राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की नई रिपोर्ट के मुताबिक बैंकों में जमा कुल धन का सिर्फ पांचवां हिस्सा महिला खाताधारकों के खाते में है। हालांकि बैंकों में हर तीसरा खाता महिला के नाम से है। इससे देश में महिलाओं और पुरुषों के बीच मौजूद वित्तीय असमानता का पता चलता है।
आंकड़ों से पता चलता है कि कुल 2.52 अरब व्यक्तिगत खातों में से मार्च 2023 तक महिलाओं के नाम से कुल 36.4 प्रतिशत (91.77 करोड़) खाते थे। इन खातों में हिंदू अविभाजित परिवारों, निवासी व्यक्तियों, किसानों, कारोबारियों, पेशेवरों, स्वरोजगारकरने वालों, वेतन पर काम करने वालों के साथ अन्य शामिल हैं।
वहीं अगर इन खातों में जमा कुल धन की स्थिति देखें तो इन खातों में जमा 187 लाख करोड़ रुपये में महिलाओं के नाम 20.8 प्रतिशत (39 लाख करोड़ रुपये) जमा था।
शहरी इलाकों में यह भेदभाव ज्यादा है। महानगरों में जमा कुल धन में महिलाओं के नाम सिर्फ16.5 प्रतिशत (1.9 लाख करोड़ रुपये) है। वहीं ग्रामीण इलाकों में जमा कुल धन में 30 प्रतिशत (5.91 लाख करोड़ रुपये) महिलाओं के नाम से जमा है। कस्बाई इलाकों में जनधन खाते खुलने की वजह से संभवतः ऐसा हुआ है।