facebookmetapixel
SBI, Canara Bank समेत इन 5 स्टॉक्स में दिखा ब्रेकआउट! 24% तक मिल सकता है रिटर्नInfosys buyback: 5 दिन में मार्केट कैप ₹40,000 करोड़ बढ़ा, ब्रोकरेज ने कहा- खरीदें, ₹1,880 जाएगा भावबड़ी कंपनियां बिजली के खर्च में बचा रहीं करोड़ों, जानें 20 साल में कैसे बदली तस्वीरचांदी के भाव ऑल टाइम हाई पर, सोना भी हुआ महंगाStocks to watch today, Sep 12: NBCC, RailTel समेत इन 17 स्टॉक्स पर आज रहेगी निवेशकों की नजर10 करोड़ शेयर वापस खरीदेगी Infosys, अब TCS-Wipro की बारी?Stock Market Today: सेंसेक्स-निफ्टी हरे निशान के साथ खुले, इन्फोसिस और जेबीएम ऑटो उछले50% अमेरिकी टैरिफ के बाद भारतीय निर्यात संगठनों की RBI से मांग: हमें राहत और बैंकिंग समर्थन की जरूरतआंध्र प्रदेश सरकार ने नेपाल से 144 तेलुगु नागरिकों को विशेष विमान से सुरक्षित भारत लायाभारत ने मॉरीशस को 68 करोड़ डॉलर का पैकेज दिया, हिंद महासागर में रणनीतिक पकड़ मजबूत करने की कोशिश

बाजार में हैं सभी मरीज, फिर भी बेहतर इप्का लैबोरेटरीज

Last Updated- December 08, 2022 | 4:47 AM IST

पिछले एक साल के दौरान सेंसेक्स में जहां 55 फीसदी की गिरावट देखी गई है, वहीं स्वास्थ्य सेवा सूचकांक में महज 28 फीसद की गिरावट देखी गई है।


साफ जाहिर है कि आर्थिक मंदी के बीच भी स्वास्थ्य सेवा सूचकांक की हालत बेहतर है। इसमें कोई शक नहीं है कि इप्का लेबोरेटरीज के शेयर में भी काफी गिरावट आई है और यह निवेशकों के लिए एक बेहतर विकल्प बन कर उभर रही है।

मुंबई की कंपनी इप्का लेबोरेटजरी के कारोबार में अच्छा खासा इजाफा हुआ है और उसका नकदी प्रवाह भी अच्छा रहा है। लेकिन कंपनी के शेयरों की कीमत जनवरी के मुकाबले आधी ही रह गई है। इस समय शेयर 360 रुपये के स्तर पर पहुंच गया है।

इस कंपनी के राजस्व का तीन चौथाई हिस्सा फॉर्मूलेशन की बिक्री से होता है। कंपनी अब 100 से भी ज्यादा देशों में अपनी उन दवाओं का निर्यात कर रही है, जिनमें अच्छा मार्जिन मिलता है और उसकी योजना अमेरिकी बाजार में पांव पसारने की भी है।

निर्यात

इप्का के निर्यात का लगभग 50 फीसदी हिस्सा यूरोपीय देशों को जाता है। लेकिन फार्मूलेशन के कारोबार में वह अमेरिका पर निगाह गड़ा चुकी है। उसने दो कंपनियों के साथ गठजोड़ भी किया है। पहला करार रैनबैक्सी के साथ है और दूसरा अमेरिका में जेनेरिक दवाओं की कंपनी हेरिटेज फार्मा के साथ।

इन गठजोड़ के जरिये कंपनी अपने फॉर्मूलेशन का वितरण करना चाहती है। रैनबेक्सी ने हाल ही में मेटोक्लोप्रामाइड गोली उतारी है, जिसकी सालाना औसत बिक्री लगभग 2.7 करोड़ डॉलर है। हेरिटेज फार्मा ने भी प्रोप्रानोलोल उतारी है, जिसकी सालाना बिक्री ढाई करोड़ डॉलर की है।

इप्का लैबोरेटरीज के कार्यकारी निदेशक ए. के. जैन कहते हैं, ‘कंपनी नए साझीदारों की तलाश करती रहेगी। हम किसी तरह का वितरण नेटवर्क तैयार नहीं कर रहे हैं क्योंकि इसमें काफी ऊंची लागत आती है और जेनेरिक उत्पादों के बड़े पोर्टफोलियो की जरूरत भी पड़ती है। इसलिए दवा बेचने के लिए दूसरी कंपनियों के साथ साझेदारी करना बेहतर विकल्प है और कंपनी इस पर हमेशा अमल करती रहेगी।’

घरेलू बाजार

देश में इस समय कंपनी का जो सबसे बेहतरीन ब्रांड उपलब्ध है, वह एंटी-मलेरिया दवा लैरियागो है। यह दवा 45 करोड़ रुपये की कमाई कर चुकी है। उसके बाद ोरोडॉल की एक बड़ी दर्दनिवारक औषधि शृंखला है, जिसने 42 करोड़ रुपये का कारोबार किया है।

कंपनी यह योजना बना रही है कि प्रत्येक मार्केटिंग क्षेत्र में केवल एक दवा को लॉन्च किया जाए।  कंपनी उत्पादों की व्यापक शृंखला बाजार में उतारने के बजाय ब्रांड विकास और एकीकरण पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करना चाहती है।

First Published - November 23, 2008 | 10:25 PM IST

संबंधित पोस्ट