बाजार में तेजी और नए क्लाइंटों के अच्छे खासे जुड़ाव से ब्रोकिंग हाउस के लाभ में बढ़ोतरी हुई है। ज्यादातर ब्रोकिंग फर्मों ने सितंबर तिमाही में राजस्व व मुनाफे में जून तिमाही के मुकाबले अच्छी खासी बढ़ोतरी दर्ज की है। जून तिमाही भी इनके लिए अच्छी तिमाही रही थी।
सबसे बड़ी सूचीबद्ध ब्रोकिंग फर्म आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने सितंबर तिमाही में शुद्ध लाभ में तिमाही आधार पर 32 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की है और शुद्ध लाभ 324 करोड़ रुपये रहा जबकि इस अवधि में राजस्व 603 करोड़ रुपये दर्ज हुआ। मोतीलाल ओसवाल और ऐंजल ब्रोकिंग ने तिमाही आधार पर कर पश्चात लाभ में क्रमश: 33 फीसदी व 54 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की है जबकि राजस्व में क्रमश: 23 फीसदी व 25 फीसदी का इजाफा हुआ है। लाभ व राजस्व में सालाना आधार पर भी मजबूत बढ़ोतरी देखी गई है।
सितंबर तिमाही में सेंसेक्स व निफ्टी करीब 10 फीसदी उछला है, वहीं व्यापक बाजार में इससे भी ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज हुई है। तिमाही के दौरान 70 लाख से ज्यादा नए डीमैट खाते जुड़े। इसके परिणामस्वरूप ज्यादातर ब्रोकरेज ने अपने-अपने रोजाना औसत कारोबार में भारी उछाल दर्ज की। उदाहरण के लिए ऐंजल ब्रोकिंग का रोजाना औसत कारोबार तिमाही में दो गुना उछला और इसके कारण कंपनी अब तक सबसे ज्यादा शुद्ध लाभ व मार्जिन दर्ज करने में कामयाब रही। लॉकडाउन के कारण ज्यादातर क्लाइंट डिजिटल चैनल के जरिए जुड़े। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी विजय चंडोक ने कहा, ग्राहक जोडऩे की हमारी रफ्तार ने जोर पकड़ा है और हमने तिमाही के दौरान रिकॉर्ड नए क्लाइंट जोड़े, जिसकी अगुआई डिजिटल प्रक्रिया ने की।
ज्यादातर ब्रोकरेज फर्म अपना क्लाइंट आधार बढ़ाने के लिए डिजिटल क्षमता में इजाफा करने पर विचार कर रही है। ऐंजल ब्रोकिंग के सीईओ विनय अग्रवाल ने कहा, डिजिटल तरीके व क्लाइंट क्रेंद्रित तरीके से हम बढ़त जारी रखेंगे।
विश्लेषकों ने कहा कि ब्रोकिंग कारोबार में बढ़ोतरी जारी रह सकती है, लेकिन ट्रेडिंग वॉल्यूम पर तब असर देखने को मिल सकता है जब दिसंबर में अग्रिम मार्जिन के नए नियम लागू होंगे। मोतीलाल ओसवाल के शोध विश्लेषक अल्पेश मेहता और पी इंजीनियर ने कहा है, खुदरा निवेशकों की तरफ से बढ़ती ट्रेडिंग की गतिविधियों से ब्रोकिंग क्षेत्र को फायदा मिल रहा है, वहीं इसमें कुछ नरमी आ सकती है क्योंकि नए नियम 1 दिसंबर से लागू होने वाले हैं।
लेकिन हमारा मानना है कि मजबूत रफ्तार जारी रहेगी।
1 दिसंबर से ट्रेडरों को इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए ज्यादा मार्जिन देना होगा। कई लोगोंं का मानना है कि इससे नकदी बाजार के वॉल्यूम में 20 फीसदी की गिरावट आ सकती है। हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि जब तक बाजार में खरीदारी का माहौल बना रहेगा, ब्रोकिंग फर्में इसका फायदा ले सकेंगी।
