इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) ने इंडसइंड बैंक के वित्त वर्ष 2023-24 और 2024-25 के वित्तीय स्टेटमेंट और ऑडिटर रिपोर्ट की समीक्षा करने का फैसला किया है। आईसीएआई के अध्यक्ष चरणजोत सिंह नंदा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को यह जानकारी दी। नंदा ने कहा, ‘यह निर्णय लिया गया है कि हमारा ‘फाइनैंशियल रिपोर्टिंग ऐंड रिव्यू बोर्ड’ बैंक की पिछले दो वित्त वर्षों की ऑडिटर रिपोर्टों तथा वित्तीय विवरणों की समीक्षा करेगा।’
इंडसइंड बैंक ने 10 मार्च को डेरिवेटिव पोर्टफोलियो से संबंधित अपने अकाउंट बैलेंस में कुछ गड़बड़ियों का खुलासा किया था। बैंक ने कहा कि उसकी विस्तृत आंतरिक समीक्षा ने दिसंबर 2024 तक उसकी नेटवर्थ पर लगभग 2.35 प्रतिशत का प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का अनुमान लगाया है।
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उनकी सालाना रिपोर्ट के अनुसार एम एस के ए ऐंड एसोसिएट्स, चार्टर्ड अकाउंटेंट्स और एम पी चिताले ऐंड कंपनी चार्टर्ड अकाउंटेंट्स, 31 मार्च, 2024 को समाप्त वित्त वर्ष के लिए इंडसइंड बैंक के जॉइंट सेंट्रल स्टेट्यूटरी ऑडिटर थे। गुरुवार को हुई आईसीएआई बोर्ड की 148वीं बैठक में इस मामले पर गंभीरता से विचार-विमर्श किया गया।
एफआरआरबी के पास चुनिंदा उद्यमों के जनरल-पर्पज फाइनैंशियल स्टेटमेंट (जीपीएफएस) की समीक्षा करने के लिए एक व्यापक तीन-स्तरीय समीक्षा प्रक्रिया है। वित्तीय रिपोर्टिंग प्रणालियों को मजबूत बनाने तथा ऑडिट गुणवत्ता सुधारने के मकसद से जुलाई 2002 में इस बोर्ड का गठन किया गया था। इसकी समीक्षा से आम तौर पर स्वीकृत लेखा सिद्धांतों, खुलासा शर्तों और अन्य रिपोर्टिंग जरूरतों के अनुपालन का निर्धारण होगा।
यदि एफआरआरबी को वित्तीय स्टेटमेंट के सही और उचित दृष्टिकोण को प्रभावित करने वाली कोई समस्या दिखी तो वह आगे की जांच के लिए मामले को आईसीएआई के डायरेक्टर (डिसिप्लीन) को भेजेगा।
इंडसइंड बैंक के अलावा, आईसीएआई का बोर्ड जेनसोल इंजीनियरिंग और ब्लूस्मार्ट मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड की वित्त वर्ष 2023-24 की ऑडिटर रिपोर्ट और वित्तीय विवरणों की भी जांच कर रहा है।
पिछले सप्ताह सेबी के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने कहा कि जहां भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) इंडसइंड मामले की जांच कर रहा था, वहीं बाजार नियामक यह पता लगा रहा था कि क्या किसी के द्वारा कोई ‘घोर उल्लंघन’ (एग्रीजियस वायलेशंस) तो नहीं किया गया है।
पिछले दो वर्षों में डेरिवेटिव सौदों की गलत पहचान के कारण बैंक की नेटवर्थ को संभावित नुकसान के बारे में खुलासा होने के बाद का समय इंडसइंड बैंक के लिए उथल-पुथल भरा रहा है।
उल्लेखनीय है कि मार्च में बैंक ने अपने डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में 1,979 करोड़ रुपये की लेखा चूक की सूचना दी थी। इसके बाद बैंक की आंतरिक ऑडिट समीक्षा में पाया गया कि सूक्ष्म-वित्त व्यवसाय से ब्याज के रूप में मिले 674 करोड़ रुपये गलत तरीके से दर्ज किए गए थे।