US Dollar vs Indian Rupee: डॉलर की तुलना में भारतीय रुपये में गिरावट का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। शुक्रवार को रुपये रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। अमेरिका के साथ ट्रेड डील समझौते के अभाव और विदेशी निवेशकों की लगातार निकासी के चलते बाजार की धारणा कमजोर बनी रही। रुपये में तेज गिरावट को थामने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) हस्तक्षेप कर सकता है।
भारतीय रुपया शुक्रवार को लगातार गिरता हुआ रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। करेंसी फिसलकर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 90.709 के निचले स्तर पर पहुंच गई। यह 11 दिसंबर के ऑल टाइम निचले लेवल 90.4675 से भी नीचे है। कारोबार के दौरान रुपया 90.4650 पर रहा, जो दिन के आधार पर करीब 0.1 फीसदी की गिरावट दर्शाता है। बाजार के जानकारों का कहना है कि अगर टैरिफ लंबे समय तक बने रहते हैं तो रुपये में और कमजोरी आ सकती है।
पिछले हफ्ते 3 दिसंबर को रुपया 90.20 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था, जो सर्वकालिक निचला स्तर था। आज रुपये में फिर गिरावट आई। इस साल एशिया की मुद्राओं में रुपये का प्रदर्शन सबसे खराब रहा, जिसमें डॉलर के मुकाबले करीब 6 प्रतिशत की गिरावट आई है।
इस साल एशिया की मुद्राओं में रुपया सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा रहा है और वर्ष की शुरुआत से अब तक डॉलर के मुकाबले करीब 6 फीसदी टूट चुका है। भारत से अमेरिकी बाजार में निर्यात पर 50 फीसदी तक के ऊंचे अमेरिकी शुल्क का दबाव पड़ा है। इससे न केवल निर्यात प्रभावित हुआ है बल्कि विदेशी निवेशकों के लिए भारतीय शेयरों का आकर्षण भी कम हुआ है।
ट्रेड डील को लेकर बातचीत जारी रहने के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से फोन पर बातचीत की। भारत 50 फीसदी अमेरिकी शुल्क से राहत की कोशिश कर रहा है।
2025 में अब तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयरों से शुद्ध रूप से करीब 18 अरब डॉलर की बिकवाली की है। इससे भारत उन बाजारों में शामिल हो गया है जहां पोर्टफोलियो निकासी सबसे ज्यादा रही है। कारोबारियों के अनुसार, नॉन-डिलीवेरेबल फॉरवर्ड (एनडीएफ) बाजार में मजबूत डॉलर खरीद और आयातकों की हेजिंग मांग ने शुक्रवार को रुपये पर दबाव बढ़ाया।
एक्सपर्ट्स और बैंकरों के अनुसार, अमेरिकी ट्रीड डील रुपये के लिए सबसे अहम कारक बनी हुई हैं और यदि इसमें कोई सफलता मिलती है तो रुपया अपनी हालिया गिरावट के सिलसिले से बाहर निकल सकता है।
रुपये की मौजूदा कमजोरी के चलते यह अब डिवैल्युएशन के दायरे में भी पहुंच गया है। आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, व्यापार भागीदार देशों के साथ मुद्रास्फीति के अंतर को ध्यान में रखने वाला रुपये का व्यापार-भारित वास्तविक प्रभावी विनिमय दर (आरईईआर) अक्टूबर तक घटकर 97.47 पर आ गया है। 100 से नीचे का स्तर रुपये के डिवैल्युएशन का संकेत माना जाता है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी अनंत नागेश्वरन ने गुरुवार को कहा कि भारत और अमेरिका ने व्यापार समझौते पर ‘अपने अधिकांश लंबित मतभेदों’ को दूर कर लिया है, और मार्च 2026 तक एक औपचारिक समझौता हो सकता है। फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स के ट्रेजरी हेड अनिल कुमार भंसाली ने कहा, ‘व्यापार समझौता मार्च-2025 तक होने के सीईए के बयान से बाजार में अनिश्चितता और बढ़ गई है। इसके अलावा मैक्सिको ने भारत सहित एशिया से आने वाले सामानों पर 50 प्रतिशत तक शुल्क लगा दिया है।’
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को साफ कह दिया है कि भारत, अमेरिका के साथ व्यापार समझौते के लिए कोई तय समय-सीमा लेकर नहीं चल रहा है। उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका, भारत के प्रस्ताव से खुश है तब उसे समझौते पर तुरंत दस्तखत कर देने चाहिए।
गोयल, अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) जैमीसन ग्रीर की टिप्पणी पर जवाब दे रहे थे। ग्रीर ने कहा था कि अमेरिका को भारत से अब तक का सबसे अच्छा प्रस्ताव मिला है हालांकि भारत कुछ कृषि उत्पादों के लिए बाजार पहुंच का विरोध कर रहा है।