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डीजीसीए ने अकासा एयर को नोटिस भेजा, ऑडिट में दिखी खामियां

नियामक ने यह भी पाया कि आंतरिक ऑडिट के निष्कर्ष बार-बार समय पर बंद नहीं किए जा रहे थे, जिसका अर्थ है कि ज्ञात सुरक्षा या प्रक्रियात्मक मसले लंबे समय तक अनसुलझे रहे।

Last Updated- October 27, 2025 | 9:44 PM IST
Akasa Air

नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने अप्रैल और सितंबर के बीच अकासा एयर (Akasa Air) के परिचालनगत आंकड़ों का बारीकी से विश्लेषण करने के बाद उड़ान सुरक्षा और केबिन संचालन के प्रमुख क्षेत्रों में ‘बार-बार होने वाली’ प्रक्रियात्मक खामियों, दस्तावेज संबंधी कमियों और ‘लगातार’ प्रणालीगत कमियों जैसे कई मसलों को चिह्नित किया है।

बिज़नेस स्टैंडर्ड को मिली जानकारी के अनुसार नियामक ने अप्रैल-सितंबर के आंकड़ों की व्यापक निगरानी समीक्षा के बाद 21 अक्टूबर को जारी नोटिस के जरिये विमानन कंपनी को इन निष्कर्षों से अवगत कराया।

नोटिस में ‘स्तर 2’ के सुरक्षा उल्लंघनों की ओर इशारा किया गया है। ये उन गंभीर और बार-बार होने वाले गैर-अनुपालन को दर्शाते हैं, जो शायद तत्काल खतरा पैदा न करते हों, लेकिन सुरक्षा निगरानी और प्रक्रियागत अनुशासन में गहरी कमियों की ओर इशारा करते हैं।

इस मामले के बारे में पूछे जाने पर अकासा एयर के प्रवक्ता ने अखबार को बताया कि भारत में विमानन सुरक्षा मानकों को बनाए रखने के अपने निरंतर प्रयासों के तहत डीजीसीए सभी विमानन कंपनियों में ‘नियमित ऑडिट’ करता है।

प्रवक्ता ने कहा, ‘अकासा एयर हमेशा निर्धारित समय-सीमा के भीतर उठाई गई सभी टिप्पणियों पर व्यापक प्रतिक्रिया प्रस्तुत करती है। अकासा एयर के लिए सुरक्षा सर्वोपरि है और हम सभी नियामकीय आवश्यकताओं के अनुरूप परिचालन और सुरक्षा उत्कृष्टता के उच्चतम स्तर को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’

डीजीसीए के आकलन के अनुसार अकासा के कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (सीवीआर) की जांच बार-बार बिना किसी विश्लेषक की टिप्पणी या सुधारात्मक कार्रवाई के साक्ष्य के ‘बंद’ के रूप में चिह्नित की जा रही थी। सीवीआर उड़ान के दौरान कॉकपिट में हुई बातचीत और ऑडियो चेतावनियों के अंतिम दो घंटों को रिकॉर्ड करता है। इस डेटा की उचित समीक्षा मानवीय त्रुटियों या प्रक्रियात्मक खामियों का पता लगाने में मदद करती है, इससे पहले कि वे दुर्घटनाएं पैदा करें। ऐसी समीक्षाओं का दस्तावेजीकरण न करने से विमानन कंपनी की आंतरिक सुरक्षा निगरानी कमजोर होती है।

नियामक ने यह भी पाया कि आंतरिक ऑडिट के निष्कर्ष बार-बार समय पर बंद नहीं किए जा रहे थे, जिसका अर्थ है कि ज्ञात सुरक्षा या प्रक्रियात्मक मसले लंबे समय तक अनसुलझे रहे।

डीजीसीए द्वारा उजागर की गई प्रमुख चिंताओं में से एक यह तथ्य था कि सभी कर्मचारियों ने अनिवार्य थकान प्रबंधन प्रशिक्षण पूरा नहीं किया था। थकान प्रशिक्षण का उद्देश्य पायलटों और चालक दल को थकान के उन लक्षणों को पहचानने में मदद करना है जो निर्णय लेने में बाधा डाल सकते हैं। इसके बिना, मानवीय भूल का जोखिम ज्यादा होता है, खास तौर पर लंबे या अनियमित ड्यूटी रोस्टर पर।

First Published - October 27, 2025 | 9:41 PM IST

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