अगस्त में यील्ड कम होने के बावजूद 22 प्रतिशत कम कॉर्पोरेट बॉन्ड जारी हुए हैं। जारी करने वाले धन जुटाने में देरी कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा इस महीने से ब्याज दरों कटौती शुरू करने का इंतजार है।
बाजार हिस्सेदारों का कहना है कि कंपनियां और वित्तीय संस्थान यह उम्मीद कर रहे हैं कि आगे चलकर यील्ड में और गिरावट होगी और उधारी की लागत में कमी आएगी। व्यापक रूप से यह उम्मीद की जा रही है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व 17-18 सितंबर की बैठक में ब्याज दर में 25 आधार अंक की कटौती करेगा और उसके बाद ब्याज दर के चक्र में गिरावट शुरू हो जाएगी।
प्राइम डेटा बेस के आंकड़ों के मुताबिक अगस्त में भारतीय कंपनियों और बैंकों ने 81,238 करोड़ रुपये जुटाए हैं, जबकि जुलाई में 1.04 लाख करोड़ रुपये जुटाए थे। कॉर्पोरेट ने ओवरसीज बॉन्ड भी इस माह कम जारी किए हैं और सिर्फ मुथूट माइक्रोफिन ने माह के दौरान 100 करोड़ रुपये के बॉन्ड जारी किए।
जेएम फाइनैंशियल में प्रबंध निदेशक और इन्वेस्टमेंट ग्रेड ग्रुप के प्रमुख अजय मंगलुनिया ने कहा, ‘अमेरिकी फेडरल रिजर्व नीति के हिसाब से दरो में कटौती को लेकर मुखर रहा है। बॉन्ड जारी करने वाले, जो बाजार में लंबी अवधि के बॉन्ड जारी करते हैं, यील्ड में कमी का इंतजार कर रहे हैं ताकि उन्हें लंबी अवधि के लिए ज्यादा यील्ड का भुगतान न करना पड़े।’
उन्होंने कहा, ‘ऐसे में यह जानते हुए कि ब्याज दरों में निश्चित ही कमी आने वाली है, लोग सुस्ती दिखा रहे हैं और बॉन्ड जारी करने में सुस्ती दिखा रहे हैं।’ प्राइम डेटा बेस के आंकड़ों से पता चलता है कि अगस्त के दौरान भारतीय स्टेट बैंक ने बॉन्ड से सबसे ज्यादा 7,500 करोड़ रुपये जुटाए हैं। उसके बाद आरईसी लिमिटेड ने 6,820 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ बड़ौदा और नैशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर ऐंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) ने 5,000-5,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं।
नैशनल बैंक फॉर फाइनैंसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर ऐंड डेवलपमेंट ने 3,911 करोड़ रुपये के बॉन्ड जारी किए हैं। माह के दौरान जुटाए गए कुल धन में इन शीर्ष 5 जारीकर्ताओं ने करीब 34 प्रतिशत धन जुटाया है।
अगस्त के दौरान एएए रेटिंग वाले 10 साल के कॉर्पोरेट बॉन्डों का यील्ड 3 आधार अंक कम हुआ है, जबकि 5 साल का बॉन्ड 2 आधार अंक कमजोर हुआ है। इस अवधि के दौरान बेंचमार्क 10 साल के सरकारी बॉन्ड का यील्ड 6.6 आधार अंक घटा है।
बाजार के हिस्सेदारों ने कहा कि कम अवधि के बॉन्ड चालू माह में गति पकड़ सकते हैं क्योकि दर में कटौती के बाद कम अवधि के बॉन्डों का यील्ड कम हो सकता है।
उन्हें उम्मीद है कि आने वाले महीनों में बैंक इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड इश्युएंस में तेजी आ सकती है।
रॉकफोर्ट फिनकैप एलएलपी के संस्थापक और मैनेजिंग पार्टनर वेंकटकृष्णन श्रीनिवासन ने कहा, ‘दूसरी छमाही में हम कई बॉन्ड जारी होने की उम्मीद कर रहे हैं, खासकर बैंकों द्वारा। स्वाभाविक है कि बडे कॉर्पोरेशंस भी बाजार का लाभ उठाने आएंगे। इस साल इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड बाजार का इस्तेमाल कर रहे हैं,उसके बाद टियर-2 और टियर-1 बॉन्डों का स्थान है।’