केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) से कर्मचारियों के अनकूल नीतियां बनाने का अनुरोध किया है, जिससे कर्मचारियों की नौकरी छोड़ने की दर कम की जा सके। नई दिल्ली में सोमवार को हुई बैठक के दौरान मौजूद रहे दो वरिष्ठ बैंकरों ने यह जानकारी दी है।
बैठक में मौजूद रहे एक आरआरबी के चेयरपर्सन ने कहा, ‘बैठक के दौरान वित्त मंत्री ने आरआरबी को कर्मचारियों के प्रति अधिक अनुकूल नीति बनाने की सलाह दी है, जिससे कि कर्मचारियों की नौकरी छोड़ने की दर कम हो सके। उन्होंने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए स्थानीय पोस्टिंग को प्राथमिकता देने की सलाह दी।’
वित्त मंत्री ने जिस बैठक की अध्यक्षता की, उसें वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) के नामित सचिव एम नागराजू, अतिरिक्त सचिव, डीएफएस के अन्य अधिकारी, भारतीय रिजर्व बैंक के प्रतिनिधि, भारतीय लघु उद्योग बैंक (सिडबी), राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), आरआरबी के चेयरपर्सन और प्रायोजक बैंकों के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) शामिल थे।
इस बैठक में शामिल रहे दूसरे बैंक अधिकारी ने कहा, ‘वित्त मंत्री ने ग्रामीण बैंकों में कर्मचारियों के नौकरी छोड़ने की दर अधिक होने को गंभीरता से लिया। उन्होंने यह भी कहा कि स्थानीय पोस्टिंग को प्राथमिकता दिए जाने से ग्राहकों के साथ मेलजोल बढ़ाने में मदद मिल सकती है और इससे बैंक का प्रदर्शन भी बेहतर होने की संभावना है।’
नाबार्ड के आंकड़ों के मुताबिक 43 आरआरबी में कर्मचारियों की कुल संख्या वित्त वर्ष 2021-22 के 95,833 की तुलना में घटकर वित्त वर्ष 2022-23 में 91,664 रह गई है। इनमें से अधिकारियों की संख्या वित्त वर्ष 2022 के 57,104 से घटकर वित्त वर्ष 2023 में 56,425 रह गई है। बहरहाल शाखाओं की संख्या में मामूली बढ़ोतरी हुई है और यह वित्त वर्ष 2022 के 21,892 की तुलना में बढ़कर वित्त वर्ष 2023 में 21,995 हो गई है।
प्रथम यूपी ग्रामीण बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी मोहित चौधरी ने कहा, ‘कर्मचारियों के ग्रामीण बैंक की नौकरी छोड़ने की एक प्रमुख वजह यह है कि उन्हें बड़े अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों में बेहतर मौका मिल रहा है। एससीबी में समान भुगतान मिलने के बावजूद वहां तुलनात्मक रूप से बेहतर अतिरिक्त सुविधाएं मिलती हैं।