क्या आप मानते हैं कि वैश्विक केंद्रीय बैंक दर वृद्धि को लेकर नरम रुख अपनाएंगे?
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरें 25 आधार अंक तक बढ़ाई हैं और संकेत दिया है कि बैंकिंग प्रणाली में उतार-चढ़ाव की वजह से दर वृद्धि का सिलसिला अनुमान के मुकाबले जल्द समाप्त हो सकता है। लगता है कि फेड के लिए प्राथमिकता वित्तीय मजबूती पर ध्यान देना है। इस वजह से डेट बाजार में फेड की नरमी या उसके द्वारा जताए गए अनुमान के मुकाबले जल्द दर कटौती की संभावना दिखी है।
क्या रिटेल निवेशक जोखिम से अलग हो गए हैं?
अब तक छोटे निवेशकों का रुख बाजार गतिविधि के संदर्भ में मिश्रित रहा है। म्युचुअल फंडों के जरिये अप्रत्यक्ष निवेश बढ़ा है और पिछले दो महीनों में पूंजी प्रवाह में इजाफा दर्ज किया गया, जब बाजारों में गिरावट बनी रही। हालांकि कमजोर बाजार धारणा हाल के महीनों में कैश सेगमेंट में रिटेल वॉल्यूम के अनुपात में गिरावट की वजह से दिखी है। लेकिन मौजूदा बाह्य अनिश्चितताएं थमने की वजह से जल्द ही इसमें बदलाव आ सकता है। डेरिवेटिव सेगमेंट में कारोबार बढ़ेगा, हालांकि रिटेल सेगमेंट में हाल के महीनों में गिरावट आई है।
क्या वैश्विक बाजार 2023 में मंदी के दौर में प्रवेश कर सकते हैं?
ऊंची मुद्रास्फीति और वैश्विक वृद्धि पर इसके संभावित प्रभाव की वजह से वैश्विक तौर पर पूंजी बाजारों में कमजोरी दिखी। क्या बाजार मंदी के दौर में प्रवेश करेंगे या नहीं, इसे लेकर अटकलें जारी हैं। लेकिन हमारा मानना है कि ताजा घटनाक्रम को देखते हुए केंद्रीय बैंक नरम रुख अपना सकते हैं। इसकी वजह से वैश्विक इक्विटी बाजार धारणा कुछ हद तक सुधर सकती है।
घरेलू संस्थान और रिटेल निवेशक किन हालात में ज्यादा चिंतित हो सकते हैं और बिकवाली बढ़ा सकते हैं?
जहां पिछले दो साल के दौरान विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने बिकवाली की है, लेकिन यह निकासी भारत-केंद्रित नहीं थी। बाजार में ताजा कमजोरी को वैश्विक चिंताओं से बढ़ावा मिला। हालांकि, FII के नजरिये से, शुद्ध बिकवाली अन्य उभरते बाजारों की तुलना में दो महीने में अपेक्षाकृत कम रही। FII का भरोसा लौटाने के लिए, वैश्विक स्तर पर मजबूती जरूरी होगी। मौजूदा हालात में, पूंजी निवेश सुरक्षित परिसंपत्तियों में जा रहा है।
क्या बाजारों के लिए आने वाले नकारात्मक बदलाव अनुमान के मुकाबले कमजोर कॉरपोरेट आय की वजह से देखने को मिल सकते हैं?
मौजूदा बैंकिंग संकट के बीच, बाजार के लिए एक मुख्य जोखिम है अमेरिकी अर्थव्यवस्था की चुनौतीपूर्ण उधारी। इससे निर्यात-केंद्रित क्षेत्र और भारतीय उद्योग जगत की आय प्रभावित हो सकती है। इक्विटी बाजारों (वैश्विक और भारत, दोनों) में मौजूदा कमजोरी समान अनिश्चितता की वजह से देखी जा सकती है, क्योंकि बाजार ब्याज दर को लेकर राह स्पष्ट होने और मंदी की मात्रा सुनिश्चित होने का इंतजार कर रहे हैं।
क्या छोटे निवेशक बाजारों में प्रत्यक्ष निवेश के बजाय एसआईपी को पसंद करेंगे?
एसआईपी के जरिये निवेश मजबूत बना हुआ है और इसमें तेजी आ रही है। जहां तक डायरेक्ट इक्विटी का सवाल है, महामारी के बाद पैदा हुआ उत्साह बरकरार नहीं है, क्योंकि कैश सेगमेंट में दैनिक कारोबार सालाना आधार पर करीब 25 प्रतिशत घटा है। इस गिरावट की एक मुख्य वजह मिडकैप और स्मॉलकैप का कमजोर प्रदर्शन है। कुछ अल्पावधि समस्याएं हो सकती हैं, लेकिन हमारा मानना है कि भारतीय बाजारों में कम पैठ को देखते हुए भारत में मध्यावधि और दीर्घावधि परिदृश्य अभी भी मजबूत बना हुआ है।
आपके लिए ब्रोकिंग कारोबार कैसा है?
हमारे लिए, राजस्व के प्रतिशत के तौर पर ब्रोकिंग का योगदान वित्त वर्ष 2019 के 55 प्रतिशत से घटकर अब करीब 35 प्रतिशत रह गया है। ब्रोकिंग पर हमारी वित्तीय निर्भरता पहले के मुकाबले काफी कम रह गई है। अप्रैल 2022 में कैश सेगमेंट में कारोबार चरम पर पहुंच गया था और उसके बाद से इसमें गिरावट आई है तथा फरवरी 2023 में यह घटकर 53,803 करोड़ रुपये रह गया। कमजोर बाजार और ऊंची मार्जिन जरूरतों की वजह से इस पर प्रभाव पड़ा। हालांकि डेरिवेटिव सेगमेंट ने कारोबार में 10 गुना से ज्यादा इजाफा दर्ज किया है और विकल्प सेगमेंट की मदद से इसमें लगातार तेजी जारी है।