गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और लघु वित्त संस्थान (एमएफआई) को ऋण देने में बैंक सतर्क रुख अपना रहे हैं। उल्लेखनीय है कि ऐसे ऋण के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने बीते 1 अप्रैल को ही जोखिम भार कम कर दिया था बावजूद इसके बैंक सतर्क हैं। हालांकि, बेहतरीन रैंकिंग वाली एनबीएफसी को बैंकों से ऋण मिलने में परेशानी नहीं हो रही है, लेकिन मध्यम और छोटी कंपनियों को इसे हासिल करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
मध्यम आकार की एक एनबीएफसी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘मध्यम और छोटी एनबीएफसी और एमएफआई के लिए स्थिति में कोई बदलाव नहीं होने वाला है। बेहतरीन रैंकिंग वाली एनबीएफसी को जोखिम भार में हुए बदलाव का काफी फायदा मिलेगा। हमारी जैसी मझोली एनबीएफसी को कोई फायदा नहीं मिलेगा। ऋण देने में बैंक अभी भी काफी सतर्क हैं।’
नवंबर 2023 में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को बैंक ऋण के लिए जोखिम भार बढ़ने से इस क्षेत्र को ऋण जुटाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। 21 मार्च, 2025 तक एनबीएफसी को मिलने वाले ऋण की वृद्धि एक साल पहले के 15.3 फीसदी वृद्धि मुकाबले 5.7 फीसदी कम होकर 16.36 लाख करोड़ रुपये रह गई थी।
विश्लेषकों का कहना है कि समग्र क्षेत्र के प्रदर्शन के कारण बैंक अब गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और लघु वित्त संस्थाओं को ऋण देने में कम से कम दो तिमाहियों तक सतर्कता बरतेंगे। लघु ऋण क्षेत्र में सख्ती के कारण लघु वित्त पोर्टफोलियो में गिरावट दर्ज की गई, जो पिछले साल दिसंबर के अंत तक 4 फीसदी रह कर 3.91 लाख करोड़ रुपये हो गई।
टाइगर कैपिटल के संस्थापक, प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी गौरव गुप्ता ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता है कि जोखिम भार कम हो जाने से अचानक ऋण देने में तेजी आ जाएगी। माइक्रोफाइनैंस और असुरक्षित ऋण जैसे क्षेत्रों में काफी चूक होती है इसलिए ऋणदाता इन क्षेत्रों को ऋण देने से पहले सतर्क रुख अपनाएंगे और अंत में बैंकों को भी अपना जोखिम भार देखना होगा।’
इसके अलावा बैंक अगर एनबीएफसी में अपना निवेश बढ़ाना चाहते हैं तो उन्हें बड़ी एनबीएफसी के साथ इसकी शुरुआत करनी चाहिए। विश्लेषकों ने कहा कि एनबीएफसी को दिए जाने वाले ऋण की कीमत भी निकट अवधि में कम होती नहीं दिख रही है। सेवा क्षेत्र को मिलने वाला कर्ज भी एक साल पहले के 28 फीसदी के मुकाबले कम होकर 13.4 फीसदी रह गया है और इसका प्रमुख कारण एनबीएफसी को मिलने वाले ऋण में धीमी वृद्धि है।
माइक्रोफाइनेंस ऋणदाताओं का स्व-नियामक निकाय एमएफआईएन ने नवंबर में उधारकर्ताओं की सुरक्षा के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि 2025 की शुरुआत से किसी भी उधारकर्ता के पास तीन से अधिक ऋणदाताओं से ऋण नहीं होना चाहिए। कुछ बैंक अभी भी इस क्षेत्र को ऋण देने में सतर्क हैं।
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी वी वैद्यनाथन ने कहा, ‘हमने पहले ही नए एमएफआईएन मानदंड लागू कर दिए हैं, जिससे ऋण देने में शायद काफी कमी आएगी। इसलिए, किसी बड़ी उछाल की उम्मीद नहीं है। पिछले एक साल में इतनी बड़ी घटना के बाद इस क्षेत्र में फिर से बड़ी संख्या में ऋण देना ज्यादा बुद्धिमानी नहीं होगी। हम इस बारे में काफी सावधानी बरतेंगे। अगले साल के अंत तक एमएफआई ऋण कुल बही का लगभग 3 फीसदी रह जाएगा।’