बैंकों और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) द्वारा सिक्योरिटाइजेशन के जरिये निवेशकों को ऋणों की बिक्री की जाती है। इस तरीके से ऋण बिक्री ने मार्च 2025 को खत्म हुई चौथी तिमाही में 50,000 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर लिया है और यह पिछले वर्ष की समान अवधि के 48,000 करोड़ रुपये से थोड़ा अधिक है। रेटिंग एजेंसी इक्रा के मुताबिक तिमाही आधार पर ऋणों की बिक्री की मात्रा में काफी कमी आई है जो वित्त वर्ष 2025 की दूसरी और तीसरी तिमाही यानी दोनों तिमाहियों में करीब 69,000 करोड़ रुपये थी।
विश्लेषकों और बैंकरों का कहना है कि तिमाही आधार पर यह कमी नकदी की स्थितियों में आंशिक सुधार को दर्शाता है और निजी बैंक सहित कुछ खिलाड़ी, जिन्होंने दूसरी और तीसरी तिमाही में अधिक मात्रा में ऋणों की बिक्री की थी, वे भी अंतिम तिमाही में कम सक्रिय थे।
इस तरीके से ऋणों की बिक्री में समान परिसंपत्तियों जैसे कि गिरवी, वाहन ऋण या क्रेडिट कार्ड ऋण को एक साथ पूल कर फिर उन्हें पास थ्रू सर्टिफिकेट (पीटीसी) के जरिये प्रतिभूतियों में दोबारा पैकेजिंग किया जाता है। इन ऋणों को सीधे भी बेचा जाता है। कर्जदाता विशेषतौर पर बैंक प्राथमिकता क्षेत्र को ऋण देने के नियमों को पूरा करने के लिए ऋणों के पूल को खरीदते हैं।
आईसीआर के आंकड़े से अंदाजा मिलता है कि प्रतिभूतिकरण से ऋणों की बिक्री की मात्रा वित्त वर्ष 2025 में 2.35 लाख करोड़ रुपये थी जो वित्त वर्ष 2024 के 1.9 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। इक्रा में स्ट्रक्चर्ड फाइनैंस रेटिंग के ग्रुप को-हेड सचिन जोगलेकर ने कहा कि माइक्रोफाइनैस सेक्टर की गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों व अन्य असुरक्षित संपत्ति वर्गों में चौथी तिमाही में कम ऋण दिया गया। निजी क्षेत्र के बैंकों ने प्रतिभूतिकरण के माध्यम से अपने ऋण पोर्टफोलियो की बिक्री जारी रखी, जिससे क्रेडिट टु डिपॉजिट रेशियो कम हो सके।