facebookmetapixel
Gold, Silver price today: घरेलू बाजार में सोने के भाव रिकॉर्ड हाई पर, चांदी ऊंचाई से नीचे उतरीडॉलर के मुकाबले ₹90.70 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर रुपया, इस साल 6% टूटा; एशिया में सबसे कमजोर करेंसीवरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शिवराज पाटिल का निधन, 90 साल की उम्र में ली आ​खिरी सांसTop- 5 UPI Apps: दूसरी तिमाही में जोरदार तेजी; पॉपक्लब सबसे आगे, मोबिक्विक तेजी से बढ़ने वाले ऐप्स में शामिल₹29,445 करोड़ का SIP इनफ्लो: क्या म्युचुअल फंड्स का बेस्ट फेज लौट आया है?एएमसी के बजाय एक्सचेंजों पर दांव लगाना बेहतरएआई आधारित सेवाओं पर फोकस, इन्फीबीम एवेन्यूज ने बदला नाम- अब होगा एवेन्यूजएआईनवंबर में इक्विटी म्युचुअल फंड निवेश 21% बढ़ा, तीन माह की गिरावट थमीवैश्विक परमाणु मांग बढ़ी, एलऐंडटी ने अंतरराष्ट्रीय बाजारों पर फोकस बढ़ायानिफ्टी 2026 में एसऐंडपी से आगे निकल सकता है: अमीश शाह

ऊंचे स्तर पर फंसी बॉन्ड यील्ड से NBFC ने इश्यू टाला, राज्य सरकार उधारी भी बढ़ी

बॉन्ड यील्ड लगातार ऊंचे स्तर पर रही जिससे एनबीएफसी ने इश्यू टाल दिया और राज्यों की उधारी में 31 प्रतिशत की सालाना बढ़ोतरी दर्ज की गई।

Last Updated- August 24, 2025 | 10:53 PM IST
Bonds
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

बड़ी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी ने निवेशकों की कम रुचि के कारण बॉन्ड इश्यू को लंबित कर दिया। निवेशकों की रुचि यील्ड उच्च स्तर पर रहने के कारण कम हो गई है। यह गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी भारतीय रिजर्व बैंक के स्केल आधारित सुपरविजन सूची के ऊपरी स्तर पर है। 

जुलाई की शुरुआत में पेश की गई 15 साल की सरकारी प्रतिभूति की यील्ड बहुत कम समय में 25 आधार अंक बढ़ गई। राज्य सरकार के बॉन्ड  की यील्ड भी तेजी से बढ़ी। अप्रैल के पहले सप्ताह में 10 साल के एसडीएल की यील्ड 6.84 से 6.88 प्रतिशत के दायरे में थी और यह 19 अगस्त में उछलकर 7.09 से 7.17 प्रतिशत हो गई है। दीर्घावधि में दरें और बढ़ सकती हैं। दरअसल 30 वर्षीय एसडीएल की दर अप्रैल के 6.87 प्रतिशत से बढ़कर अगस्त में 7.44 प्रतिशत हो गई है। फरवरी के बाद से नीतिगत ब्याज दर में 100 आधार अंक की कटौती के बावजूद ज्यादातर बॉन्ड यील्ड में उछाल आया है जिसमें मौद्रिक नीति की जून की समीक्षा में दर में 50 आधार अंक की कटौती (फ्रंड लोडिड कट) भी शामिल है। 

दरअसल बॉन्ड मार्केट में कई कारकों के कारण मौद्रिक नीति से आया बदलाव फीका पड़ गया है। इन कारकों में लंबी अवधि के बॉन्ड की बेहद आपूर्ति, नीतिगत दरें और सुस्त होने की उम्मीद का फीका होना, जीएसटी ब्याज दरों में कटौती का हालिया प्रस्ताव और निवेशकों का कम अवधि तक निवेश करना शामिल हैं। 

बड़े सरकारी बैंक के कारोबारी ने कहा, ‘कॉरपोरेट बॉन्ड मार्केट से राज्य बॉन्ड पूरी तरह इलिक्विड हो गए हैं। यदि इन्हें कोई बेचना चाहता है तो उन्हें 10 वर्षीय बेंचमार्क सरकारी प्रतिभूति में शॉर्ट पोजिशन लेनी पड़ती है। इससे यील्ड और बढ़ जाती है।’

बाजार के प्रतिभागियों के अनुसार वित्त वर्ष 26 में राज्य सरकार की उधारियों की औसत अवधि में तेजी से इजाफा हुआ जिससे मांग में तालमेल नहीं हो पाया। तेलंगाना, केरल, पश्चिम बंगाल, पंजाब, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार ने इश्यू जारी करने की अवधि को तेजी से बढ़ा दिया है। लिहाजा इस वित्त वर्ष में राज्यों की उधारी सालाना आधार पर 31 प्रतिशत बढ़ गया है। 

कोटक महिंद्रा बैंक के अर्थशास्त्रियों की रिपोर्ट के अनुसार, ‘सार्वजनिक वित्त की पृष्ठभूमि में एसडीएल की उच्च मात्रा और अवधि दोनों की आपूर्ति हुई। लगातार तीसरे वर्ष राज्यों का वित्त वर्ष 26 का एफडी/जीडीपी का बजट 3 प्रतिशत से अधिक होने का अनुमान है।’

First Published - August 24, 2025 | 10:53 PM IST

संबंधित पोस्ट