जानबूझकर चूककर्ताओं पर भारतीय बैंकिंग प्रणाली का ताजा रिकॉर्ड 62,970 करोड़ रुपये पर पहुंच चुका है। यानी कि महामारी शुरू होने के बाद से अतिरिक्त बकाया रकम में 10 फीसदी की वृद्घि हो चुकी है। जून में कुल बकाया
रकम बढ़कर 6.85 लाख करोड़ रुपये हो गया जो दिसंबर 2019 में 6.22 लाख करोड़ रुपये रहा था।
बिजनेस स्टैंडर्ड ने यह विश्लेषण ट्रांसयूनियन सिबिल के आंकड़ों से किया है। भारत में कोविड-19 का पहला मामला जनवरी 2020 में दर्ज किया गया था।
जानबूझकर चूककर्ताओं के पास बकाया रकम दिसंबर 2020 में 7.6 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया जो महामारी के बाद एक नया उच्चतम स्तर था। यह महामारी से पूर्व के स्तर से 1.4 लाख करोड़ रुपये अधिक था। ताजा आंकड़ा फिर भी बेहतर है हालांकि, वह भी महामारी से पूर्व के स्तर से अधिक है।
जानबूझकर चूककर्ता ऐसे उधारकर्ता होते हैं जो बैंक से धन उधार लेने के बाद उसे चुकाने की गुंजाइश होने के बावजूद नहीं चुकाते हैं। जून तक ऐसे लंबित मामलों की संख्या 26,022 थी। यदि जून 2019 के आंकड़ों से जून 2021 के आंकड़ों की तुलना करें तो बकाये रकम में वृद्घि बड़ी नजर आती है। 5.5 लाख करोड़ रुपये के कुल बकाये रकम के साथ मामलों की संख्या 24,175 थी।
जून में 5.3 लाख करोड़ रुपये के कुल बकाये में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की हिस्सेदारी 77.4 फीसदी थी। हालांकि, बैंकों द्वारा दिए गए ऋण में सरकारी बैंकों की हिस्सेदारी भी अधिक है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के जून 2021 के आंकड़ों के मुताबिक बैंकों द्वारा दिए गए ऋण में सरकारी बैंकों की हिस्सेदारी 58 फीसदी थी। रिजर्व बैंक ने एक बात दर्ज की है कि निजी क्षेत्र के बैंक पकड़ बना रहे हैं।
रिजर्व बैंक ने 30 सितंबर को दिए प्रेस वक्तव्य में कहा, ‘तीव्र ऋण वृद्घि के साथ निजी क्षेत्र के बैंकों ने कुल ऋण में अपनी हिस्सेदारी को पांच वर्ष पूर्व के 25.7 फीसदी से बढ़ाकर 36.6 फीसदी कर लिया है। निजी क्षेत्र के बैंकों की हिस्सेदारी में वृद्घि सरकारी क्षेत्र के बैंकों की हिस्सेदारी की कीमत पर हो रही है। समान अवधि में सरकारी क्षेत्र के बैंकों की हिस्सेदरी 69 फीसदी से फिसलकर 58.1 फीसदी पर आ चुकी है।’
सबसे खराब बात यह है कि कम से कम 16 बैंकों ने जून की तुलना में चूककर्ताओं के मामले में वृद्घि दर्ज की है। यह वृद्घि बकाये मामलों की कुल संख्या के साथ साथ बकाये रकम में दर्ज की गई है। इससे पता चलता है कि चूक के नए मामले दर्ज किए जाएंगे।
तिमाही के दौरान जानबूझकर चूककर्ताओं पर बैंकों का 3,613.28 करोड़ रुपये बकाया हो गया। कम से कम 345 नए मामले दर्ज किए गए हैं। इसका मतलब है कि बैंकों ने तिमाही के दौरान रोजाना चूक के चार मामले दर्ज किए जिसकी रकम 40 करोड़ रुपये थी। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा था कि सरकार का इरादा यह सुनिश्चित करना है कि चूककर्ता पैसा लौटाएं।
