भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि आभासी मुद्राओं (क्रिप्टोकरेंसी) के विषय पर फिलहाल और बहस एवं चर्चा की जरूरत है। दास ने कहा कि अगर देश का केंद्रीय बैंक किसी चीज को लेकर लगातार आगाह कर रहा है तो उस पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। दास ने एसबीआई इकनॉमिक कॉन्क्लेव में ये बातें कहीं। देश में कोविड महामारी आने के बाद पहली बार उन्होंने किसी सम्मेलन में लोगों के बीच संबोधन किया।
अपने भाषण में आरबीआई गवर्नर ने कुछ बैंकों, खासकर निजी क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों को आगाह किया। उन्होंने कहा कि कुछ बैंक पूरी तरह मुनाफा कमाने के मकसद से कारोबार कर रहे हैं मगर उन्हें ध्यान रहे कि आरबीआई की नजर उन पर है।
दास ने क्रिप्टोकरेंसी पर संसद की स्थायी समिति पर पूछे गए प्रश्न के जवाब में ये बातें कहीं। दास से यह भी पूछा गया कि निजी मुद्राओं को परिसंपत्ति श्रेणी के रूप में वर्गीकृत करना कितना उचित होगा। दास ने कहा, ‘आबीआई पर देश में वृहद आर्थिक हालात और वित्तीय स्थिरता बनाए रखने की जिम्मेदारी है। इस लिहाज से अगर आरबीआई आंतरिक स्तर पर विस्तृत चर्चा के बाद किसी चीज को लेकर आगाह करता है तो उस पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि देश में क्रिप्टोकरेंसी पर अब तक कोई गंभीर परिचर्चा नहीं हुई है। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि पूरी चर्चा इसी बात पर होती है कि क्रिप्टोकरेंसी नई तकनीक है और केंद्रीय बैंक को इसे अवश्य स्वीकार करना चाहिए या इनका नियमन करना चाहिए।
दास ने कहा कि ब्लॉकचेन तकनीक करीब एक दशक पुरानी है और फिलहाल यह और प्रगति करेगी मगर इस तकनीक के इर्द-गिर्द तैयार क्रिप्टोकरेंसी पूरी तरह एक अलग मामला है। आबीआई गवर्नर ने एक बार फिर अपना रुख दोहराया कि क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने वाले लोगों की संख्या काफी बढ़ा-चढ़ा कर दिखाई जा रही है।
एसबीआई चेयरमैन दिनेश कुमार खारा इस कार्यक्रम का संचालन कर रहे थे। खारा ने कहा कि वित्तीय तंत्र में भरपूर नकदी उपलब्ध होने से कुछ बैंक अधिक जोखिम लेकर ऋण दे रहे हैं। उन्होंने आरबीआई गवर्नर से यह जानना चाहा कि क्या बैंकों और कंपनियों के लिए भी भरपूर नकदी की व्यवस्था की जाएगी। इस पर दास ने कहा कि ऋण जोखिम को ध्यान में रखकर आवंटित किए जा रहे हैं या नहीं यह निर्णय व्यावसायिक बैंकों का था।
गवर्नर ने कहा, ‘एक पखवाड़ा पहले हमने बैंकों के मुख्य कार्याधिकारियों से कहा था कि उन्हें कर्ज देते समय जोखिम को केवल इसीलिए अनदेखा नहीं कर देना चाहिए कि वित्तीय तंत्र में जरूरत से ज्यादा नकदी उपलब्ध है। बाजार में अधिक नकदी स्थायी रहने वाली नहीं है।’
दास ने कहा कि एक बात सभी के जेहन में स्पष्ट होनी चाहिए कि अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों की जरूरत पूरी करने के लिए सदैव पर्याप्त नकदी मौजूद रहेगी। उन्होंंने कहा, ‘मगर धीरे-धीरे हम अर्थव्यवस्था को इस तरह संतुलित करना चाहते हैं कि बैंकों के पास इतनी नकदी जरूर बच जाए जितनी उन्हें जरूरत हो।’ आरबीआई गवर्नर ने स्पष्ट किया कि केंद्रीय बैंक व्यावसायिक बैंकों के निर्णयों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहता है मगर यह भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि उनके निर्णयों पर केंद्रीय बैंक की नजर जरूर होगी।
