राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा का कहना है कि वित्त वर्ष 2025 के लिए कम कॉरपोरेट कर के अनुमान की मुख्य वजह चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में शीर्ष-170 कंपनियों के लाभ में आई गिरावट है। श्रीमी चौधरी के साथ बातचीत में उन्होंने बजट में हुईं कर संबंधित घोषणाओं के बारे में विस्तार से बताया। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
कॉरपोरेट करों में कटौती के बारे में आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
इनमें मामूली कमी की गई है। फिर भी, हम करीब 10 प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान जता रहे हैं। साथ ही, अब तक हासिल वृद्धि दर भी उसी के अनुरूप है। अनुमान में शीर्ष 171 कंपनियों का कॉरपोरेट मुनाफा शामिल है, जिसमें वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में कमी आई। इनमें बैंक और वित्तीय क्षेत्र शामिल नहीं हैं। यदि आप इन्हें शामिल करते हैं तो यह करीब 4 प्रतिशत की वृद्धि है।
सीजीएसटी में भी कमी देखी गई जबकि उत्पाद शुल्क में वृद्धि देखी गई?
वे पिछले वर्ष की वृद्धि दर के अनुरूप हैं।
पूंजीगत लाभ कर व्यवस्था में बदलाव के पीछे क्या वजह थी?
सरकार पिछले कुछ वर्षों से करों के विभिन्न प्रावधानों को सरल बनाने की कोशिश कर रही थी, जिसमें जीएसटी भी शामिल है, जिसने अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था को आसान बना दिया है। इस परिवर्तनकारी बदलाव के संदर्भ में यह एक और बदलाव है जो हमने किया है।
कई हितधारकों द्वारा पिछले कुछ समय से इस व्यवस्था में बदलाव की मांग की जा रही है, क्योंकि विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों में अलग-अलग दरें और होल्डिंग अवधि होती हैं। उदाहरण के लिए, इंडेक्सेशन के बिना दर 20 प्रतिशत है और इंडेक्सेशन के साथ 10 प्रतिशत है।
अब हमने एलटीसीजी में दो दरों – 20 प्रतिशत और लागू दरों को आसान बनाया है। इसी तरह का बदलाव एसटीसीजी में किया गया है। रियल एस्टेट में भी, जहां भी रिटर्न ज्यादा है, वहां नया ढांचा फायदेमंद है। बहुत कम मामलों में रिटर्न कम होता है, और यह अपवाद है।
इंडेक्सेशन क्लॉज क्यों हटाया गया?
यह एक सरलीकरण प्रक्रिया है, मुझे इसकी कोई खास वजह नहीं दिख रही है कि कुछ खास परिसंपत्ति वर्गों के लिए इंडेक्सेशन लाभ कुछ परिसंपत्ति वर्गों के लिए होना चाहिए और अन्य के लिए नहीं। कुछ लोग इस पर चर्चा कर रहे हैं कि विरासत कर है, तो यह स्पष्ट है कि विरासत के संबंध में कोई बदलाव नहीं हुआ है, पहले विरासत पर कोई कर नहीं था और अब भी कोई कर नहीं है। अब, जब आप कोई संपत्ति बेचते हैं, चाहे वह विरासत से जुड़ी हो या अन्य से, उस पर भी कर लगता है।
क्या आयकर अधिनियम की व्यापक समीक्षा के बाद प्रत्यक्ष कर संहिता पर नए सिरे से विचार होगा?
यह एक आंतरिक प्रक्रिया होगी और हमारे पास इसके लिए आंतरिक समिति है। हम सही समय पर परामर्श करेंग। कर संहिता को सरल बनाने के उद्देश्य से इसकी अधिक समीक्षा करने के लिए आंतरिक प्रक्रिया होगी। ताकि इसे आम लोगों, करदाताओं और पेशेवरों को समझने में आसान बनाया जा सके। इसमें कई विभिन्न धाराएं हैं। इन्हें ज्यादा सरल बनाया जा सकेगा।
इसके अलावा कई प्रावधान हैं जो पिछली अवधियों से जुड़े हुए हैं, जिनकी अब अधिनियम में जरूरत नहीं हो सकती है। इसके अलावा, प्रक्रियाओं से जुड़े ऐसे कई प्रावधान हैं जिन पर हमें निर्णय लेना होगा कि उन्हें अधिनियम में रखने की जरूरत है या नहीं।
क्या आयकर व्यवस्था में नए बदलावों के साथ आपको संपूर्ण बदलाव का अनुमान है?
पुरानी कर व्यवस्था का अंत नहीं हुआ है। नया बदलाव कितना फायदेमंद होगा और कितना बदलाव आएगा, मैं अभी नहीं कह सकता।
क्या बेनामी निषेध अधिनियम के तहत छूट देने से मुख्य अपराधियों को पकड़ने में मदद मिलेगी?
मुख्य अपराधियों के खिलाफ साक्ष्य जुटाने के लिए इस तरह की छूट देना जरूरी है, क्योंकि ज्यादातर मामलों में बेनामीदारों को इस बारे में पता नहीं होता। इससे उन्हें विवरण का खुलासा करने के लिए उकसाया जा सकता है।