वैरिएबल रेट रिवर्स रीपो (वीआरआर) नीलामी में बैंकों द्वारा शुक्रवार को सौंपी गईं 4.75 लाख करोड़ रुपये की बोलियां 1.75 लाख करोड़ रुपये की निर्धारित राशि से करीब 2.5 गुना ज्यादा हैं। गुरुवार को बैंकिंग व्यवस्था में नकदी की कमी बढ़कर 2.5 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई थी।
इसके पहले आरबीआई द्वारा 15 दिसंबर को आयोजित वीआरआर नीलामी में निर्धारित राशि के मुकाबले 2.7 गुना बोलियां प्राप्त हुई थीं। बैंकों ने 6.63 प्रतिशत की औसत दर पर 1 लाख करोड़ रुपये हासिल किए। विशेष रूप से, केंद्रीय बैंक ने इस तरह की वीआरआर नीलामी छह महीने बाद आयोजित की है। इससे पहले 19 जून को वीआरआर नीलामी आयोजित की गई थी।
हालांकि बाजार कारोबारियों को केंद्रीय बैंक से अतिरिक्त वीआरआर नीलामियों की संभावना नहीं है, क्योंकि वीआरआर की रकम 29 दिसंबर को परिपक्व होनी है।
इस बीच बाजार का मानना है कि नकदी की तंगी दूर करने के लिए सरकार सोमवार से नकदी डालना शुरू कर सकती है।
बाजार कारोबारियों का कहना है कि इसके परिणामस्वरूप, आरबीआई द्वारा वीआरआर रकम के रोलओवर पर ध्यान दिए जाने की संभावना कम दिख रही है।
करूर वैश्य बैंक में ट्रेजरी प्रमख वी आर सी रेड्डी ने कहा, ‘नकदी की कमी लगभग 2.5 लाख करोड़ के पार पहुंच गई। इसलिए, निश्चित तौर पर इसके लिए बैंकों से अच्छी मांग थी। हमें और ज्यादा वीआरआर नीलामियों की उम्मीद नहीं है, क्योंकि मौजूदा वीआरआर रकम अगले शुक्रवार (29 दिसंबर) को परिपक्व हो जाएगी और सरकारी खर्च सोमवार से शुरू हो जाएगा।’
उन्होंने कहा, ‘नकदी की कमी जनवरी के पहले सप्ताह में घटकर 1 लाख करोड़ रुपये से नीचे आ सकती है और 15 जनवरी से प्रवाह शुरू होने के बाद फिर से इसके 2 लाख करोड़ रुपये पर पहुंचने का अनुमान है।’
बाजार कारोबारियों का कहना है कि अग्रिम कर जमा किए जाने की वजह से सोमवार को बैंकिंग व्यवस्था में नकदी की कमी बढ़कर 2 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गई थी और बुधवार को जीएसटी जमा किए जाने की वजह से यह बढ़कर 2.3 लाख करोड़ रुपये हो गई। मौजूदा तिमाही में तरलता की स्थिति काफी हद तक कमजोर बनी रही।
बाजार ने दिसंबर में अग्रिम कर और जीएसटी भुगतान की वजह से करीब 4 लाख करोड़ रुपये के कुल खर्च का अनुमान लगाया है।