Maharashtra elections: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तैयारी जोरों पर है। राजनीतिक दल और उम्मीदवार मतदाताओं तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश में लगे हैं। वहीं निर्वाचन आयोग नागरिकों के सुरक्षित मतदान अधिकार की व्यवस्था को अंतिम रूप देने में लगा है।
मतदाताओं की बायीं तर्जनी पर लगायी जाने वाली अमिट स्याही को हर मतदान केंद्र पर पहुंचाने के लिए आयोग ने राज्य में लगभग 2 लाख 20 हजार 520 स्याही की बोतलों का प्रावधान किया है।
राज्य के 288 विधानसभा क्षेत्रों में 1 लाख 427 मतदान केंद्र हैं । प्रत्येक केन्द्र स्याही की दो बोतल पहुंचाई जानी है। इस प्रकार राज्य में दो लाख 854 बोतलों की जरूरत पड़ेगी। राज्य की 288 विधानसभा सीटों के लिए 20 नवंबर को 9 करोड़ 70 लाख 25 हजार 119 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।
इन मतदाताओं की बाईं तर्जनी पर स्याही लगाने के लिए चुनाव आयोग ने 2 लाख 20 हजार 520 स्याही की बोतलों की मांग की है। इन सभी स्याही की बोतलों को जिलाधिकारियों आगे वितरण के लिए सौंपा जा रहा है।
स्याही का इतिहास दशकों पुराना
मतदान के अधिकार का प्रयोग करने के संकेत के रूप में बाएं हाथ की स्याही लगी तर्जनी को लोग गर्व से प्रदर्शित करते हैं। लोकतंत्र को मजबूत करने वाली ये काली रेखा चुनाव का अभिन्न अंग बन गई है। लोकतंत्र की अमिट निशानी बन चुकी इस स्याही का इतिहास दशकों पुराना है।
देश में इस स्याही को एक मात्र कंपनी मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड तैयार करती है। साल 1937 में इस कंपनी की स्थापना हुई थी। इस स्याही को कंपनी एमवीपीएल के जरिए सरकार या चुनाव से जुड़ी एजेंसियों को ही सप्लाई करती है। थोक में इसकी ब्रिकी नहीं होती है।
भारत की स्वाधीनता से पहले कर्नाटक के मैसूर में वाडियार राजवंश का शासन था । इस स्याही का निर्माण मैसूर राजवंश ने ही शुरु करवाया था। इस नीले स्याही को भारतीय चुनाव में शामिल करने का श्रेय देश के पहले मुख्य चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन को जाता है।