facebookmetapixel
FY26 में भारत की GDP 6.5 फीसदी से बढ़ाकर 6.9 फीसदी हो सकती है: FitchIncome Tax Refund: टैक्स रिफंड अटका हुआ है? बैंक अकाउंट वैलिडेशन करना तो नहीं भूल गए! जानें क्या करें2 साल के हाई पर पहुंची बॉन्ड यील्ड, एक्सपर्ट ने बताया- किन बॉन्ड में बन रहा निवेश का मौकाCBIC ने दी चेतावनी, GST के फायदों की अफवाहों में न फंसे व्यापारी…वरना हो सकता है नुकसान‘Bullet’ के दीवानों के लिए खुशखबरी! Royal Enfield ने 350 cc बाइक की कीमतें घटाईUrban Company IPO: ₹1,900 करोड़ जुटाने के लिए खुला आईपीओ, लंबी अवधि के लिए निवेशक करें सब्सक्रिप्शनबर्नस्टीन ने स्टॉक पोर्टफोलियो में किया बड़ा फेरबदल: HDFC Bank समेत 5 नए जोड़े, 6 बड़े स्टॉक बाहरनिर्यातकों से लेकर बॉन्ड ट्रेडर्स तक: RBI पर हस्तक्षेप करने का बढ़ता दबावJP Associates के लिए $2 अरब की बोली Vedanta के लिए ‘क्रेडिट निगेटिव’Airtel से लेकर HDFC Bank तक मोतीलाल ओसवाल ने चुने ये 10 तगड़े स्टॉक्स, 24% तक मिल सकता है रिटर्न

हरियाणा विधान सभा चुनाव: बीतते समय के साथ छोटे दलों का सिकुड़ रहा दायरा, भाजपा और कांग्रेस को बढ़त की उम्मीद

छोटे दलों की मत हिस्सेदारी की गिरावट लोक सभा चुनावों में सबसे ज्यादा देखने को मिली थी, लेकिन यह विधान सभा चुनावों में भी ध्यान देने लायक है।

Last Updated- October 04, 2024 | 10:32 PM IST
Haryana Legislative Assembly Elections: The scope of small parties is shrinking with the passage of time, BJP and Congress are hopeful of lead हरियाणा विधान सभा चुनाव: बीतते समय के साथ छोटे दलों का सिकुड़ रहा दायरा, भाजपा और कांग्रेस को बढ़त की उम्मीद

साल 2014 के बाद से हरियाणा के छोटे राजनीतिक दलों की मत हिस्सेदारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के पास चली गई है। यह एक ऐसा चलन हो गया है जिसे इस बार ये राजनीतिक दल अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश करेंगे। शनिवार को प्रदेश के 90 विधान सभा सीटों पर चुनाव के लिए मतदान होना है।

एक तरफ देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस बेरोजगारी और किसानों आंदोलन के मुद्दे पर चुनावी मैदान में है और राज्य के जाट और अनुसूचित जाति के मतदाताओं के बीच अपनी पैठ मजबूत करने की उम्मीद कर रही है। वहीं चुनाव से पहले सत्तारूढ़ भाजपा ने सरकारी विभागों में रिक्त सीटों को भरा था और राज्य के अन्य पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं की भी घोषणा की थी।

छोटे दलों की मत हिस्सेदारी की गिरावट लोक सभा चुनावों में सबसे ज्यादा देखने को मिली थी, लेकिन यह विधान सभा चुनावों में भी ध्यान देने लायक है। साल 2014 के विधान सभा चुनावों में भाजपा और कांग्रेस ने मिलकर करीब 54 फीसदी मत हासिल किए थे, जो साल 2019 के विधान सभा चुनावों में बढ़कर करीब 65 फीसदी हो गए।

साल 2024 के लोक सभा चुनावों में छोटे दलों का सूपड़ा साफ हो गया। भाजपा और कांग्रेस (अपनी सहयोगी आम आदमी पार्टी) ने करीब 94 फीसदी मत हासिल किए। छोटे दलों में दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जजपा) को बमुश्किल 0.87 फीसदी मत हिस्सेदारी ही मिल सकी। इंडियन नैशनल लोकदल (आईएनएलडी) की 1.74 फीसदी और बसपा की 1.28 फीसदी मत हिस्सेदारी रही।

पांच साल पहले यानी 2019 के विधान सभा चुनावों में जजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 14.84 फीसदी मत हिस्सेदारी के साथ 10 सीटों पर जीत हासिल की। मगर इस बार के विधान सभा चुनावों से पहले जजपा के दसों विधायकों ने पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा या फिर कांग्रेस का हाथ थाम लिया।

इस साल के विधान सभा चुनावों में जजपा ने चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के साथ गठबंधन किया है। आईएनएलडी का गठबंधन बसपा के साथ है, जिसने पिछले कुछ वर्षों में लोक सभा और विधान सभा चुनावों में 4 से 5 फीसदी की मत हिस्सेदारी हासिल की है, लेकिन पार्टी इस साल लोक सभा चुनावों में बुरी तरह पिट गई थी। दोनों दलों को उम्मीद है कि उनकी जाट-अनुसूचित जाति गठबंधन को लोगों का समर्थन मिलेगा। कांग्रेस के साथ गठबंधन में विफल रहने पर आम आदमी पार्टी ने प्रदेश की 89 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं।

 

First Published - October 4, 2024 | 10:32 PM IST

संबंधित पोस्ट