facebookmetapixel
अगस्त के दौरान भारत का विदेश में प्रत्यक्ष निवेश लगभग 50 प्रतिशत घटाभारतीय रिजर्व बैंक और सरकार के कारण बढ़ा बैंकों में विदेशी निवेशसरकारी बैंकों में 26% जनधन खाते निष्क्रिय, सक्रिय खातों की संख्या और कम होने का अनुमानअमेरिका से व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहा भारतीय अधिकारियों का दलभारतीय कंपनियों ने H1FY26 में बॉन्ड से जुटाए ₹5.47 लाख करोड़, दूसरी तिमाही में यील्ड बढ़ने से आई सुस्तीकंपनियों के बीच बिजली नेटवर्क साझा करना आसान नहीं, डिस्कॉम घाटा और पीपीए लागत बड़ी चुनौतीडिप्टी गवर्नर ने चेताया – आंकड़ों पर निर्भरता से जोखिम की आशंकाब्याज दरों को स्थिर रखने का फैसला, लेकिन दर में और कटौती की गुंजाइशअब तक के उच्चतम स्तर पर कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर, और बढ़ सकता है पृथ्वी का तापमानअदाणी का एआई आधारित विस्तार के लिए ‘दो-स्तरीय संगठन’ पर जोर

ब्रोकिंग पर हमारी वित्तीय निर्भरता अब बहुत घटी है: CEO, ICICI Securities

अमेरिका और यूरोप में ताजा बैंकिंग संकट के साथ साथ वै​श्विक केंद्रीय बैंकों द्वारा दर वृद्धि की आशंकाओं से पिछले कुछ दिनों के दौरान बाजार धारणा प्रभावित हुई। आईसीआईसीआई ​सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्या​धिकारी विजय चंडोक ने पुनीत वाधवा के साथ बातचीत में कहा कि ताजा घटनाक्रम से केंद्रीय बैंकरों का रुख सतर्क हो सकता है। उनका मानना है कि इससे वै​श्विक इ​क्विटी बाजार धारणा में कुछ हद तक सुधार आ सकता है। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:

Last Updated- March 26, 2023 | 11:17 PM IST
“For FIIs to come back significantly, we need some degree of global stability. At this juncture, money is flowing into safer asset

क्या आप मानते हैं कि वै​श्विक केंद्रीय बैंक दर वृद्धि को लेकर नरम रुख अपनाएंगे?

अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरें 25 आधार अंक तक बढ़ाई हैं और संकेत दिया है कि बैंकिंग प्रणाली में उतार-चढ़ाव की वजह से दर वृद्धि का सिलसिला अनुमान के मुकाबले जल्द समाप्त हो सकता है। लगता है कि फेड के लिए प्राथमिकता वित्तीय मजबूती पर ध्यान देना है। इस वजह से डेट बाजार में फेड की नरमी या उसके द्वारा जताए गए अनुमान के मुकाबले जल्द दर कटौती की संभावना दिखी है।

क्या रिटेल निवेशक जो​खिम से अलग हो गए हैं?

अब तक छोटे निवेशकों का रुख बाजार गतिवि​धि के संदर्भ में मिश्रित रहा है। म्युचुअल फंडों के जरिये अप्रत्यक्ष निवेश बढ़ा है और पिछले दो महीनों में पूंजी प्रवाह में इजाफा दर्ज किया गया, जब बाजारों में गिरावट बनी रही। हालांकि कमजोर बाजार धारणा हाल के महीनों में कैश सेगमेंट में रिटेल वॉल्यूम के अनुपात में गिरावट की वजह से दिखी है। लेकिन मौजूदा बाह्य अनि​श्चितताएं थमने की वजह से जल्द ही इसमें बदलाव आ सकता है। डेरिवेटिव सेगमेंट में कारोबार बढ़ेगा, हालांकि रिटेल सेगमेंट में हाल के महीनों में गिरावट आई है।

क्या वै​श्विक बाजार 2023 में मंदी के दौर में प्रवेश कर सकते हैं?

ऊंची मुद्रास्फीति और वै​श्विक वृद्धि पर इसके संभावित प्रभाव की वजह से वै​श्विक तौर पर पूंजी बाजारों में कमजोरी दिखी। क्या बाजार मंदी के दौर में प्रवेश करेंगे या नहीं, इसे लेकर अटकलें जारी हैं। लेकिन हमारा मानना है कि ताजा घटनाक्रम को देखते हुए केंद्रीय बैंक नरम रुख अपना सकते हैं। इसकी वजह से वै​श्विक इ​क्विटी बाजार धारणा कुछ हद तक सुधर सकती है।

घरेलू संस्थान और रिटेल निवेशक किन हालात में ज्यादा चिंतित हो सकते हैं और बिकवाली बढ़ा सकते हैं?

जहां पिछले दो साल के दौरान विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने बिकवाली की है, लेकिन यह निकासी भारत-केंद्रित नहीं थी। बाजार में ताजा कमजोरी को वै​श्विक चिंताओं से बढ़ावा मिला। हालांकि, FII के नजरिये से, शुद्ध बिकवाली अन्य उभरते बाजारों की तुलना में दो महीने में अपेक्षाकृत कम रही। FII का भरोसा लौटाने के लिए, वै​श्विक स्तर पर मजबूती जरूरी होगी। मौजूदा हालात में, पूंजी निवेश सुर​क्षित परिसंप​त्तियों में जा रहा है।

क्या बाजारों के लिए आने वाले नकारात्मक बदलाव अनुमान के मुकाबले कमजोर कॉरपोरेट आय की वजह से देखने को मिल सकते हैं?

मौजूदा बैंकिंग संकट के बीच, बाजार के लिए एक मुख्य जो​खिम है अमेरिकी अर्थव्यवस्था की चुनौतीपूर्ण उधारी। इससे ​निर्यात-केंद्रित क्षेत्र और भारतीय उद्योग जगत की आय प्रभावित हो सकती है। इ​क्विटी बाजारों (वै​श्विक और भारत, दोनों) में मौजूदा कमजोरी समान अनि​श्चितता की वजह से देखी जा सकती है, क्योंकि बाजार ब्याज दर को लेकर राह स्पष्ट होने और मंदी की मात्रा सुनिश्चित होने का इंतजार कर रहे हैं।

क्या छोटे निवेशक बाजारों में प्रत्यक्ष निवेश के बजाय एसआईपी को पसंद करेंगे?

एसआईपी के जरिये निवेश मजबूत बना हुआ है और इसमें तेजी आ रही है। जहां तक डायरेक्ट इक्विटी का सवाल है, महामारी के बाद पैदा हुआ उत्साह बरकरार नहीं है, क्योंकि कैश सेगमेंट में दैनिक कारोबार सालाना आधार पर करीब 25 प्रतिशत घटा है। इस गिरावट की एक मुख्य वजह मिडकैप और स्मॉलकैप का कमजोर प्रदर्शन है। कुछ अल्पाव​धि समस्याएं हो सकती हैं, लेकिन हमारा मानना है कि भारतीय बाजारों में कम पैठ को देखते हुए भारत में मध्याव​धि और दीर्घाव​धि परिदृश्य अभी भी मजबूत बना हुआ है।

आपके लिए ब्रोकिंग कारोबार कैसा है?

हमारे लिए, राजस्व के प्रतिशत के तौर पर ब्रोकिंग का योगदान वित्त वर्ष 2019 के 55 प्रतिशत से घटकर अब करीब 35 प्रतिशत रह गया है। ब्रोकिंग पर हमारी वित्तीय निर्भरता पहले के मुकाबले काफी कम रह गई है। अप्रैल 2022 में कैश सेगमेंट में कारोबार चरम पर पहुंच गया था और उसके बाद से इसमें गिरावट आई है तथा फरवरी 2023 में यह घटकर 53,803 करोड़ रुपये रह गया। कमजोर बाजार और ऊंची मार्जिन जरूरतों की वजह से इस पर प्रभाव पड़ा। हालांकि डेरिवेटिव सेगमेंट ने कारोबार में 10 गुना से ज्यादा इजाफा दर्ज किया है और विकल्प सेगमेंट की मदद से इसमें लगातार तेजी जारी है।

First Published - March 26, 2023 | 8:16 PM IST

संबंधित पोस्ट