कुछ वर्षों की सुस्ती के बाद प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) ने अब रफ्तार पकड़ी है। सरकार की इस प्रमुख बीमा योजना के तहत किसानों का पंजीकरण 2.5 करोड़ के उच्च स्तर पर पहुंच गया है। इस योजना के तहत बीमा कराने वाले उन किसानों की संख्या करीब 44.5 प्रतिशत (या 1.11 करोड़) है, जिन्होंने किसी तरह का कर्ज नहीं लिया है।
आंकड़ों से पता चलता है कि हाल में खरीफ की बोआई का सत्र पूरा होने के बाद आए बीमा के आंकड़े 2018 से अब तक के उच्च स्तर पर हैं। इसके पहले के खरीफ सत्र में करीब 2.04 करोड़ किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा का विकल्प चुना था, जिसमें कर्ज न लेने वाले किसानों की संख्या करीब 42 प्रतिशत थी।
प्रधानमंत्री फसल बीमा में कर्ज न लेने वाले किसानों की संख्या में बढ़ोतरी इस बात का संकेतक है कि योजना को स्वैच्छिक रूप से स्वीकार करने वाले किसानों की संख्या बढ़ रही है।
किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के सेचुरेशन के साथ कृषि मंत्रालय द्वारा की गई 3 महत्त्वपूर्ण डिजिटल पहल की शुरुआत की घोषणा के दौरान आंकड़ों का खुलासा करते हुए पीएमएफबीवाई के सीईओ ऋतेष चौहान ने कहा कि उनके आंकलन के मुताबिक वित्त वर्ष 2023-24 में करीब 3.75 से 4 करोड़ किसानों ने पीएमएफबीवाई के तहत पंजीकरण कराया है, जिसमें करीब 42 से 54 प्रतिशत कर्ज न लेने वाले किसान हैं।
चौहान ने यह भी कहा कि 2023-24 में फसल बीमा के तहत 5.75 से 6 करोड़ हेक्टेयर जमीन प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत आ गई है, जो 2022-23 के 4.97 करोड़ हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है। उन्होंने कहा कि कृषि मंत्रालय के अनथक प्रयासों के का्रण 2023-25 बीमा चक्र के लिए एक्चुरियल प्रीमियम दरें 2021-23 चक्र की तुनला में करीब 32 प्रतिशत कम है। इससे सरकार के खजाने के 10,580 करोड़ रुपये बचे हैं।