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यूको बैंक के साथ हुई धोखाधड़ी को देखते हुए साइबर सुरक्षा पर बैंकों से वित्त मंत्रालय करेगा चर्चा

वित्त मंत्रालय सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के MD और CEO के साथ बैठक कर स्थिति की जानकारी लेगा।

Last Updated- November 23, 2023 | 9:28 PM IST
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वित्त मंत्रालय साइबर सुरक्षा से जुड़े मसलों पर बात करने के लिए अगले सप्ताह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के मुख्य कार्याधिकारियों के साथ बैठक करेगा। इस महीने की शुरुआत में कोलकाता के यूको बैंक के साथ हुई 820 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी को देखते हुए यह बैठक की जा रही है।

इस मामले से जुड़े सूत्रों ने कहा कि वित्त मंत्रालय ने पहले ही बैंकों से कहा है कि वे अपनी डिजिटल व्यवस्था और साइबर सुरक्षा से जुड़े कदमों की समीक्षा करें। मंत्रालय अब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के एमडी और सीईओ के साथ बैठक कर स्थिति की जानकारी लेगा।

दीवाली सप्ताह के दौरान यूको बैंक एक आईएमपीएस धोखाधड़ी से प्रभावित हुआ था, जिसमें यूको बैंक के कुछ खाताधारकों के खाते में 820 करोड़ रुपये जमा किए गए थे, जबकि किसी अन्य बैंक से कोई निकासी नहीं हुई थी।

यूको बैंक इसमें से करीब 679 करोड़ रुपये या 79 प्रतिशत वापस लेने में सफल हुआ था, वहीं शेष राशि खाताधारकों ने निकाल ली। बैंक ने कहा कि 10 और 13 नवंबर के बीच इमीडिएट पेमेंट सर्विस (IMPS) से अन्य बैंकों के खातेदारों द्वारा कुछ लेन देन की पहल की गई, जिससे यूको बैंक के खाताधारकों के खातों में पैसे जमा हो गए, जबकि वास्तव में उन बैंकों से कोई धन प्राप्त नहीं हुआ।

एहतियाती कदम उठाते हुए यूको बैंक ने आईएमपीएस व्यवस्था को ऑफलाइन कर दिया। साथ ही बैंक ने साइबर हमले सहित कर्जदाता की आईएमपीएस सेवा के कामकाज को किसी तरह से बाधित करने की कवायद की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से संपर्क साधा।

सूत्रों ने कहा कि इस तरह की धोखाधड़ी कुछ अन्य सार्वजनिक बैंकों के साथ 2 बार पहले भी हो चुकी है, लेकिन उसे गंभीरता से संज्ञान में नहीं लिया गया, क्योंकि इसकी राशि बहुत कम थी।

नियामक बैंकों से उचित कारोबारी रणनीतियां अपनाने, प्रशासन के ढांचे को मजबूत करने और साइबर सुरक्षा के कदम लागू करने को कहता रहा है, जिससे धोखाधड़ी से जुड़े मामलों को कम किया जा सके।

रिजर्व बैंक ने कहा था कि साइबर सुरक्षा की जरूरतों का न्यूनतम साझा ढांचा तैयार किया जाना चाहिए जिससे कि वित्तीय संस्थानों के लिए बेहतरीन गतिविधियां और मानक स्थापित हो सकें और इससे सभी संस्थानों को साइबर जोखिम से खुद को बचाने के लिए आवश्यक कदम उठाने में मदद मिल सके।

भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों के लिए अनिवार्य किया है कि वे व्यापक रूप से स्वीकार्य साइबर सुरक्षा नीति अपनाएं, जिसमें साइबर जोखिम को रोकने के लिए रणनीति स्पष्ट की गई हो और कारोबार की जटिलता के स्तर के मुताबिक जोखिम स्वीकार्य स्तर तक ही रहे। नियामक ने जोर दिया है कि साइबर सुरक्षा नीति व्यापक आईटी नीति से अलग बनाने की जरूरत है।

गुरुवार को रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर ने भी बैंकों की साइबर सुरक्षा का मसला उठाते हुए कहा था कि बैंकों को हाइपर पर्सनलाइज्ड और टेक बैंकिंग माहौल में साइबर धोखाधड़ी को रोकने के लिए साइबर सुरक्षा मजबूत करनी चाहिए।

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि बैंकों को समय से ग्राहकों की शिकायत का समाधान मुहैया कराने की कवायद करने की जरूरत है, जो टेक्नोलॉजी और उत्पादों की व्यापकता में तालमेल नहीं बिठा पाए हैं।

इसके पहले जून में रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर एमके जैन ने चेतावनी दी ती कि साइबर हमले बैंकों के भीतर अहम वित्तीय परिचालन को बाधित कर सकते हैं और वे ग्राहक खातो तक पहुंच सकते हैं।

रिजर्व बैंक ने कहा था कि इस तरह के व्यवधान से ग्राहकों और कारोबारियों को अपना धन पाने या सामान्य वित्तीय गतिविधियां संचालित करने में कठिनाई हो सकती है और बैंकिंग व्यवस्था से भरोसा खत्म हो सकता है।

जैन ने कहा था कि इस तरह के व्यवधानों से अगर कई बैंक लंबे समय तक प्रभावित रहते हैं तो वित्तीय अस्थिरता आ सकती है।

First Published - November 23, 2023 | 9:28 PM IST

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