हर रोज तापमान के साथ-साथ चुनावी गर्मी भी तेज हो रही है। मगर टैलेंट मैनेजमेंट कंपनी के 23 वर्षीय कर्मचारी अमित कुमार दोनों को लेकर आशावादी बने हुए हैं। मंगलवार को हुई बारिश से लोगों को भीषण गर्मी से थोड़ी राहत मिली है और नोएडा की संभावनाओं पर कुमार की आशा भी आसमान पर है।
कुमार स्पेक्ट्रम टैलेंट मैनेजमेंट के लिए काम करते हैं, जो क्षेत्र की कंपनियों के लिए कामगारों को काम पर रखती है। उनकी कंपनी के ग्राहकों में से एक नोएडा की इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण कंपनी डिक्सन टेक्नोलॉजीज है। बोट के लिए हेडफोन बनाने वाली डिक्सन के नोएडा दफ्तर के बाहर खड़े होकर कुमार कुछ लोगों का इंतजार करने के दौरान कहते हैं, ‘किसी भी समय यहां करीब 4,500 से 5 हजार लोग काम करते रहते हैं।’
सैमसंग और एलजी जैसी कंपनियों ने भी शहर में अपने प्लांट लगाए हैं, जिससे कुमार जैसे युवाओं और उनकी कंपनी द्वारा काम पर रखे गए लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर नौकरी मिल रही है। कई लोग रोजगार के इन बढ़े अवसर का श्रेय केंद्र सरकार की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना और स्थानीयकरण को बढ़ावा देने को देते हैं, जिसने उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में निवेश को काफी आकर्षित किया है।
डिक्सन ने पीएलआई योजना के तहत अब तक यहां स्मार्टफोन का विनिर्माण नहीं किया है, लेकिन सैमसंग योजना के इतर लैपटॉप निर्माण की योजना बना रही है। नोएडा आन्त्रप्रैन्यर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष सुधीर श्रीवास्तव का कहना है, ‘केंद्र की मेक इन इंडिया पहल से हमें फायदा हुआ है।’ उन्होंने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली और सिंगल विंडो मंजूरी की भी सराहना की और कहा कि इससे कारोबारी गतिविधियों में भी पारदर्शिता आई है।
भारतीय जनता पार्टी अपनी आर्थिक नीतियों को इस बार चुनावों में उछाल रही है। पार्टी के घोषणा पत्र में कहा गया है, ‘पिछले दस वर्षों में हमने 100 अरब डॉलर से अधिक का इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण उद्योग स्थापित किया है। उससे उद्योग में बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी पैदा हुए हैं। हम अपने प्रयासों को और मजबूत करेंगे तथा वैश्विक मूल्य श्रृंखला में एक प्रमुख देश बनने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण का तीन गुना विस्तार करेंगे।’
दूसरी ओर, कांग्रेस ने ‘रोजगार विहीन विकास’ के मुद्दे को हवा देते हुए भारत को ‘उत्पादक अर्थव्यवस्था’ बनाए जाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया है। पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में वस्तु एवं सेवाओं के उत्पादन और रोजगार सृजन में निजी क्षेत्र को सहयोग करने का भी वादा किया है।
मगर नोएडा में बिजली आपूर्ति और सार्वजनिक परिवहन की कमी के मसले पर चिंता बरकरार है। श्रीवास्तव कहते हैं कि ऐसी ही एक मांग आंधी-तूफान एवं बारिश के कारण बिजली कटने से बचने के लिए तारों की भूमिगत केबलिंग की है।
उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा शहर करीब 14 लाख लोगों को रोजगार देता है। कार्यस्थलों तक सुरक्षित तरीके से पहुंचने के लिए उन्हें अच्छी सार्वजनिक परिवहन की आवश्यकता है।’ इन समस्याओं के बावजूद श्रीवास्तव शहर की भावी संभावनाओं को लेकर आश्वस्त हैं।
उन्होंने कहा चीनी उत्पादों पर उच्च आयात शुल्क से इलेक्ट्रॉनिक्स, एलईडी और खिलौनों सहित विनिर्माण उत्पादों को बढ़ावा मिला है। उन्होंने कहा, ‘इससे संबद्ध उद्योगों को भी बल मिला है।’ इसी क्रम में उन्होंने कहा कि सेमीकंडक्टर विनिर्माण में भारत के प्रवेश से शहर के उद्योग को फायदा मिलेगा।
गाजियाबाद से सटे औद्योगिक इलाके साहिबाबाद में भावना एकदम विपरीत है। कचरे से भरे रास्ते और धूल भरी सड़कें औद्योगिक क्षेत्र की निराशाजनक तस्वीर पेश करती हैं। यहां करीब 2,200 छोटी और मध्यम विनिर्माण इकाइयां हैं, जहां करीब 2 लाख से अधिक लोगों को रोजगार के अवसर मिलते हैं। यहीं पर हैवेल्स, आईटीसी, बिसलेरी और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी कंपनियों के कारखाने हैं।
यहां की विनिर्माण इकाइयों के मालिक बार-बार बिजली जाने और सड़कों पर जलजमाव की शिकायतें करते हैं। साहिबाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के कार्यालय सचिव चरणजित सिंह ने कहा, ‘यह इतना पुराना औद्योगिक इलाका है जहां आज भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। यहां कोई सीवर लाइन नहीं हैं, जबकि बिजली की तारों का भी जर्जर हाल है।’
प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण कई कारखाने भी बंद हो गए। इससे आसपास के इलाकों में रोजगार के अवसरों में कमी आ गई। औद्योगिक क्षेत्र से सटे महाराजपुर गांव के निवासी राधेश्वर पटेल का कहना है, ‘पहले यहां बहुत बड़ी फैक्टरियां थीं, लेकिन उनमें से अब कई बंद हो गईं।’
इसके बावजूद पाल का मानना है कि भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार हिंदू वोटों के कारण ही गाजियाबाद सीट जीत जाएंगे। उनका दावा है कि महाराजपुर मूल रूप से मुस्लिम बहुल इलाका है, लेकिन आवासीय सोसाइटियों के मतदाता भाजपा के समर्थक हैं।
गौतमबुद्ध नगर में कुछ अलग परेशानियां भी हैं। इलाके में रहने वाले कुछ लोगों ने इस बार चुनावों से दूर रहने का फैसला किया है। फ्लैटों की रजिस्ट्री लंबित होने से नाखुश लोगों का कहना है कि अगर रजिस्ट्री नहीं हुई, तो वे लोग अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं करेंगे। कुछ निवासियों ने तो अपनी सोसायटी के गेटों और अपनी बालकनी पर ही वहां आने वाले राजनेताओं के लिए रजिस्ट्री नहीं तो वोट नहीं का बैनर तक चस्पा कर दिए हैं।
खबरों से पता चलता है कि गौतमबुद्ध नगर के करीब 1.15 लाख घर खरीदार अपने फ्लैट की रजिस्ट्री का इंतजार कर रहे हैं।