Maharashtra Elections: अगर महाराष्ट्र में विपक्षी दलों का गठबंधन इस साल हुए लोक सभा चुनावों के प्रदर्शन के आधार पर ही अपनी रणनीति बनाता है तो सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन कोंकण के अलावा अन्य इलाकों में पैठ बढ़ाना चाहेगा।
वहीं, विपक्षी दलों का गठबंधन महाविकास आघाडी मुंबई, उत्तरी महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, विदर्भ में अपनी पैठ मजबूत करने पर ध्यान देगा और आगामी विधान सभा चुनावों से पहले अन्य दो क्षेत्रों में भी पकड़ मजबूत करना चाहेगा। महाराष्ट्र की 288 विधान सभा सीट के लिए 20 नवंबर को मतदान होना है और इसके तीन दिन बाद यानी 23 नवंबर को मतों की गिनती की जाएगी।
अर्थव्यवस्था और आबादी के लिहाज से राज्य में 20 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले पश्चिम महाराष्ट्र में लोक सभा चुनावों में विपक्षी दलों को थोड़ी बढ़त मिली थी। यह वही क्षेत्र है जहां सबसे ज्यादा विधान सभा सीट हैं। प्रदेश की कुल 288 विधान सभा सीट में से यहां 70 सीट हैं। इस साल जून में हुए लोक सभा चुनावों में महाविकास आघाडी ने इस इलाके की दस लोक सभा सीट में से पांच पर जीत दर्ज की थी, जबकि महायुति को 4 सीट मिलीं।
एक सीट से निर्दलीय उम्मीदवार विशाल पाटिल ने जीत दर्ज की, जिन्होंने बाद में कांग्रेस को समर्थन दिया। जहां तक जीत का सवाल है यह वही क्षेत्र है जहां दोनों गठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला। विधान सभा चुनावों में भी लड़ाई कड़ी हो सकती है क्योंकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के दो गुटों के बीच 29 फीसदी से ज्यादा यानी 70 में से 20 सीट पर सीधी टक्कर है।
दरअसल, बारामती सीट से राकांपा सुप्रीमो अजित पवार और राकांपा (शरद गुट) से उनके भतीजे युगेंद्र पवार चुनाव लड़ रहे हैं। लोक सभा चुनावों में राकांपा (शरद गुट) ने पश्चिम महाराष्ट्र की दस में तीन सीट पर जीत हासिल की थी जबकि राकांपा (अजित गुट) का खाता भी नहीं खुला था।
लोक सभा चुनाव में अकेला कोंकण क्षेत्र ही ऐसा था जहां सत्तारूढ़ गठबंधन ने विपक्षी गठबंधन से बेहतर प्रदर्शन किया और छह में से पांच सीट अपने नाम कीं। यह इकलौता क्षेत्र था जहां राकांपा को कोई सीट मिली। महाराष्ट्र की 20 फीसदी से थोड़ी अधिक आबादी रखने वाले और अर्थव्यवस्था के लिहाज से यह 20 फीसदी से थोड़ी कम हिस्सेदारी वाले इस इलाके में भी शिवसेना के सांसद जीते। यहां की कोपरी-पचपाखड़ी सीट से शिवसेना प्रमुख और राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अपने गुरु आनंद दिघे के भतीजे केदार प्रकाश दिघे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। केदार शिवसेना (उद्धव गुट) के उम्मीदवार हैं।
अन्य सभी क्षेत्रों में महाविकास आघाडी ने लोक सभा चुनावों में महायुति को काफी पीछे छोड़ दिया था।
उदाहरण के लिए पश्चिम महाराष्ट्र के बाद दूसरी सबसे ज्यादा विधान सभा सीट वाले विदर्भ में महाविकास आघाडी ने लोक सभा की दस सीट में से सात पर जीत हासिल की थी और कांग्रेस ने उनमें से पांच सीट अपने नाम की थीं। यहां राज्य की 20 फीसदी आबादी रहती है मगर महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था में इसकी हिस्सेदारी करीब 15 फीसदी है, नतीजतन यहां प्रति व्यक्ति आय राज्य के औसत से 25 से 27 फीसदी कम है। यहां से राजनीतिक दलों के आधिकारिक उम्मीदवारों से टक्कर में कई बागी (पार्टी छोड़कर) उम्मीदवार खड़े हैं।
प्रमुख उम्मीदवारों में यहां से भाजपा नेता और राज्य के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस है, जो नागपुर दक्षिण-पश्चिम सीट से चुनाव लड़ रहे हैं और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले भी सकोली से चुनावी मैदान में उतरे हैं।
मराठवाड़ा ऐसा क्षेत्र है जहां इस साल हुए लोक सभा चुनावों में विपक्षी दलों के गठबंधन ने सात में से छह सीट पर जीत दर्ज की थी। सिर्फ एक सीट सत्तारूढ़ शिवसेना की झोली में आई थी। मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र के बीच पड़ने वाली सीट में से एक सीट पर शिवसेना (उद्धव गुट) के प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी। मराठा आरक्षण पर जारी विवाद के बीच सत्तारूढ़ दल को इलाके में जीत हासिल करने के लिए काफी प्रयास करना होगा। यहां विधान सभा की 46 सीट हैं। यहां की अर्थव्यवस्था इसकी आबादी के मुकाबले काफी कम है। इसलिए यहां की प्रति व्यक्ति आय भी प्रदेश के औसत से 32 से 34 फीसदी पीछे है।
प्रमुख उम्मीदवारों में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण की बेटी श्रीजया चव्हाण हैं, जो भाजपा के टिकट पर नांदेड़ की भोकर विधान सभा सीट से चुनावी मैदान में हैं।
उत्तरी महाराष्ट्र उन तीन क्षेत्रों में से एक है जहां की आबादी भले ही 17 फीसदी की हिस्सेदारी रखती है मगर प्रति व्यक्ति आय राज्य के औसत से काफी कम है। ऐसा इसलिए भी है कि यह क्षेत्र कृषि प्रधान है और राज्य की अर्थव्यवस्था में इसकी हिस्सेदारी सिर्फ 11 फीसदी है। यहां हुए लोक सभा चुनाव में महाविकास आघाडी ने छह सीट जीतकर सत्तारूढ़ गठबंधन को बुरी तरह परास्त कर दिया और भाजपा को किसी तरह एक सीट पर संतोष करना पड़ा।
शहरी और उप शहरी दोनों इलाकों वाला मुंबई राज्य का सबसे समृद्ध क्षेत्र है और यहां की प्रति व्यक्ति आय राज्य के औसत से 61 से 66 फीसदी ज्यादा है। महाराष्ट्र की आबादी का तीन फीसदी से भी कम आबादी वाले इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था का राज्य की अर्थव्यवस्था में 19 से 20 फीसदी हिस्सेदारी है। इसलिए, यह देश की वित्तीय राजधानी होने का भी दावा करता है। यहां की छह लोक सभा सीट में से सत्तारूढ़ गठबंधन ने सिर्फ दो सीट जीती थीं और शिवसेना (उद्धव गुट) का सर्वाधिक प्रभाव इसी इलाके में है। इस क्षेत्र से पार्टी के तीन उम्मीदवार जीत कर संसद पहुंचे।
वर्ली विधान सभा वाले इस क्षेत्र में शिवसेना के दोनों गुटों के बीच टक्कर है। शिवसेना (उद्धव गुट) से सुप्रीमो उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे और शिवसेना (शिंदे गुट) से मिलिंद देवड़ा चुनावी मैदान में हैं। इसके अलावा, महाराष्ट्र के दिवंगत नेता बाबा सिद्दीकी और राकांपा नेता जीशान सिद्दीकी भी वांद्रे ईस्ट से चुनावी मैदान में हैं। उनके खिलाफ उद्धव ठाकरे के भतीजे वरुण सरदेसाई चुनाव लड़ रहे हैं।
शिवसेना (उद्धव गुट) के मुख्यालय वाले माहिम से महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे का मुकाबले शिवसेना (उद्धव गुट) के महेश सावंत और शिवसेना (शिंदे गुट) के सदा सावनकर के बीच है।
महाविकास आघाडी और महायुति दोनों ने इस बार अपने चुनावी घोषणा पत्र में महिलाओं, किसानों और युवाओं को लुभाने वाले वादे किए हैं। उदाहरण के लिए सत्तारूढ़ गठबंधन ने सत्ता में वापसी पर मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना के तहत महिलाओं को मिलने वाली रकम को 1,500 रुपये से बढ़ाकर 2,100 रुपये कर का वादा किया है, जबकि महाविकास आघाडी ने महिला उन्मुख योजना के तहत हर महीने 3,000 देने का वादा किया है।
इसी तरह, महायुति ने किसानों का ऋण माफ करने का वादा किया है जबकि महाविकास आघाडी ने किसानों के लिए तीन लाख रुपये तक की ऋण माफी और नियमित ऋण भुगतान के लिए 50 हजार रुपये के प्रोत्साहन देने की बात कही है। इस बार चुनावों में कई अन्य पार्टियां भी अपना घोषणापत्र लेकर आई हैं।