रियल एस्टेट डेवलपर खरीदारों को लुभाने के लिए इस त्योहारी सीजन में कीमतों में छूट और मुफ्त उपहारों के अलावा बाद में भुगतान की योजनाएं भी जमकर लाए हैं। वे दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र जैसे बाजारों में रुकी हुई परियोजनाओं में अटके खरीदारों को परियोजनाएं बदलने की योजनाओं की भी पेशकश कर रहे हैं। ये योजनाएं पहली नजर में लुभावनी लगती हैं और फायदेमंद भी हो सकती हैं मगर खरीदारों को उनमें निहित जोखिमों को समझने और फिर सोच-समझकर फैसला लेने की जरूरत है।
बाद में भुगतान की योजनाएं
डेवलपर इस सीजन में 10:90 और 20:80 जैसी योजनाओं का जोर-शोर से प्रचार कर रहे हैं। इनमें खरीदार को कीमत का करार करने और संपत्ति रोकने के लिए 10 से 20 फीसदी अग्रिम भुगतान करना होता है। वह शेष 80 से 90 फीसदी रकम परिसंपत्ति मिलने पर चुकाता है। स्कवेयर याड्र्स के पीयूष बोथरा ने कहा, ‘इन योजनाओं से निर्माणाधीन परियोजनाओं के देर से पूरी होने या पूरी न होने का जोखिम कम हो जाता है क्योंकि खरीदार की सीमित राशि ही दांव पर लगी होती है।’ पैसे का मूल्य समय पर निर्भर करता है, इसलिए इस वजह से भी बाद में भुगतान करना फायदेमंद है।
हालांकि इस बारे में सतर्क रहना चाहिए कि डेवलपर ऐसी योजनाओं में अधिक कीमत वसूल सकते हैं। बोथरा ने कहा, ‘खरीदारों को उस क्षेत्र में वैसी ही परिसंपत्तियों की कीमत का पता लगाना चाहिए। परियोजना अटकने का जोखिम कम करने के लिए थोड़ी अधिक कीमत दी जा सकती है, लेकिन यह बहुत अधिक नहीं होनी चाहिए।’
आप अपना अग्रिम भुगतान भी नहीं गंवाना चाहेंगे, इसलिए सोच-समझकर अपना डेवलपर चुनें। सीबीआरई इंडिया में प्रबंध निदेशक (पूंजी बाजार और आवासीय कारोबार) गौरव कुमार ने कहा, ‘ऐसे स्थापित डेवलपर को चुनें, जिसका समय पर डिलिवरी का रिकॉर्ड हो और जिसे देरी के मामले में अपने ग्राहकों का ख्याल रखने के लिए जाना जाता है। इसके अलावा यह भी सुनिश्चित करें कि वह वित्तीय दिक्कतों में न उलझा हो।’
पैसे की व्यवस्था इस तरह से करें कि आप परिसंपत्ति मिलने के समय कीमत का 80 से 90 फीसदी हिस्सा चुका पाएं। अगर आप महंगी कीमतों पर बेचकर निकलने के मकसद से ऐसी किसी योजना में निवेश करते हैं, जिसमें सुस्त बाजार में निकलना मुश्किल हो सकता है तो आप अपनी डाउन पेमेंट भी गंवा सकते हैं।
कुछ डेवलपर तैयार परिसंपत्तियों में 12 से 18 माह बाद भुगतान की पेशकश कर रहे हैं। परिसंपत्ति की गुणवत्ता की जांच करें। कई बार ऐसी योजनाएं उन परिसंपत्तियों के लिए मुहैया कराई जाती हैं, जिनमें डेवलपरों को बेचने में दिक्कत आ रही है। इसके अलावा बाद में चुकाने से आपको आवास ऋण पर ब्याज लागत में बचत होती है। आपको यह कर्ज बाद में चुकाना होता है। लेकिन यह सुनिश्चित करें कि आप उस परिसंपत्ति की जितनी अधिक कीमत चुका रहे हैं, वह आपको आवास ऋण ब्याज में होने वाली बचत से अधिक नहीं होनी चाहिए।
परिसंपत्ति को बदलना
इन योजनाओं में खरीदार किसी रुकी हुई परियोजना में अपनी परिसंपत्ति डेवलपर को सौंपकर उससे किसी दूसरी परियोजना में परिसंपत्ति खरीदते हैं। डेवलपर नए अपार्टमेंट की कीमत में से रुके हुए अपार्टमेंट के लिए चुकाई गई धनराशि को घटा देते हैं। जिस व्यक्ति का पैसा लंबे समय से अटका हुआ है, उनके लिए यह योजना एक विकल्प है।
इन योजनाओं में एक पेच यह है कि डेवलपर आपको ऐसी परिसंपत्ति में निवेश करने के लिए कहेगा, जिसकी कीमत रुकी हुई परियोजना में आपके द्वारा किए गए निवेश से तीन से चार गुना होगी। अगर आपने रुकी हुई परियोजना में 30 लाख रुपये का निवेश किया था तो आपको नए डेवलपर से 1.2 करोड़ (चार गुना) का घर खरीदना पड़ सकता है। इस पेशकश को इस तरह से भी देखा जा सकता है कि खरीदार को नई परियोजना में 25 फीसदी छूट मिल जाती है।
खरीदारों को फिर से अपना अनुसंधान करने और उस क्षेत्र के वैसे ही अपार्टमेंट का कीमत बेंचमार्क तय करने की जरूरत होती है ताकि उन्हें यह पता चल सके कि उनसे अधिक कीमत तो नहीं ली जा रही है। डेवलपर किसी रुकी हुई परियोजना में आपका अपार्टमेंट मुफ्त में नहीं लेगा। कुमार ने कहा, ‘आप जितनी अधिक कीमत चुका रहे हैं, उसका आकलन करने में सक्षम होने चाहिए।’
डेवलपर स्टांप शुल्क, पार्किंग जैसे लाभ मुफ्त में देने की पेशकश कर रहे हैं, जिनका मूल्य परिसंपत्ति की कीमत का 10 से 12 फीसदी हो सकता है। बोथरा ने कहा, ‘जब वे कोई बदलने की योजना मुहैया कराते हैं तो वे इन छूटों की पेशकश नहीं करते हैं। इसलिए माना कि आपको मिलने वाला 25 फीसदी लाभ घटकर 10 से 12 फीसदी रह जाता है।’
इन योजनाओं में खरीदार से बड़ी राशि के अग्रिम भुगतान की उम्मीद की जाती है। इसलिए अगर नई परिसंपत्ति 1.2 करोड़ रुपये की है और रुकी हुई परियोजना के लिए चुकाई गई राशि 30 लाख रुपये है तो डेवलपर खरीदार द्वारा चुकाई जाने वाली 90 लाख रुपये की राशि में से 40 से 50 फीसदी अग्रिम देने की मांग करेगा। परिसंपत्ति को दूसरे डेवलपर के साथ बदलने में कानूनी जटिलाएं हैं, इसलिए खरीदारों को केवल प्रतिष्ठित डेवलपरों के पास ही जाना चाहिए। उन्हें हस्ताक्षर से पहले वकील द्वारा जांचा-परखा गया खरीद समझौता हासिल करना चाहिए। कुमार ने कहा, ‘केवल तैयार परिसंपत्तियों के लिए ऐसी योजनाएं चुननी चाहिए।’ आप एक डेवलपर की रुकी हुई परियोजना से दूसरे डेवलपर की रुकी परियोजना में नहीं जाना चाहेंगे।