महाराष्ट्र सरकार ने ऑनलाइन पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू की है लेकिन अभी यह सुविधा नई संपत्ति के लिए ही उपलब्ध है
यदि आप कभी जमीन-जायदाद के पंजीकरण यानी रजिस्ट्री के लिए सब-रजिस्ट्रार के दफ्तर गए हैं तो आपको पता ही होगा कि रजिस्ट्री कराना कितना मुश्किल और थकाऊ काम है। दफ्तर अक्सर पुरानी और खस्ताहाल इमारतों में होते हैं, जहां मकान खरीदने वाले लोग बिचौलियों से जूझते नजर आते हैं।
यहां खरीदारों की लंबी कतारें दिखती हैं, जिन्हें अपनी बारी आने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। मगर महाराष्ट्र में रहने वालों को इन समस्याओं से निजात मिल रही है क्योंकि जमीन-जायदाद की बिक्री के समझौतों की ऑनलाइन रजिस्ट्री वहां शुरू हो गई है। यह पहल कोरोनावायरस की वैश्विक महामारी के दौरान शुरू की गई थी। इसके तहत रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (रेरा) की मंजूरी वाली परियोजनाओं में मकान खरीदने वालों को रजिस्ट्री दफ्तर में धक्के नहीं खाने पड़ते। उन्हें डेवलपर के दफ्तर में बैठे-बैठे ही ऑनलाइन रजिस्ट्री कराने का विकल्प मिलता है।
फिलहाल महाराष्ट्र में 400 से अधिक डेवलपरों ने ई-रजिस्ट्री का विकल्प चुना है। हालांकि कई राज्यों ने लीव ऐंड लाइसेंस समझौतों (संपत्ति किराये पर देने के लिए) के लिए ई-रजिस्ट्रेशन का विकल्प दिया है, लेकिन किसी ने भी जमीन-जायदाद की बिक्री के लिए ऐसा नहीं किया है।
क्या है प्रक्रिया?
खरीदारों को ई-रजिस्ट्री की सुविधा प्रदान करने के लिए डेवलपरों को स्वयं-सहायता पोर्टल इस्तेमाल करने की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इसके जरिये डेवलपर अपना लॉगइन बना सकते हैं और अपेक्षित दस्तावेज अपलोड करते हुए अपनी परियोजनाओं के ई-पंजीकरण के लिए आवेदन कर सकते हैं।
कुशमैन ऐंड वेकफील्ड इंडिया के प्रबंध निदेशक (रेजिडेंशियल सर्विसेज) शालीन रैना ने कहा, ‘दस्तावेजों को अधिकारियों की इजाजत मिलने के बाद उस पोर्टल के जरिये डेवलपर के दफ्तर से मकान खरीदार के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी की जा सकती है।’
सबसे पहले सेल डीड पर डिजिटल हस्ताक्षर होते हैं और उसे अपलोड किया जाता है। साथ ही भुगतान किए गए स्टांप शुल्क के चालान और डेवलपर द्वारा की गई टीडीएस कटौती का सबूत भी अपलोड किया जाता है। उसके बाद अंगूठे के निशान और खरीदार (संयुक्त खरीदारों) की तस्वीरें ली जाती हैं। प्रक्रिया पूरी होने के बाद खरीदार को डिजिटल प्रमाण पत्र मिल जाता है।
खरीदारों को सुविधा
ई-रजिस्ट्री की प्रक्रिया से मकान खरीदारों को पंजीकरण के लिए लंबी कतारों में इंतजार नहीं करना पड़ेगा। स्क्वैर यार्ड्स के मुख्य कारोबार अधिकारी (डेटा इंटेलिजेंस एवं परिसंपति प्रबंधन) आनंद मूर्ति ने कहा, ‘डेवलपर खरीदार को निर्धारित समय देकर इस प्रक्रिया को बेहतर तरीके से संभाल सकते हैं।’
खरीदार को गवाहों को साथ लाने की भी जरूरत नहीं होगी। रैना ने कहा, ‘ई-रजिस्ट्री में दो गवाहों की जरूरत भी अब नहीं रही। आधार कार्ड के जरिये सत्यापन और डिजिटल हस्ताक्षर को इस प्रक्रिया में शामिल किया गया है।’
ई-रजिस्ट्री से राज्य सरकार को भी फायदा होगा। एनारॉक समूह के प्रमुख (रेजिडेंशियल सर्विसेज- पश्चिम) राजकुमार सिंह ने कहा, ‘वैश्विक महामारी के दौरान जमीन-जायदाद का पंजीकरण रुक गया था। इससे महाराष्ट्र जैसे राज्य के राजस्व को तगड़ा झटका लगा था। ई-रजिस्ट्री की प्रक्रिया शुरू होने से भविष्य में ऐसी समस्या नहीं होगी।’
नई संपत्ति के ही लिए
फिलहाल केवल नई परियोजनाओं के तहत प्रॉपर्टी की बिक्री के लिए ऑनलाइन पंजीकरण की अनुमति दी गई है। सिंह ने कहा, ‘रीसेल वाली यानी पुरानी संपत्ति के लिए अब भी ऑफलाइन रजिस्ट्री ही कराना अनिवार्य है।’ इसके लिए बायोमेट्रिक्स सत्यापन कराना होगा, जिसके लिए स्वयं उपस्थित रहना जरूरी रहता है।
कॉलियर्स इंडिया के प्रबंध निदेशक (परामर्श सेवा) शुभंकर मित्रा ने कहा, ‘प्रौद्योगिकी में सुधार के साथ ही भविष्य में पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होने की उम्मीद है। इससे शहर या राज्य से बाहर रहने वाले लोगों को संबंधित राज्य में आए बिना जमीन-जायदाद के पंजीकरण की प्रक्रिया को पूरा करने की सुविधा मिलेगी।’कायदा तो यही कहता है कि ई-रजिस्ट्री नई संपत्तियों की खरीद तक ही सीमित नहीं रखी जाए। इसे पुरानी संपत्तियों की खरीद-बिक्री में भी लागू किया जाना चाहिए। साथ ही इसे अन्य राज्यों में शुरू करने की भी जरूरत है।
मगर जानकारों का कहना है कि ई-रजिस्ट्री से एक ही संपत्ति को कई व्यक्तियों के नाम पर बेचने और रजिस्टर करने या पहले से ही किसी बैंक के पास गिरवी रखी गई संपत्ति को बेचने की समस्या दूर नहीं होगी। मूर्ति ने कहा, ‘भारत में लोगों का मानना है कि यदि उन्होंने अपनी संपत्ति का पंजीकरण सब-रजिस्ट्रार के पास करा लिया है तो उनका मालिकाना हक संरक्षित रहेगा। हालांकि यह सच नहीं है क्योंकि कई बार पंजीकरण के बाद मामले अदालत तक पहुंच जाते हैं। ऑनलाइन पंजीकरण से इस मुद्दे का समाधान नहीं होगा।’ उन्होंने कहा कि इसे रोकने के लिए व्यवस्था खड़ी की जानी चाहिए।
मालिकाना हक की जांच जरूरी
जमीन-जायदाद के ऑनलाइन पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू करने से पहले राजस्व महानिरीक्षक (आईजीआर) की वेबसाइट पर जाएं और संपत्ति के मालिक की पड़ताल करें।
मित्रा ने कहा, ‘वहां आपको इसकी प्रक्रिया, आवश्यक दस्तावेज, स्टांप शुल्क की राशि और भुगतान किए जाने वाले पंजीकरण शुल्क आदि के बारे में बहुत सारी जानकारी मिल जाएगी।’ ई-रजिस्ट्रेशन से पहले वकील के पास जाएं और उससे राय लें कि जो मकान या जमीन आप खरीद रहे हैं, उसका मालिकाना हक किसके पास है और इसकी जांच कैसे की जाए।