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लोन देने में फिर से तेजी लाएगा HDFC बैंक, CD अनुपात को काबू में रखते हुए बढ़ाएगा रफ्तार

वित्त वर्ष 2026 में बैंक उद्योग की औसत रफ्तार के मुताबिक ऋण देने की अपनी रफ्तार तेज करने जा रहा है।

Last Updated- April 20, 2025 | 10:26 PM IST
HDFC Bank
प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो क्रेडिट: Commons

एचडीएफसी बैंक पिछले एक साल से आक्रामक रूप से ऋण जमा (सीडी) अनुपात घटा रहा है। इसके लिए बैंक ने उद्योग की औसत रफ्तार की तुलना में ऋण देना सुस्त किया है। बैंक ने अब संकेत दिए हैं कि आगे चलकर सीडी अनुपात का समायोजन तेज नहीं होगा। वित्त वर्ष 2026 में बैंक उद्योग की औसत रफ्तार के मुताबिक ऋण देने की अपनी रफ्तार तेज करने जा रहा है। साथ ही सीडी अनुपात कम करने की कवायद जारी रहेगी और यह वित्त वर्ष 2027 तक विलय के पहले के स्तर 85-90 प्रतिशत पर वापस आ जाएगा।

एचडीएफसी बैंक के एमडी और सीईओ शशिधर जगदीशन ने बैंक परिणाम की घोषणा के बाद कहा, ‘विलय के समय हमारा ऋण-जमा अनुपात 110 प्रतिशत के उच्च स्तर पर था, जिसे घटाया गया है और मार्च 2025 में यह 96 प्रतिशत के करीब आ गया है। बैंकिंग व्यवस्था की तुलना में हमारे जमा में तेज बढ़ोतरी हुई है और दिए गए हमारे ऋण की तुलना में भी तेज वृद्धि हुई है। जैसा कि हमने प्रतिबद्धता जताई थी, अगले साल सीडी अनुपात का समायोजन इतना तेज नहीं होगा और बैंक द्वारा दिए जाने वाले ऋण में तेजी आएगी। लेकिन सीडी अनुपात में कमी करने का दौर जारी रहेगा।’

एचडीएफसी के साथ विलय के पहले एचडीएफसी बैंक ऐतिहासिक रूप से 80 से 85 प्रतिशत की सीमा के सीडी अनुपात के साथ काम करता रहा है।  वित्तीय दिग्गज कंपनी बनाने के क्रम में दोनों का विलय 1 जुलाई, 2023 को पूरा हुआ। इस विलय से पोर्टफोलियो में बड़ी मात्रा में ऋण आ गया, लेकिन जमा की बहुत छोटी राशि आई। परिणामस्वरूप बैंक का सीडी अनुपात बढ़कर 110 प्रतिशत पर  पहुंच गया, जिससे इसे धीरे धीरे नीचे लाने पर काम करना पड़ा। 

जुलाई 2024 में वित्त वर्ष 2024 की सालना रिपोर्ट जारी किए जाने के मौके पर जगदीशन ने शेयरधारकों को संबोधित करते हुए कहा था कि बैंक अब ऋण देने की रफ्तार, जमा की तुलना में कम करेगा, जिससे बढ़ा सीडी अनुपात विलय के पहले के स्तर पर लाया जा  सके। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2025 में बैंक के ऋण देने की रफ्तार तेजी से गिरकर 11 प्रतिशत रह गई, जो वित्त वर्ष 2024 में 20.2 प्रतिशत थी।  इसकी वजहों में ज्यादा आधार का असर, खुदरा कर्ज पर ज्यादा जोखिम अधिभार जैसी नियामक कार्रवाई, जमा बढ़ाने की चुनौतियां और बढ़ा सीडी अनुपात शामिल है।  

First Published - April 20, 2025 | 10:26 PM IST

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