ भालेराव ने कहा, ‘ग्रुप सिंगल प्रीमयम में वृद्धि के कारण ऐसा हुआ है। एलआईसी ने भी बहुत शानदार प्रदर्शन किया है, जिसे ग्रुप सिंगल प्रीमियम में बेहतर ऑर्डर मिले हैं।’
साथ ही अप्रैल में कंपनियों की बिकी पॉलिसियों की संख्या (एनओपी) में भी एक साल पहले की तुलना में 10.71 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
उद्योग के विशेषज्ञों के मुताबिक जीवन बीमा कंपनियों ने कर व्यवस्था में बदलाव के कारण हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए जीवन बीमा कंपनियों ने बेची गई पॉलिसियों की संख्या में वृद्धि की कवायद की।