मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए कहा है कि हिंदू एकता का आह्वान करने वालों ने मराठों को आरक्षण नहीं दिया। जरांगे ने दावा किया कि महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन को हार का सामना करना पड़ेगा। वर्तमान सरकार के तहत समाज के हर वर्ग का हित प्रभावित हुआ है। मराठा चुनाव में अपनी ताकत दिखाएंगे।
मनोज जरांगे पाटिल ने आरोप लगाया कि हिंदू एकता के लिए काम करने का दावा करने वाले लोगों ने मुस्लिमों को निशाना बनाने के लिए उनके समुदाय का इस्तेमाल किया है लेकिन उसकी जायज मांगों को नजरअंदाज किया। अगर आप दावा करते हैं कि हिंदू खतरे में हैं तो मराठों का क्या? क्या आपको उनके बच्चों की परेशानियां नहीं दिखायी देतीं? अगर आप कहते हैं कि हिंदू मुश्किल में हैं तो मराठों का कल्याण सुनिश्चित करना भी आपकी ही जिम्मेदारी है। जब हम आरक्षण मांगते हैं तो एक हिंदू हमारा विरोध करता है लेकिन जब उन्हें मुस्लिमों पर निशाना साधना होता है तो उन्हें मराठों की जरूरत पड़ती है।
जरांगे ने सवाल किया कि हिंदुओं को कौन काटेगा। राज्य में मराठा सबसे बड़ी हिंदू जाति है। हम अपने मुद्दे आपस में सुलझा लेंगे। हम छत्रपति (शिवाजी) के हिंदुत्व का पालन करते हैं। हम अपना ख्याल रख लेंगे, आप अपने काम से काम रखें।
महाराष्ट्र में 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले दिए बयानों में मनोज जरांगे पाटिल किसी भी पार्टी का सीधे नाम लेने से बचते रहे हैं लेकिन उनके समर्थकों के बीच यह माना जाता है कि वह मौजूदा सत्तारूढ़ गठबंधन, खासतौर से भाजपा के खिलाफ हैं।
पाटिल ने कहा कि मराठा समुदाय अच्छी तरह समझता है कि किसे हराना है। उन्हें यह बात लोकसभा चुनाव के दौरान भी समझ में आई थी और उन्हें अब भी इसकी समझ है। कोई भ्रम नहीं है। आरक्षण के खिलाफ रहे लोगों को मराठा 100 प्रतिशत हराएंगे।
लोकसभा चुनाव के दौरान राज्य में भाजपा-शिवसेना-राकांपा गठबंधन को बड़ी हार का सामना करना पड़ा था, क्योंकि कांग्रेस-शिवसेना-राकांपा (शरद चंद्र पवार) की विपक्षी महा विकास आघाडी ने 48 में से 30 सीट जीती थीं, जबकि सत्तारूढ़ गठबंधन को 17 सीट मिली थीं।
आरक्षण कार्यकर्ता जरांगे ने कहा कि मराठा अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए आरक्षण चाहते हैं, धनगर आरक्षण चाहते हैं, छोटे ओबीसी समुदाय भी हैं जो अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए आरक्षण चाहते हैं। हर कोई गुस्से में है। हालात बहुत खराब हैं। लोग उन्हें सबक सिखाएंगे और चुनाव में परास्त करेंगे। जरांगे ने कहा कि चाहे मुस्लिम हों, दलित हों या व्यापारी हों, सरकार ने सभी के हितों को नुकसान पहुंचाया है। भाजपा मराठों के संभावित रूप से एकजुट होने के प्रभाव को असफल करने के लिए ओबीसी का समर्थन जुटाने के लिए काम कर रही है ।
पाटिल ने स्पष्ट किया कि उनका प्राथमिक उद्देश्य मराठों के लिए आरक्षण प्राप्त करना है। मराठों को लगभग 150 साल पहले आरक्षण का लाभ मिला था, लेकिन बाद में उन्हें ओबीसी में शामिल नहीं किया गया। यह पूछे जाने पर कि क्या उनके आंदोलन ने समाज को विभाजित कर दिया है और इससे ओबीसी के बीच ध्रुवीकरण हो सकता है, इस पर उन्होंने कहा कि ऐसा कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। मराठा और ओबीसी गांवों में एक साथ रह रहे हैं और कोई मनमुटाव नहीं है। भविष्य में भी इसकी कोई संभावना नहीं है। ओबीसी समझते हैं कि गरीब और पिछड़े मराठों को आरक्षण मिलना चाहिए। कुछ मुट्ठी भर लोग हैं जो इस तरह की भ्रांतियां फैलाते हैं। इन चुनावों में उन्हें सबक सिखाया जाएगा।
वह नयी सरकार आने के बाद इसे लागू करने के लिए सामूहिक आमरण अनशन शुरू करेंगे। यह देश का अब तक का सबसे बड़ा सामूहिक अनशन होगा। मराठों के समर्थन के बिना कोई भी गठबंधन सत्ता में नहीं आ सकता, जो राज्य की आबादी का लगभग 28 प्रतिशत हैं।
जरांगे से जब चुनाव में उम्मीदवार उतारने का अपना फैसला वापस लेने के बारे में कहा कि वे राजनीति नहीं बल्कि मराठों के लिए आरक्षण पर ध्यान केंद्रित करना चाहते थे। क्योंकि आरक्षण के मुद्दे पर किसी ने मराठों की मदद नहीं की है।